‘समानांतर मुकदमा’ न चलाए मीडिया!

 


समानांतर मुकदमान चलाए मीडिया!

Media should not run parallel case

पिछले कुछ दिनों से लोग अभिनेता  सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस पर अदालतो से अलग एक समानांतर मुकदमा देखते रहे: कइयों ने इसे देखकर न केवल आश्‍चर्य प्रकट किया बल्कि इसे मीडिया का अनावश्यक दखल भी कहा: वास्‍तव में यह क्‍या था और क्‍यों किया गया यह सोचने का विषय है टीवी स्‍क्रीन पर कुछ चैनलों द्वारा एक किसी आपराधिक मामले की रनिंग कामेन्‍ट्री अपने आप में सोचने का विषय था: कुछ अच्‍छी बाते भी हुई जिसमें कुछ विद्वानों और कानून के जानकारों ने ऐसा करने वालो पर न केवल तंज कसा बल्कि फटकार भी लगाई:एक बहुत बडे एडवोकेट ने तो इसपर कह ही दिया कि में तो ऐसा पहली बार देख रहा हूं जहां आरोप लगने वालों को पहले ही दोषी करार दे दिया गया यहां तक कि सजा भी मुकर्रर कर दी गई जबकि एक अन्‍य एडवोकेट ने  पूछा देश में और कितनी एजेंसियां है जिससे इस मामले कीभारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष - Free Current Affairs PDF Download, Free  Current Affairs जांच कराने की जरूरत है क्‍या सेना की जरूरत पडेगी?:यह दिलचस्‍प किस्‍से स्‍वतंत्र भारत में जहां प्रेस और मीडिया को काम करने की पूरी छूट है मिला लेकिन ऐसा भी पहली बार लगा कि इस छूट का दुरूपयोग पहली बार ही किया भी गया: कतिपय मीडिया संस्‍थान तो इस केस का समानांतर मुकदमा चला रहे थे तथा किसी को भी अपने ढंग से न केवल अपराधी घोषित करते रहे बल्‍कि उसे अपने अपने ढंग की सजा का ऐलान भी करते रहे:यह अच्‍छा हुआ कि अंतत: भारतीय प्रेस परिषद ने इस मामले में संज्ञान लिया तथा सुशांत सिंह राजपूत केस में कतिपय मीडिया संस्थानों की भू‍मिका पर सवाल उठाये तथा सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस की रिपोर्टिगं पर कड़ी आपत्ति जताई: प्रेस परिषद ने 28 जुलाई  को कहा कि मीडिया को ऐसे मामलों में कवरेज में पत्रकारिता आचरण के नियमों का पालन करना चाहिए. परिषद ने मीडिया संस्थानों को इस मामले में अपना स्वयं का समानांतर मुकदमानहीं चलाने की नसीहत भी दी.पीसीआई ने एक परामर्श में मीडिया को इस तरह से खबरों को नहीं दिखाने कहा जिससे आम जनता आरोपित व्यक्ति के मामले में संलिप्तता पर विश्वास करने लग जाए. परिषद ने कहा कि उसने अफसोस के साथ इस बात को संज्ञान में लिया है कि किसी फिल्म एक्टर की कथित खुदकुशी के मामले की कवरेज कई मीडिया संस्थानों द्वारा पत्रकारिता आचरण के नियमों का उल्लंघन है और इसलिए मीडिया संस्थानों को पीसीआई द्वारा तय नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है.पीसीआई ने मीडिया को यह भी सलाह दी है कि पीड़ित, गवाहों, संदिग्धों और आरोपियों को अत्यधिक प्रचार देने से बचा जाए क्योंकि ऐसा करना उनकी निजता के अधिकार में अतिक्रमण होगा. पीसीआई ने यह भी कहा कि अपराध के बारे में आधिकारिक एजेंसी द्वारा की जा रही जांच की दिशा के बारे में सुनी सुनाई बातों के आधार पर सूचनाओं को सार्वजनिक करना वांछित नहीं है. उसने यह भी सलाह दी कि अपराध से जुड़े मामले में दैनदिन आधार पर बहुत बल देते हुए खबरें देना तथा साक्ष्यों की सच्चाई निर्धारित किए बिना उन पर खबर देना उचित नहीं है.परामर्श में कहा गया है कि इस प्रकार की रिपोर्टिेंग से निष्पक्ष जांच एवं मुकदमे पर अकारण दबाव पड़ता है. परिषद ने मीडिया द्वारा गवाहों की पहचान उजागर करने से भी बचने की ताकीद दी  है क्योंकि इससे उन पर आरोपी और जांच एजेंसियों के दबाव में आने का खतरा होता है. परिषद ने देर से ही सही इस मामले में संज्ञान लिया जिससे कम से कम यह तो फायदा हुआ है कि ऐसे किसी मामले में कोई निर्दोष जेल की सलाखों के  पीछे नहीं पहुंच सकेगा: देश की पत्रकारिता का एक गौरवपूर्ण्‍ा स्‍थान है तथा संविधान ने भी पत्रकारों को अपनी  भूमिका निष्‍पक्ष व स्‍वतंत्र  तौर पर अपनी सीमा में रहकर निभाने का पूरा मौका दिया है इसका पालनकर अपने दायित्‍व को सारे तथ्‍यों की जांच परख और पूर्ण जिम्‍मेदारी से निभाने की जरूरत है:

Media should not run parallel case

For the last few days, people have been watching a parallel case on the actor Sushant Singh Rajput Suicide Case apart from the courts: many not only expressed surprise by seeing it but also called it an unnecessary intervention of the media: what was it in Vastuva and why was it done It is a matter of thinking in itself the running commentary of a criminal case by some channels on TV screen: There were some good things in which some scholars and law experts not only punished but also reprimanded those who did so: A very big advocate has said that I am seeing for the first time where the accused have already been convicted and even sentenced while another advocate asked how much more in the country. Are there agencies that need to investigate this matter? Will the army need it ?: This interesting story was found in India where the press and media have complete freedom to work, but for the first time it felt that this exemption was misused भारतीय प्रेस परिषद के पुरस्कारों के लिए नामांकन की अंतिम तिथि बढ़कर हुई 24  सितंबर - Newsi7for the first time It was also done: some media organizations have a parallel trial in this case And were declaring anyone not just criminal in his own way, but also proclaiming the punishment of his own way: it is good that finally the Press Council of India took cognizance of this case and in Sushant Singh Rajput case Questioning the role of certain media institutions and objecting to the reporting of Sushant Singh Rajput suicide case: The Press Council said on 28 July that the media should follow the rules of journalistic conduct in coverage in such cases. The council also advised media institutions not to conduct their own 'parallel litigation' in the case. The PCI, in a consultation, asked the media not to show the news in such a way that the general public would believe the accused person's involvement in the case. Go The council said that it has regrettably taken cognizance that coverage of a film actor's alleged suicide case is a violation of the rules of journalistic conduct by many media institutions and hence media institutions have to follow the rules set by the PCI The PCI has also advised the media to avoid giving excessive publicity to the victims, witnesses, suspects and accused as doing so would be an encroachment on their right to privacy. The PCI also said that it is not desirable to make the information public on the basis of the things heard about the direction of investigation being done by the official agency about the crime. He also advised that it is not appropriate to give news on a day-to-day basis in a case related to crime and without giving any truth to the evidence.It has been said in the consultation that such reporting causes undue pressure on impartial investigation and prosecution. The council has also asked the media to refrain from revealing the identity of the witnesses as it puts them under pressure from the accused and investigative agencies. The Council has taken cognizance of this matter lately, which has at least benefited from the fact that in such a case no innocent will be able to get behind the bars of the country: the country has a glorious place of journalism and the Constitution has also given journalists It has given full opportunity to play its role in its limits in a free and independent manner, by following this, it is necessary to examine its responsibilities with all the facts and investigate it with full responsibility:

 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ANTONY JOSEPH'S FAMILY INDX

बैठक के बाद फिर बैठक लेकिन नतीजा शून्‍य

गरीबी हटाने का लक्ष्य अभी कोसो दूर!