छेडछाड की बलि चढ़ी नेहा-

रायपुर बुधवार दिनांक 8 दिसबंर 2010

छेडछाड की बलि चढ़ी नेहा- क्या
अंतिम उपाय 'मौत ही रह गया ?
यह अकेले नेहा भाटिया की कहानी नहीं हैं, संपूर्ण छत्तीसगढ़ में स्कूली छात्राओं से छेडख़ानी और उन्हें प्रताडि़त करना एक आम बात हो गई है। छेड़छाड़ से दुखी नेहा ने अपने शरीर को आग के हवाले कर दिया था। मंगलवार को नेहा ने प्राण त्याग दिये। बहुत सी छात्राएं छेड़छाड़ को बर्दाश्त कर इसकी शिकायत इसलिये नहीं करती। चूंकि उन्हें डर लगा रहता है कि परिवार के लोग इसके पीछे पड़ कर बड़ी मुसीबत में पड़ जायेंगे। पुलिस में जाने से छेड़छाड़ पीडि़त महिला तो डरती ही है, उसका परिवार भी ऐसा नहीं करना चाहता। जबकि नेहा जैसी कई ऐसी छात्राएं भी हैं, जो अपमान को गंभीरता से लेकर उसे मन ही मन बड़ा कृत्य करने के लिये बाध्य हो जाती है। क्या स्कूल प्रबंधन इस मामले में बहुत हद तक दोषी नहीं है, जो ऐसी घटनओं की अनदेखी करता है? क्या छेड़छाड़ पीडि़तों के लिये यही एक अंतिम उपाय है कि वह मौत को गले लगा ले? नेहा कांड से पूर्व छत्तीसगढ़ के छोर सरगुजा से एक खबर आई कि एक युवक की लड़की के भाई और साथियों ने जमकर पिटाई कर दी, चूंकि वह बहन को छेड़ता था। मामला जो भी हो, छेड़छाड़ के अक्सर मामले में लोग कानून को हाथ में लेने बाध्य हो जाते हैं। इसके सिवा कोई दूसरा उपाय भी तो नहीं रह जाता। छेड़छाड़ की घटनाओं का कोई समय नहीं होता- लड़की को अकेला देखा तो छेड़ दिया फिर चाहे, वह स्कूल जा रही हो, सब्जी लेने या दूध लेेने? गाली गलौज के रूप में छेडख़ानी के अलावा आजकल राह चलती महिलाओं के दुपट्टा खींचना, अश£ील हरकत करना, स्कूटर से गिरा देना या अन्य ऐसी ही हरकतें जहां आम हो गई हैं। वहीं इस छेड़छाड़ की आड़ में किसी के गले से चैन खींच लेना भी आम बात हो गई हैं। छेेड़छाड़ की आड़ में आपराधिक प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। छेड़छाड़ पीडि़त महिला अगर सड़क में थोड़ा सा साहस दिखाये तो यह उसके हित में ही जायेगा। जैसे ही कोई उसके साथ छेडख़ानी करें युवती को चाहिये कि वह आसपास से निकल रहे लोगों से अपनी रक्षा के लिये सहायता लें। युवतियों की मदद के लिये कई लोग सड़क पर उतर जाते हैं। एक बार एक को अच्छा सबक सिखाया जाये तो दूसरे में इसकी हिम्मत नहीं रह जाती। छेडख़ानी का एक दूसरा माध्यम है मोबाइल। बच्चे स्कूल में इसका उपयोग किन कामों के लिये करते है, यह बताने की जरूरत नहीं। जहां तक छेडख़ानी में पुलिस की भूमिका का सवाल है पुरुष की बनिस्बत महिला पुलिस छेड़छाड़ करने वालो से अच्छे से निपट सकती है। जब तक छेडख़ानी के मामले में लिप्त व्यक्तियों को सार्वजनकि रूप से जलील नहीं किया जायेगा, ऐसे लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता। छेडख़ानी में लिप्त लड़कों की फौज या तो किसी पान ठेले में मौजूद रहेगी या फिर ऐसे किसी मोड़ पर जहां से होकर स्कूल कॉलेज के लिये निकलना लड़कियों की मजबूरी है। नेहा भाटिया के साथ जो कुछ हुआ उससे छत्तीसगढ़ शर्मसार है। छत्तीसगढ़ के अन्य शहरों में ऐसी घटना न दोहराई जाये, इसके लिये यह जरूरी है कि इन घटनााओं पर अंकुश लगाने के लिये कठोर कदम उठाये जायें।

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