पठारीडीह की घटना के लिये कौन जिम्मेदार?पुलिस की सक्रियता घटना के बाद ही क्यों?
पठारीडीह की घटना के लिये
कौन जिम्मेदार?पुलिस की
सक्रियता घटना के बाद ही क्यों?
एस पी ओ.पी.पाल उरला के पठारीडीह की घटना के बाद अब भले ही यह कहें कि कानून हाथ में लेने की कोई भी कार्रवाही पुलिस बर्दाश्त नहीं करेगी लेकिन सवाल यह उठता है कि उरला के लोगों को कानून हाथ में लेने प्रेरित किसने किया? घटना के सबंन्ध में बताया जाता है कि पिछले कम से कम तीन सप्ताह से उरला और राजधानी रायपुर के आसपास आउटर में कुछ अज्ञात लोग बच्चा पकड़ने में लगे हुए हैं-निवासियों का आरोप है कि यह बाहरी लोग हैं जो घ्रेकी कर बच्चों को पकड़़़ रहे हैं.पुलिस से कई बार शिकायत करने के बाद भी कोईर् संज्ञान इस मामले में नहीं लिया गया यहां तक कि इस घटना के पूर्व भी कुछ संदिग्ध लोगों की पिटाई नागरिकों ने संदेह के आधार पर की लेकिन इसके बाद भी जब पुलिस ने किसी को गिरफतार नहीं किया तो आम लोगों ने अपनी सुरक्षा का दायित्व खुद सम्हाला. वे डंडे लेकर गली- गली में घूमने लगे. संंदिग्ध लोगों से पूछताछ भी की गई और संदिग्ध माने जाने पर उसकी पिटाई भी की गई.यह स्वाभाविक प्रक्रिया थी. जो काम पुलिस को घटना या अफवाह की खबर मिलते ही खुद होकर करनी चाहिये थी वह नागरिकों को करने के लिये मजबूर किया गया इसका क्लाइमेक्स पठारीडीह में शनिवार को उस समय हुआ जब दो संदिग्ध व्यक्ति इस क्षेत्र में पहुंचे और ग्रामीणों के सवालों का जवाब गोलमोल दिया. वैसे ही आक्रोश में घूम रहे लोगों के लिये यह जरूरी था कि वह इनकी धुनाईर्र् करें.इसका परिणाम हत्या के रूप में सामने आया. एक की मृत्यु हो गई तथा दूसरा जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहा है. अब हत्या का प्रयास और हतया के बाद पुलिस सक्रिय हो गई है. दसने कम से कम दो दर्जन लोगों के खिलाफ हत्या का प्रयास और हत्या का जूर्म दायर कर लिया है किन्तु सवाल यह उठ रहा हे कि पूरे मामले के लिये असल जिम्मेदार कौन है? पुलिस ने क्यों नहीं एहतियाती कार्रवाही की. बच्चो की चोरी हो रही है इसका प्रमाण किसी के पास नहीं है लेकिन यह बात तो बहुत पहले सिद्व हो चुकी थी कि आउटर में कुछ लोग लगातार संदिग्ध हालत मे घूम रहे हें इसके बाद क्षेत्र के लोग तो सतर्क हो गये लेकिन पुलिस वह तो शायद ऐसी किसी घटना का इंतजार कर रही थी. अब पुलिस बड़ी दबगंता से कह रही है कि कानून हाथ में लेने वालों के खिलाफ सख्ती से पेश आयेगी. अपाधियों को रोकने पुलिस ने उस समय सख्ती क्यों नहीं बरती जब लोगों के बच्चे गायब हो रहे थे तथा बच्चा पकड़ने वालो की संदिग्ध हरकते जारी थी. हम मारपीट करने वालों और युवकों की हत्या करने वालों का कोई पक्ष नहीं ले रहे बल्कि हम अपनी उस व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं जिसके चलते ऐसी घटनाएं होती है जिसके चलते लोगों को कानून अपने हाथ में लेना पड़ता है. एक तो हमारा कानून सख्त नहीं है दूसरा जो है वह इतना सुस्त है कि वह हरकत में आते तक कई और अपराध घटित हो जाते हैं पठारीडीह की घटना ऐसी पहली घटना नहीं है जिसमें लोगों ने कानून हाथ में लिया हो इससे पूर्व भी देश के कई हिस्सों में गुण्डागर्दी,दुष्कर्म, डकैती आदि के मामलों में लोग कानून अपने हाथ में लेकर खुद फैसला दे चुके हैं. ऐसी घटनाएं न हो इसके लिये यह जरूरी है कि कानून का पालन कराने वाले आम लोगों से ज्यादा सक्रिय हो और पीडितो को न्याय भी जल्द मिले.
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