राष्ट्र का पौने दो लाख करोड़ रूपये डकार लिया, फिर भी तना है सीना!
रायपुर दिनांक १७ नवंबर।
राष्ट्र का पौने दो लाख करोड़ रूपये
डकार लिया, फिर भी तना है सीना!
सब कुछ खा -पीकर डकारने के बाद हमारे नेता कहते हैंं कि हमने कुछ नहीं खाया,चाहों तो हमारा पेट काट कर देख डालों। मंत्री पद से हाल ही बेदखल हुए केन्द्रीय संचार मंत्री ए. राजा सीना ठोककर यह कहते हुए घूम रहे है कि उन्होंने कुछ गलत नहंीं किया। कैग की रिपोर्ट कहती है कि २जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले से देश को १.७६ लाख करो$ड रुपये का नुकसान हुआ। राजा ने नहीं खाया तो इतने पैसे का बाजा कैसे बजा? कौन खा रहा है देश का पैसा? क्यों ऐसे नेताओं को रााष्ट्र का पैसा खाने के बाद खुले आम घूमने की इजाजत दी जा रही? क्यों नहीं ऐसे लोगों के खिलाफ सेना में कोर्ट माश्रल की तरह देश की संपंत्ति हड़पने और देश की जनता को धोखे में रखकर उनका पैैसा खाने का मुकदमा कायम किया जाता? क्या देश की जनता के गले यह बात नहीं उतरती कि छोटी छोटी पार्टियां और उसके नेता सरकार में शािमल होने के लिये क्यों ललचाते हैं और मलाईदार विभाग हड़पने के लिये हाय तौबा करते हैं? मनमोहन ंिसंह सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप में शशि थरूर को तत्काल बर्खास्त कर दिया लेकिन राजा के मामले में उसने इतना समय क्यों लगाया जबकि राजा पर तो थरूर से भी बड़ा गंभीर आरोप है। सराकार को मालूम था कि राजा ने बड़ा अपराध किया है किंतु डीएमके समर्थन वापस लेती है तो इस स्थिति में सरकार को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। सत्ता बचाने के लिये भ्रष्टाचारी को बचाकर मनमोहन सिंह सरकार ने भी रिश्वत खोर का साथ नहीं दिया?राजा की पूरी अकड़ अपने आका डीएमके नेता करूणानिधि के कारण है चूंकि वे जानते हैं कि करूणनिधि के रहते उनका कोई बाल बांका नहीं कर सकता। ऐसी स्थिति हमारे देश के कई नेताओं के साथ है जिनपर किसी न किसी बड़े नेता की छाया रहती है और इसकी आड़ में कुछ भी करते हैं। राजा पर स्पेक्ट्रम घोटाले का आरोप बहुत पहले से लगा हुआ था। विपक्ष की लाख मांग के बावजूद वे जहां इस्तीफा नहीं देने की बात पर अडे हुए थे वहीं करूणानिधि ने भी अडियल रवैया अख्तियार कर रखा था। यह जानते हुए भी कि राजा स्पेक्ट्रम घोटाले में आंकठ डूबे हुए हैं उसके बाद भी वे कौन से कारण हैं जिसके चलते करूणानिधि अपने मोहरे को बचाने में लगे रहे, इसका अर्थ भी साफ है कि डीएमके पार्टी के लोग भी इस पूरे घोटाले में राजा के साथ भागीदार बने रहे हैं और उनको ंइसके लिये पूरी छूट देते रहे हेैं। संपूर्ण देश को हिलाकर रख देने वाले इस संचार घोटालेे ने यह तो साबित कर दिया है कि देश भ्रष्टाचार के प्रकरण में आंकठ डूब गया है। लोग लाख चिल्लते रहे, ऐसे भ्रष्टाचार मामलों का वही हश्र होता रहा है जो पूर्व के प्रकरणों का हुआ है। एक पूर्व संचार मंत्री पहले भी इसी प्रकार भ्रष्टाचार में बुरी तरह फंसे थे उनका क्या हुआ? उनके तो घर से भी इतना नगद बरामद हुआ था कि सीबीआई को सम्हाले नहीं सम्हल रहा था। ससंद में इससे पहले भी वर्तमान सत्तारूढ पार्टी और आज जो विपक्ष में बैठे चिल्ला रहे हैं उनके समय भी इसी तरह के घाोटालों के कारण ससंद की कार्रवाई बाधित होती रही है किंतु जिस भ्रष्टाचार को लेकर हंगामा होता रहा है। भ्रष्टाचार में लिप्त कोई भी नेता जेल के सीकचों के पीछे नहीं भेजा गया। चूंकि जांच की प्रक्रियाएं ही इतनी लम्बी चलती है कि जनता की बात तो छोडिय़ें सरकारें भी भूल जाती है कि क्या हुआ था।
राष्ट्र का पौने दो लाख करोड़ रूपये
डकार लिया, फिर भी तना है सीना!
सब कुछ खा -पीकर डकारने के बाद हमारे नेता कहते हैंं कि हमने कुछ नहीं खाया,चाहों तो हमारा पेट काट कर देख डालों। मंत्री पद से हाल ही बेदखल हुए केन्द्रीय संचार मंत्री ए. राजा सीना ठोककर यह कहते हुए घूम रहे है कि उन्होंने कुछ गलत नहंीं किया। कैग की रिपोर्ट कहती है कि २जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले से देश को १.७६ लाख करो$ड रुपये का नुकसान हुआ। राजा ने नहीं खाया तो इतने पैसे का बाजा कैसे बजा? कौन खा रहा है देश का पैसा? क्यों ऐसे नेताओं को रााष्ट्र का पैसा खाने के बाद खुले आम घूमने की इजाजत दी जा रही? क्यों नहीं ऐसे लोगों के खिलाफ सेना में कोर्ट माश्रल की तरह देश की संपंत्ति हड़पने और देश की जनता को धोखे में रखकर उनका पैैसा खाने का मुकदमा कायम किया जाता? क्या देश की जनता के गले यह बात नहीं उतरती कि छोटी छोटी पार्टियां और उसके नेता सरकार में शािमल होने के लिये क्यों ललचाते हैं और मलाईदार विभाग हड़पने के लिये हाय तौबा करते हैं? मनमोहन ंिसंह सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप में शशि थरूर को तत्काल बर्खास्त कर दिया लेकिन राजा के मामले में उसने इतना समय क्यों लगाया जबकि राजा पर तो थरूर से भी बड़ा गंभीर आरोप है। सराकार को मालूम था कि राजा ने बड़ा अपराध किया है किंतु डीएमके समर्थन वापस लेती है तो इस स्थिति में सरकार को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। सत्ता बचाने के लिये भ्रष्टाचारी को बचाकर मनमोहन सिंह सरकार ने भी रिश्वत खोर का साथ नहीं दिया?राजा की पूरी अकड़ अपने आका डीएमके नेता करूणानिधि के कारण है चूंकि वे जानते हैं कि करूणनिधि के रहते उनका कोई बाल बांका नहीं कर सकता। ऐसी स्थिति हमारे देश के कई नेताओं के साथ है जिनपर किसी न किसी बड़े नेता की छाया रहती है और इसकी आड़ में कुछ भी करते हैं। राजा पर स्पेक्ट्रम घोटाले का आरोप बहुत पहले से लगा हुआ था। विपक्ष की लाख मांग के बावजूद वे जहां इस्तीफा नहीं देने की बात पर अडे हुए थे वहीं करूणानिधि ने भी अडियल रवैया अख्तियार कर रखा था। यह जानते हुए भी कि राजा स्पेक्ट्रम घोटाले में आंकठ डूबे हुए हैं उसके बाद भी वे कौन से कारण हैं जिसके चलते करूणानिधि अपने मोहरे को बचाने में लगे रहे, इसका अर्थ भी साफ है कि डीएमके पार्टी के लोग भी इस पूरे घोटाले में राजा के साथ भागीदार बने रहे हैं और उनको ंइसके लिये पूरी छूट देते रहे हेैं। संपूर्ण देश को हिलाकर रख देने वाले इस संचार घोटालेे ने यह तो साबित कर दिया है कि देश भ्रष्टाचार के प्रकरण में आंकठ डूब गया है। लोग लाख चिल्लते रहे, ऐसे भ्रष्टाचार मामलों का वही हश्र होता रहा है जो पूर्व के प्रकरणों का हुआ है। एक पूर्व संचार मंत्री पहले भी इसी प्रकार भ्रष्टाचार में बुरी तरह फंसे थे उनका क्या हुआ? उनके तो घर से भी इतना नगद बरामद हुआ था कि सीबीआई को सम्हाले नहीं सम्हल रहा था। ससंद में इससे पहले भी वर्तमान सत्तारूढ पार्टी और आज जो विपक्ष में बैठे चिल्ला रहे हैं उनके समय भी इसी तरह के घाोटालों के कारण ससंद की कार्रवाई बाधित होती रही है किंतु जिस भ्रष्टाचार को लेकर हंगामा होता रहा है। भ्रष्टाचार में लिप्त कोई भी नेता जेल के सीकचों के पीछे नहीं भेजा गया। चूंकि जांच की प्रक्रियाएं ही इतनी लम्बी चलती है कि जनता की बात तो छोडिय़ें सरकारें भी भूल जाती है कि क्या हुआ था।
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