ऑपरेशन क्लीन शुरू करों फिर देखों, लाखों रोजगार पा जायेगें
रायपुर शुक्रवार। दिनांक 12 नवबंर 2010
ऑपरेशन क्लीन शुरू करों फिर
देखों, लाखों रोजगार पा जायेगें
.....और अब सरगुजा का एक इंजीनियर तीन करोड़ रूपये का आसामी निकला.. सरकार के पास ऐसे और कितने हीरे से जड़े अधिकारी हैं? सिर्फ पैसा कमाना ही ध्येय बन गया है, हमारे जनसेवकों का। हर कोई जानता है कि इस देश में ऐसे भ्रष्ट अफसरों और नेताओं की कोई कमी नहीं है जिनके पास देश के एक बजट से ज्यादा की राशि अपने खजानों में जमा है। नौकरी सरकार की करते है, गुणगान भ्रष्टाचरण में मिले पैसे का होता हैं। सरकार के पैसों को किस तरह से लूट-खसोटकर अपनी तिजोरियों में भरा जा रहा है इसके सैकड़ों उदाहरण सरकार के सामने आने के बाद भी ऐसे लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है?यही न कि उन्हें कुछ समय के लिये मानसिक प्रताडऩा मिलती है। हमने हाल के आयकर छापों के बाद कुछ लोगों से बात की। तो उनकी ऐसी धारणा बन गई है कि भ्रष्टआचरण में लिप्त ऐसे लोगों का कुछ नहीं होने वाला। क्योंकि हमारा कानून ही इतना लचीला है कि भ्रष्टाचारी को स्वतंत्र घूमने की खुली छूट है। विभाग में कुछ दिन चक्कर लगायेंगे। बाद में सब आपसी समझौते से रफा- दफा। कोई कठोर कानून ऐसे मामलों में न होने के कारण भ्रष्ट आचरण में लिप्त लोगों के हौसले ऊं चाइयों पर है। सरकार की लाचारी देखिये कि वह भ्रष्ट आचरण में लिप्त लोगों को नौकरी से तक बर्खास्त नहीं कर सकती। ज्यादा से ज्यादा निलबित कर दिया जाता है। कुछ दिन बाद निलंबन वापस लेकर उसे उसी पद पर या उससे ऊंचे पद पर फिर से विराजमान कर दिया जाता है। ऐसे कई उदाहरण है जिसमें करोड़ों रूपये का घोटाला उजागर होने के बाद ऐसे लोगों को निलंबन के बाद न केवल नौकरी पर वापस लिया गया, बल्कि उन्हें ऊंचे पद पर बिठाकर उनका सम्माान किया गया?आम आदमी जो भ्रष्टाचार से तंग है उसका सरकार से यही सवाल है कि- ऐसे व्यक्तियों को, जो अकूत नाजायज संपत्ति बनाने के लिये दोषी है,उन्हें सरकारी नौकरी से क्यों नहीं निकाला जाता ? और उन्हें इस तरह अयोग्य घोषित क्यों नहीं किया जाता कि वे आगे किसी सरकारी अथवा निजी संस्थान में काम करने के लायक नहीं रह जाय? उसकी संपत्ति जप्त कर सरकारी खजाने में क्यों नहीं डाली जाती? अगर, नेता ऐसे मामले में दोषी पाया जाता है, तो उसके साथ भी वहीं किया जाना चाहिये। जो सख्ती का बखान हमने सरकारी कर्मियों के लिये किया है। ऐसे नेताओंं की राजनीतिक गतिविधियों के लिये सदा के लिये रोक लगाने के साथ ही उसे बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिेये। क्यों ऐसे लोगों को आम जनता के सर पर लादकर बेवजह उनका बजन बढ़ाया जा रहा है? सरकार अगर किसी भ्रष्ट व्यक्ति को पकड़ती है तो वह इसका ब्योैरा सार्वजनिक करें। साथ ही यह बताये कि उसपर क्या कार्रवाई की गई? उसे कितनी सजा दी गई? यह भी सार्वजनिक करें कि उसे नौकरी से निकाला या नहीं? बकायदा इसे अखबारों में इश्तहार के रूप में जारी करें, जिस प्रकार अन्य मामलों में वह डिफाल्टरों के बारे में जारी करती है। संपत्ति सगे संबन्धियों के नाम पर ही क्यों न हो जप्न्त करें। उसे उतनी ही संंपत्ति अपने पास रखने का अधिकार हो जितना उसने
अपने पसीने से बनाया हो। ऐसे लोगों के लिये इतनी कठोर सजा का प्रावधान हो कि भविष्य में कोई दूसरा ऐसा करने का प्रयास न करें। जबतक इस तरह से सरकार कठोर नहीं होगी, ऐसे भ्रष्ट धन पुत्र सामने आते रहेंगे। ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई नहंी करने का ही नजीजा है कि बेरोजगारों के लिये सीट खाली नहीं हो रही। अगर सरकार भ्रष्टों को एक- एक कर नौकरी से निकालना शुरू करें या 'ऑपरेशन क्लीनÓ शुरू करें, तो कल से देखिये देश में लाखों नवयुवको को रोजगार मिलने लगेगा!
ऑपरेशन क्लीन शुरू करों फिर
देखों, लाखों रोजगार पा जायेगें
.....और अब सरगुजा का एक इंजीनियर तीन करोड़ रूपये का आसामी निकला.. सरकार के पास ऐसे और कितने हीरे से जड़े अधिकारी हैं? सिर्फ पैसा कमाना ही ध्येय बन गया है, हमारे जनसेवकों का। हर कोई जानता है कि इस देश में ऐसे भ्रष्ट अफसरों और नेताओं की कोई कमी नहीं है जिनके पास देश के एक बजट से ज्यादा की राशि अपने खजानों में जमा है। नौकरी सरकार की करते है, गुणगान भ्रष्टाचरण में मिले पैसे का होता हैं। सरकार के पैसों को किस तरह से लूट-खसोटकर अपनी तिजोरियों में भरा जा रहा है इसके सैकड़ों उदाहरण सरकार के सामने आने के बाद भी ऐसे लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है?यही न कि उन्हें कुछ समय के लिये मानसिक प्रताडऩा मिलती है। हमने हाल के आयकर छापों के बाद कुछ लोगों से बात की। तो उनकी ऐसी धारणा बन गई है कि भ्रष्टआचरण में लिप्त ऐसे लोगों का कुछ नहीं होने वाला। क्योंकि हमारा कानून ही इतना लचीला है कि भ्रष्टाचारी को स्वतंत्र घूमने की खुली छूट है। विभाग में कुछ दिन चक्कर लगायेंगे। बाद में सब आपसी समझौते से रफा- दफा। कोई कठोर कानून ऐसे मामलों में न होने के कारण भ्रष्ट आचरण में लिप्त लोगों के हौसले ऊं चाइयों पर है। सरकार की लाचारी देखिये कि वह भ्रष्ट आचरण में लिप्त लोगों को नौकरी से तक बर्खास्त नहीं कर सकती। ज्यादा से ज्यादा निलबित कर दिया जाता है। कुछ दिन बाद निलंबन वापस लेकर उसे उसी पद पर या उससे ऊंचे पद पर फिर से विराजमान कर दिया जाता है। ऐसे कई उदाहरण है जिसमें करोड़ों रूपये का घोटाला उजागर होने के बाद ऐसे लोगों को निलंबन के बाद न केवल नौकरी पर वापस लिया गया, बल्कि उन्हें ऊंचे पद पर बिठाकर उनका सम्माान किया गया?आम आदमी जो भ्रष्टाचार से तंग है उसका सरकार से यही सवाल है कि- ऐसे व्यक्तियों को, जो अकूत नाजायज संपत्ति बनाने के लिये दोषी है,उन्हें सरकारी नौकरी से क्यों नहीं निकाला जाता ? और उन्हें इस तरह अयोग्य घोषित क्यों नहीं किया जाता कि वे आगे किसी सरकारी अथवा निजी संस्थान में काम करने के लायक नहीं रह जाय? उसकी संपत्ति जप्त कर सरकारी खजाने में क्यों नहीं डाली जाती? अगर, नेता ऐसे मामले में दोषी पाया जाता है, तो उसके साथ भी वहीं किया जाना चाहिये। जो सख्ती का बखान हमने सरकारी कर्मियों के लिये किया है। ऐसे नेताओंं की राजनीतिक गतिविधियों के लिये सदा के लिये रोक लगाने के साथ ही उसे बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिेये। क्यों ऐसे लोगों को आम जनता के सर पर लादकर बेवजह उनका बजन बढ़ाया जा रहा है? सरकार अगर किसी भ्रष्ट व्यक्ति को पकड़ती है तो वह इसका ब्योैरा सार्वजनिक करें। साथ ही यह बताये कि उसपर क्या कार्रवाई की गई? उसे कितनी सजा दी गई? यह भी सार्वजनिक करें कि उसे नौकरी से निकाला या नहीं? बकायदा इसे अखबारों में इश्तहार के रूप में जारी करें, जिस प्रकार अन्य मामलों में वह डिफाल्टरों के बारे में जारी करती है। संपत्ति सगे संबन्धियों के नाम पर ही क्यों न हो जप्न्त करें। उसे उतनी ही संंपत्ति अपने पास रखने का अधिकार हो जितना उसने
अपने पसीने से बनाया हो। ऐसे लोगों के लिये इतनी कठोर सजा का प्रावधान हो कि भविष्य में कोई दूसरा ऐसा करने का प्रयास न करें। जबतक इस तरह से सरकार कठोर नहीं होगी, ऐसे भ्रष्ट धन पुत्र सामने आते रहेंगे। ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई नहंी करने का ही नजीजा है कि बेरोजगारों के लिये सीट खाली नहीं हो रही। अगर सरकार भ्रष्टों को एक- एक कर नौकरी से निकालना शुरू करें या 'ऑपरेशन क्लीनÓ शुरू करें, तो कल से देखिये देश में लाखों नवयुवको को रोजगार मिलने लगेगा!
कौन करेगा यह आपरेशन? सभी तो चोर चोर मौसरे भाई हैं।
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