इन पडौसियों को क्‍या हो गया? कभी घुसपैठ तो कभी नक्‍शा !

 

इन पडौसियों को क्‍या हो गया?

          कभी घुसपैठ तो कभी नक्‍शा !





हमारे पडौसी देश आखिर क्‍या जताना चाहते हैं ? यह न खुद शांति से रहते हैं और न ही दूसरों को रहने देते हैं ! कभी हमारी सीमा पर घुसपैठिये भेजते हैं तो कभी छुप- छुपकर हमले करते हैं अति तो तब हो जाती है जब यह हमारी धरती व सीमा को अपना बताकर उसपर कब्‍जा जमाने की कोशिश करते हैं: जब कोई देश अस्तित्‍व में आता है तभी उसकी सीमा उसकी सार्वभौमिकता ‍का निर्धारण हो जाता है लेकिन आज पडौसी विशेषकर चीन,पाकिस्‍तान और नेपाल ऐसा माहौल पैदा कर रहे हैं कि उसे किसी भी देश के लिये सह पाना असंभव है: सत्‍तर बहत्‍तर साल बाद भी हमारी धरती पर कब्‍जा जमाने की नापाक चाल चली जा रही है:पहले नेपाल और अब पाकिस्तान ने नया राजनीतिक नक़्शा जारी किया है जिसमें जम्मू कश्मीर-लद्दाख-जूनागढ़ और सर क्रीक को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया है पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने मंगलवार को इस नए नक़्शे को जारी करते हुए इसे एक ऐतिहासिक दिन बताया.पाकिस्‍तान के इस कदम को भारतीय संसद में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, में विभाजित करने की पहली वर्षगांठ के एक दिन पहले उठाकर भारत को चुनौती दी है:वह हमें हर कोण से उकसा रहा है: उसकी प्राय: हरकते हमें परेशान करने की हैं यही हाल अब नेपाल का भी है जो कभी नक्‍शे को लेकर तो कभी आस्था पर विवाद पैदा कर अपने आका चीन को खुश करने का प्रयास कर रहा है: नेपाल में चीन की राजदूत ऐसे मामलों को हवा देने की भू‍मिका अदा कर रही है: पाकिस्तान और नेपाल का राजनीतिक नक़्शे जारी करने का उद्देश्य यही है कि भारत को उकसाया जाये:इसमे दो मत नहीं होना चाहिये कि यह सब इन दोनो देशों के आका चीन के इशारे पर हो रहा है दोनों के उद्देश्य जुदा जुदा हो सकते हैं लेकिन मकसद एक ही है कि कैसे भी भारत को उकसाया जाये: पाकिस्तान का  नया नक़्शा भारत के ख़िलाफ़ कई मोर्चों को खोलने की एक कोशिश है. कश्मीर मुद्दे पर चीन के खुले समर्थन से पाकिस्तान की स्थिति मज़बूत हुई है और शक्ति संतुलन भारत से कुछ दूर हुआ है: वैसे ख़ुद पाकिस्तान में इस नए नक़्शे पर मिली जुली बाते सामने आई हैं. कुछ लोगों ने पाकिस्तानी सरकार के इस क़दम को "मास्टरस्ट्रोक" कहा है तो वहीं दूसरे कई लोग इसे पाकिस्तानी सरकार की "बचकाना हरकत" कह रहे हैं:पाकिस्तान के बुद्धिजीवी भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान सरकार से असहमत नज़र आते हैं. जूनागढ़ को अपने नक्‍शें मे शामिल किए जाने की बात हैरान करने वाली है, क्योंकि यह दशकों से पाकिस्तान के आधिकारिक एजेंडे में नहीं है. उधर नक़्शे में लद्दाख को शामिल न करने से ये समझ में आता है कि पाकिस्तान चीन को नाराज़ नहीं करना चाहता.एक महीने पहले नेपाल द्वारा जारी नए नक़्शे को भारत ने अस्वीकार किया है. किसी ने भी भारत से इसे स्वीकार करने की अपेक्षा नहीं की थी. असल बात तो यह है कि इमरान ख़ान अनुच्छेद 370 की समाप्ति की पहली वर्षगांठ के अवसर पर पाकिस्तानी जनता को ये दिखाना चाहते थे कि उनकी सरकार भारत पर दबाव बनाये हुए है.राजनीतिक विश्‍लेषको की राय भी यही है कि ये सिर्फ़ पाकिस्तानी लोगों को दिखाने के लिए एक चाल है भारत ने पाकिस्तान के  नए राजनीतिक नक़्शे को ख़ारिज करते हुए कह दिया है कि न इसकी क़ोई क़ानूनी वैधता है और न ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी कोई विश्वसनीयता है.

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