आरटीओं की आग में भूतो का काम था तो यहां कहीं जिंदा भ्रष्ट भूत तो सक्रिय नहीं हो गये?

आरटीओं की आग में भूतो का
काम था तो यहां कहीं जिंदा
भ्रष्ट भूत तो सक्रिय नहीं हो गये?
क्या राख से सबूत निकल पायेगा? जिस तरह से सिंचाई  विभाग की  फाइले  जली  है उसको देखने से तो  ऐसा लगता नहीं कि अब कोई सबूत बचा होगा.राजधानी रायपुर में महानदी गोदावरी कछार परियोजना का एक पूरा हाल इस विभाग की पुरानी फाइलों से अटा पड़ा था, मंगलवार-बुधवार को यह गोदाम धू -धू कर जलने लगा जिसने देखा वह यही कहता रहा कि घोटालेबाजो ने सबूत मिटाने के लिये जला दिया. लोगों के संदेह की पुष्टि इसी से होती है कि कुछ लोगों ने इस दफतर के पास से आते जाते समय धुआं उठते देख यहां आकर इस हाल को जलते देखा था,यह हाल आफिस के काफी पीछे एकांत स्थान पर स्थित है. बताते हैं वहां लोगों ने देखा कि आग लगने के बाद भी मौजूद कर्मचारियों में कोई ऐसी प्रतिक्रिया नहीं थी जो आग लगने के बाद अक्सर देखने को मिलती है अर्थात पानी लेकर दौड़ना, रेत से बुझाने का प्रयास -इधर उधर दौड़ लगाना, फायर ब्रिगेड को फोन करके बुलाना आदि बल्कि वहां तैनात कुछ कर्मचारी तो ऐसे व्यवहार कर रहे थे जैसा उन्हें मालूम है कि आग लग गई है ठीक वैसे ही जैसे हम कचरे के ढेर में आग लगाने के बाद निश्चिंत होकर बैठ जाते हैं.फायर  ब्रिगेड को भी शायद जलने की सूचना किसी बाहरी व्यक्ति ने ही दी, बहरहाल यह सब जांच का विषय है.चूंकि यह प्रदेश का एक  महत्वपूर्ण विभाग है जहां कार्यो के लिये भारी लेन देने होता है.वर्षो से सिचाई की कई परियोजनाओं की फाइले अब राख हो चुकी है.यह सब बताते हैं इसलिये भी हुआ चूंकि अभी कुछ ही दिन पहले बिलासपुर के इसी कार्यालय में जांच पड़ताल शुरू हुई थी.जांच की आंच रायपुर तक न  पहुंच जाये इसलिये तो यह कृत्य नहीं कर दिया गया? गुरूवार  को प्रात: हमने इस क्षेत्र का दौरा किया था घटनास्थल पर कोई अफसर दिखाई नहीं दिया. किसी को राख में से फाइल ढूंढते भी नहीं देखा गया. हां मजदूर जरूर जले हुए गोदाम की दूसरी मंजिल से जली व अधजली फाइले उठाउठाकर फेक रहे थे तथा कुछ उनपर निगरानी रखने वाले लोग बाहर बैठकर इस विषय पर  नहीं अन्य किसी विषय पर गप्पे लड़ा रहे थे. एक दिलचस्प आगजनी वर्षो  पूर्व हमने रायपुर के आरटीओं का देखा  था  तब  उसका  कार्यालय राजकुमार कालेज के पास था तब यह कहा गया कि दफतर  जिस किराये के मकान में था वहां भूत निवास करते हैं उन्हीें ने आग लगाई! यहां तो ऐसा लग रहा कि यह पूरा काम 'जिंदा भ्रष्ट भूतोÓ का है- देखे बृजमोहन अग्रवाल अपने विभाग के इन भूतो को कैसे खोज निकालते हैं? वैसे उन्होंने सात दिनों में रिपोर्ट देने को कहा है. एक बात तो इन आगजनियों से स्पष्ट है कि किसी विभाग के लिये यह आसान है कि भ्रष्टाचार करके सारी फाइले स्वाहा कर दो और निश्चिंत हो जाओ! उल्लखनीय है कि रायपुर के सरकारी और अर्धशासकीय विभागों में आगजनी एक पुरानी  परंपरा है. रविशंकर विश्वविद्यालय सहित कई सराकारी विभाग अब तक आग की लपटे छोड़ चुकी हैं.

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