फ्रीडम ऑफ स्पीच का दुरूपयोग करने वालों को सरकार का करारा जवाब!


यह पहला अवसर है जब मोदी सरकार ने फ्रीडम ऑफ स्पीच का दुरूपयोग करने वाले किसी बड़े शख्स को लपेटे में लेकर देश को एक संदेश देने का प्रयास किया है कि इस स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि कोई किसी के खिलाफ कुछ भी बोलेे और सरकार यूं ही हाथ पर हाथ धरे बैठै रहे.-होम मिनिस्ट्री ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर करके कहा है कि फ्र ीडम ऑफ स्पीच के नाम पर लोगों को किसी भी समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए. इससे अशांति फैलेगी और दंगे होंगे. सरकार का यह रुख बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के उस पिटीशन पर आया है, जिसमें उन्होंने हेट स्पीच से जुड़े आईपीसी के सेक्शन 153, 153,153क, 295, 295, 298 और 505 की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए थे. केंद्र ने स्वामी के खिलाफ हेट स्पीच के मामले में केस चलाए जाने को भी सही ठहराया है.सरकार का यह रूख उस समय सामने आया है जब देश में इस मुद्दे पर बहस छिड़ी हुई है. हैट स्पीच और इनटोलेंट बहस का प्रमुख मुद्दा है ऐसे समय सरकार का रूख साफ होने से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामें के रूप में पेश होने के बाद उन लोगों के मुंह पर लगाम लग सकती है जो इस मामले को लेकर सरकार को कोसती रही है और सरकार को असहिष्णु करार दे रही है.केंद्र की ओर से दाखिल एफेडेविट में स्वामी की एक बुक पर कहा गया है कि इस किताब में ऐसा कंटेंट है, जो हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत को बढ़ावा देता है. इस तरह से पिटीशन लगाने वाले ने आईपीसी की धाराओं का उल्लंघन किया है. स्वामी की पिटीशन पर केंद्र सरकार ने इस साल जुलाई में केंद्र से जवाब मांगा था. केंद्र के हलफनामे में कहा गया है-अगर लोगों को भारत के विभिन्न ग्रुपों के बीच नफरत फैलाने के लिए आजाद छोड़ दिया जाए तो अशांति फैल जाएगी.दंगे या दूसरे अपराध हो सकते हैं. सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ेगा और विभिन्न वर्गों के बीच कड़वाहट बढ़ेगी. इससे समाज की शांति-व्यवस्था में दिक्कत आएगी. केंद्र सरकार के मुताबिक, हेट स्पीच से जुड़े कानूनों पर सवाल नहीं उठाए जा सकते, क्योंकि संविधान भी नागरिकों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर वाजिब कंट्रोल की मंजूरी देता है. इन कानूनों से समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने में मदद मिलती है जबकि बीजेपी नेता स्वामी के खिलाफ दिल्ली, मुंबई, असम, मोहाली और केरल में हेट स्पीच के कई केस चल रहे हैं.उन्होंने आतंकवाद पर अपनी राय जाहिर की थी, जिसके बाद उन पर नफरत फैलाने के आरोप लगे. स्वामी ने अपनी पिटीशन में आरोप लगाया कि हेट स्पीच से जुड़े कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों में दखल देते हैं,इनका इस्तेमाल अपनी राय जाहिर करने वाले लोगों के खिलाफ हो रहा है. स्वामी का यह भी कहना था कि वर्तमान कानूनों की वजह से कोई शख्स लोगों की सोच बदलने के लिए पब्लिक डिबेट नहीं कर सकता क्योंकि इन कानूनों से उसे चुप करा दिया जाएगा.अब सरकार के हलफनामें के बाद सुप्रीम कोर्ट का इस मामले में रूख साफ होगा.

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