"Now what do you regret, Chidiya is devoured field!" “अब पछतायें होत क्‍या, चिडिया चुग गई खेत!”

 



अब पछतायें होत क्‍या, चिडिया चुग गई खेत!”

चुनाव के समय एक दूसरे का गुणगान करने वाले बिहार के कतिपय यौद्वा मायूस होकर अब हार का ठीकरा एक दूसरे पर फोडने में लगे हैं:बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लडे महागठबंधन को मिली पराजय के लिए आरजेडी ने सीधे तौर पर कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है: आरजेडी के वरिष्ठ नेता हैं शिवानंद तिवारी: उन्‍होंने बिहार विधानसभा चुनाव में करीबी लड़ाई में मिली हार का ठीकरा राहुल गांधी और कांग्रेस पर फोड़ा है: तिवारी ने कहा कि जब बिहार में चुनाव अपने पूरे शबाब पर था, तब राहुल गांधी शिमला में प्रियंका गांधी के फार्म हाउस पर पिकनिक मना रहे थे साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव में प्रियंका गांधी ने कोई रैली नहीं की और ऐसे लोगों को प्रचार के लिए भेजा गया, जिन्हें बिहार के बारे में कुछ पता ही नहीं था:बिहार चुनाव के परिणाम के बाद अब नई सरकार भी अस्थित्‍व मे आ चुकी है वहीं अब आरजेडी की तरफ से हार के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताया है:दूसरी ओर पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी भी अपनी कुर्सी खोने से खीजे हुए हैं: आरजेडी नेता तिवारी  ने कांग्रेस पर सवाल किया कि  क्या पार्टी ऐसे चलती है? कांग्रेस ने जिस तरह से चुनाव लड़ा, उससे बीजेपी को ही फायदा पहुंचा: उन्होंने

70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन 70 रैलियां भी नहीं की, जो लोग बिहार को जानते नहीं थे, उनके हाथ में प्रचार की कमान थी राहुल गांधी ने बिहार का सिर्फ तीन दिन दौरा किया जबकि प्रियंका गांधी तो आईं भी नहीं :'बुरी तरह झल्‍लाये तिवारी  ने कांग्रेस के संबन्‍ध में कहा कि उसका जोर हमेशा ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का रहता है लेकिन जिस तरह वह चुनाव लड़ती है, उससे सहयोगियों को ही नुकसान पहुंचता है: कांग्रेस को अपनी इस रणनीति के विषय में विचार करना चाहिए: यह पहली बार है जब आरजेडी या महागठबंधन की तरफ से हार के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया गया है: महागठबंधन के सहयोगियों में कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे खराब था:बीजेपी ने हालाकि राष्‍ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर सरकार बना ली और नीतीश कुमार के हाथ में कमान सौंप दी परन्‍तु यहां भी सब ठीकठाक नहीं दिख रहा: तीन दशक से अधिक समय से बिहार भाजपा के बड़े चेहरे के रूप में स्थापित रहे सुशील कुमार मोदी पहली बार राज्य सरकार में शामिल नहीं किये गये:उपमुख्यमंत्री पद से बेदखल किये जाने के पार्टी नेतृत्व के फैसले से वे निराश भी दिखे:उन्होंने एक ओर आभार जताया तो दूसरी ओर यह भी कहा कि पद रहें या न रहें, कार्यकर्ता का पद कोई नहीं छीन सकता:भाजपा के दायरे में चल रही चर्चाओं के मुताबिक, उपमुख्यमंत्री के रूप में 11 वर्षों से अधिक समय तक बिहार की सत्ता का प्रमुख चेहरा रहे सुशील मोदी को अब राज्यपाल या केंद्र में कोई बड़ी जिम्मेवारी देकर एडजस्ट किया जा सकता है: बताया जाता है कि इन्हें राज्य की राजनीति से अलग करने की पटकथा उसी दिन लिखी गई, जब वे अचानक दिल्ली गए:वहां से वापस आते ही साफ हो गया कि वे अब राज्य की राजनीति में अधिक सक्रिय नहीं रहेंगे संभवत: पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उनके लिए कुछ और बेहतर सोचा है, यही बात केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की बातों से भी लगता है:पार्टी नेतृत्व के इस फैसले से दो बातें साफ हो गई पहला यह कि सरकार में व्यक्ति के बदले संगठन को महत्व दिया गया: भाजपा समय-समय पर विभिन्न राज्यों की राजनीति में यह प्रयोग करती रही है, बिहार और सुशील मोदी प्रकरण को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है: इस प्रयोग में पार्टी के जाने-अनजाने चेहरे को सत्ता की कमान सौंपकर पार्टी नया संदेश देने में भी कामयाब हुई है: दूसरा यह कि भाजपा में परिवार व वंशवाद के बदले कार्यकर्ताओं को महत्व दिया जाता है: बिहार में सीएम नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री के रूप में सुशील कुमार मोदी की जोड़ी सबसे हिट रही है दोनों भले ही अलग-अलग दलों में रहें लेकिन सोच में कोई अंतर नहीं था यही कारण है कि जदयू व भाजपा दल के रूप में अलग होने के बावजूद एनडीए सरकार के फैसलों के क्रियान्वयन में कोई अंतर नहीं रहा: मोदी 1990 में पहली बार पटना मध्य से विधायक बने  पहली बार वर्ष 2000 में जब नीतीश कुमार सात दिनों के लिए सीएम बने थे तो उस समय सुशील कुमार मोदी संसदीय कार्य मंत्री बने:  जब नवम्बर 2005 में एनडीए सरकार सत्ता में आई तो वे बिहार के तीसरे उपमुख्यमंत्री बने वे इस पद पर जून 2013 तक बने रहे: अगस्त 2017 में जब फिर से बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो वे फिर से उपमुख्यमंत्री बने: जेपी आंदोलन की उपज मोदी लालू-राबड़ी राज और महागठबंधन सरकार के समय नेता प्रतिपक्ष भी रहे:हालाकि अब सुशील मोदी का बिहार से पत्‍ता कटता नजर आ रहा है लेकिन जाते जाते उन्‍होंने नेता प्रतिपक्ष नेता तेजस्वी यादव को आडे हा‍थ लेते हुए आरोप लगाया कि जिनके माता-पिता के राज में लाखों लोगों को बेरोजगारी के चलते बिहार में अपना गांव-घर छोड़कर रोजी-रोटी कमाने के लिए पंजाब, दिल्ली, मुम्बई और गुजरात तक पलायन करना पड़ा, वे बताएं कि राज्य में 15 साल तक विकास ठप क्यों पड़ा रहा:जिन्होंने कभी बेरोजगारी नहीं झेली और जो बिना किसी रोजगार के करोड़ों की सम्पत्ति के मालिक बन गए, उन्हें दूसरों पर टिप्पणी करने के बजाए युवाओं की बेरोजगारी दूर करने का व्यवहारिक रोडमैप प्रस्तुत करना चाहिए: राजद के पास बड़ी लकीर खींचने का हुनर नहीं, केवल दूसरों की लकीर मिटाने की तिकड़मबाजी बची है:


  
"Now what do you regret, Chidiya is devoured field!"

Some of the youths of Bihar, who sing the praises of each other at the time of election, are now desperate to throw defeat on each other: RJD directly responsible for the defeat of the Congress-led Mahagathbandhan led by Tejashwi Yadav in Bihar Ordained: Senior RJD leader Shivanand Tiwari: He has blamed Rahul Gandhi and Congress for the defeat in the Bihar assembly elections in close fight: Tiwari said that when the election in Bihar was in full swing, Rahul Gandhi in Shimla Priyanka was having a picnic at Gandhi's farm house and also said that in the Bihar election, Priyanka Gandhi did not hold any rally and sent people who did not know anything about Bihar: Bihar election results After the new government has also come into existence, now the RJD has blamed the Congress for the defeat: On the other hand former Deputy Chief Minister Sushil Modi is also upset with losing his chair: RJD leader Tiwari questioned Congress Does the party go on like this? The way the Congress contested, the BJP benefited from this: they had contested 70 assembly seats but did not even hold 70 rallies, those who did not know Bihar, had the command of Rahul Gandhi to campaign in Bihar Visited only three days, even though Priyanka Gandhi did not come: 'Tiwari, badly confused, said in relation to the Congress that her emphasis is always on contesting more seats but the way she contests, it only hurts the allies. Is: Congress should think about its strategy: This is the first time Congress has been held responsible for defeat on behalf of RJD or Mahagathbandhan: Congress performance was worst among allies of Mahagathbandhan: BJP though national Formed the government with the Janata Dal and handed over the command in the hands of Nitish Kumar, but here too all is not well: Sushil Kumar Modi, who was established as the big face of Bihar BJP for more than three decades Not included: To be evicted from the post of Deputy Chief Minister He was also disappointed with the decision of the party leadership: He expressed gratitude on the one hand and on the other hand he said that no one can take away the post of the worker or not: according to the discussions going on within the BJP, as Deputy Chief Minister Sushil Modi, who was the head of Bihar's power for more than 11 years, can now be adjusted by giving him a big responsibility in the Governor or at the Center: It is said that the script to separate him from the politics of the state was written on the same day, When he suddenly went to Delhi: It was clear from coming back that he would no longer be more active in the politics of the state, perhaps the central leadership of the party thought something better for him, the same thing from Union Minister Giriraj Singh. It seems: This decision of the party leadership made two things clear. First, the importance was given to the organization rather than the person in the government: BJP has been using this in the politics of different states from time to time, Bihar and Sushil Modi case The same is being seen by adding to this: In this experiment, by handing over the command of power to the known and unknowing face of the party. Tea has also been successful in delivering a new message: the second is that in BJP, importance is given to workers instead of family and dynasty: in Bihar CM Nitish Kumar and Sushil Kumar Modi's pair as Deputy Chief Minister have been the biggest hit even though both are different. Stay in separate parties but there was no difference in thinking, that's why despite the separation of JDU and BJP party, there was no difference in the implementation of the decisions of the NDA government: Modi became the first MLA from Patna Central in 1990. In the year 2000, when Nitish Kumar became CM for seven days, then Sushil Kumar Modi became the Minister of Parliamentary Affairs: When the NDA government came to power in November 2005, he became the third Deputy Chief Minister of Bihar, he remained in this post till June 2013. : When the NDA government was again formed in Bihar in August 2017, he again became the Deputy Chief Minister: Modi was the leader of the JP Movement and was also the Leader of Opposition during the Lalu-Rabri Raj and Mahagathbandhan government: However, now Sushil Modi's leaves from Bihar are seen Has been going on but he keeps on opposing the leader of opposition, Tejashwi Yadav A. Alleged that under the rule of his parents, due to unemployment, millions had to leave their villages and homes in Bihar and migrate to Punjab, Delhi, Mumbai and Gujarat to earn a living, tell that for 15 years in the state Why Development Stalled: Those Who Never Faced Unemployment and Who Owned Crores of Property Without Employment, Must Present a Behavioral Roadmap to End Youth Unemployment Instead of Commenting on Others: RJD Pulls Big Streak Is not a skill, only the trick of erasing the streak of others remains:

 

 

 

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