एक भीषण सड़क हादसा, जिसने पूरे राजधानी की आंखों को छलछला दिया!


क्या हमारी सड़कें इस लायक है कि यहां एसयूवी जैसी गाड़ियां सडकों पर 130 से 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकें?. टेड़ी-मेड़ी, उलझी और गड्ढेनुमा सड़कों पर कभी कुत्ता तो कभी अन्य पशु जहां टपक पड़ते हैं. ऐसे में गाड़ी अच्छे से अच्छे ड्रायवर के हाथों से नियंत्रण खोए बिना नहीं रह सकती. राजधानी रायपुर में शनिवार रात हुए दर्दनाक हादसे ने शहर के चार नौजवानों को जहां हमसे छीन लिया वहीं करीब पांच अभी भी मौत से संघर्ष कर रहे हैं. दुर्घटना का कारण अभी पुलिस जांच में है फिर भी जो प्राथमिक तौर  पर अनुमान लगाया जा सकता है वह यह कि एसयूवी गाड़ी जो तेज रफ्तार गाड़ियों में से एक है, हादसे के वक्त 130 से 160 किलोमीटर की रफ्तार पर रही होगी. वैसे भी लम्बे रूट पर ऐसे कारों के लिये कोई बड़ी रफ्तार नहीं है, आम तौर पर आजकल छोटी-मोटी गाड़ियां ही सौ किलोमीटर से ऊपर की रफ्तार पर दौड़ना आम बात है फिर अगर खाली सड़क मिल जाये तो रफ्तार किसी भी हद तक जा सकती है-इस बीच गाड़ी में सफर करने वाले युवा हो तो फिर क्या? मस्ती- गाने, हंसी, ठिठौली में लोग यह भी भूल जाते हैं कि सड़क पर हालात क्या हैं. खाली मिलने पर रफ्तार और भी तेज हो सकती है. इस दर्दनाक हादसे में लोग दुर्घटना के पीछे तरह-तरह के कारणों का कयास लगा रहे हैं. कुछ का कहना है कि हो सकता है- 1. ड्रायवर शराब के नशे में हो? 2. रात दो बजे का समय था ड्रायवर को झपकी आ गई हो? 3.तेज रफ्तार गाड़ी पर ड्रायवर नियंत्रण खो बैठा हो? 4. तेज रफ्तार गाड़ी के सामने कोई जानवर आ गया हो, जिसे बचाने के चक्कर में गाड़ी नियंत्रण खो बैठी और खम्बे से जा टकराई. 5. गाड़ी का बे्रक फेल होना या अन्य कोई तकनीकी कारण इस हादसे में नहीं बनता. 6. यह भी संभव है कि तेज रफ्तार गाड़ी पर ड्रायवर आगे सड़क की सही स्थिति का अनुमान नहीं कर पाया और दुर्घटना हो गई. इसमें से पहले नम्बर को अगर यह कहते हुए नकार दिया जाये कि गाड़ी चलाने वाला भी इन्हीं युवकों में से कोई था और नशे की बात होती तो सभी नशे में रहते. वैसे भी इनमें से किसी को भी नशा करने का समय नहीं मिला यहां तक कि वालीबाल ग्राउंड से निकलने के वक्त भी उनके समक्ष सारे सीनियर मौजूद थे इसलिये नशे की बात को एकदम नकारते हुए यह ही अनुमान लगाया जा सकता है कि तेज रफ्तार गाड़ी पर ड्रायवर अपना नियंत्रण रख नहीं सका और दुर्घटना हो गई. छत्तीसगढ़ की सड़कों पर दुर्घटना का यह सिलसिला नया नहीं है. रात में होने वाली प्राय: दुर्घटना ड्रायवर को झपकी आने, शराब के नशे में धुत्त्त होने तथा सामने खड़ी किसी गाड़ी को देख नहीं पाने और तेज रफ्तार गाड़ी पर से नियंत्रण खो देने व ऊबड़-खाबड़ सड़कों के कारण ही होती है. इस भीषण दुर्घटना में मृतकों व घायल परिवार के साथ पूर्ण सहानुभूति व्यक्त करते हुए हम यही प्रार्थना कर सकते हैं कि ईश्वर मृतकों की आत्मा को शांति प्रदान  करें व परिवार को इस दुखद हादसे को सहन करने की शक्ति प्रदान करें. सरकार को भी चाहिये कि वह ऐसी दुर्घटनाओं से सबक लेकर कुछ ऐसा प्रबंध करें कि बार-बार इस ढंग के हादसे न हों.  

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