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अगस्त, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

छत्‍तीसगढ के स्‍कूलों में अब नहीं ली जा सकेगी मनमानी फीस !

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    छत्‍तीसगढ के स्‍कूलों में अब नहीं ली जा सकेगी मनमानी फीस !   वै से तो देशभर में स्‍कूल फीस अभिभावकों के लिये एक समस्‍य बनती आई है लेकिन अब कम से कम छत्‍तीसगढ सरकार ने तो इसपर संज्ञान लिया है: पालकों की समस्‍याओं को समझते हुए विधानसभा के मानसून सत्र में छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन विधेयक 2020 बहुमत से पारित हो गया है इससे अब स्कूलों में फीस तय करने का काम स्‍कूल नहीं उसमें पढने वाले बच्‍चों के अभिभावक तय करेंगे इसके लिये एक समिति बनाई जाएगी , वही निजी स्कूलो की फीस तय करेगी:पालकों की शिकायत को दूर करने और फीस को नियंत्रित करने विधेयक लाया गया है: फीस पर नियंत्रण रखने के लिए तीन समिति बनेगी , यह समिति स्कूल , जिला और राज्य स्तर पर बनाई जाएगी: विद्यालय फीस समिति का अघ्‍यक्ष जिले का कलेक्टर होगा: समिति में कलेक्टर द्वारा नामांकित नोडल अधिकारी , प्राथमिक शाला , माध्यमिक शाला , उच्च माध्यमिक शाला और उच्चतर माध्यमिक स्कूल से एक-एक अभिभावक सदस्य होंगे ज‍बकि संबंधित अशासकीय विद्यालय के प्राचार्य सदस्य सचिव होंगे:कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला फीस समिति के सदस...

‘समानांतर मुकदमा’ न चलाए मीडिया!

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  ‘ समानांतर मुकदमा ’ न चलाए मीडिया ! Media should not run parallel case पिछले कुछ दिनों से लोग अभिनेता   सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस पर अदालतो से अलग एक समानांतर मुकदमा देखते रहे: कइयों ने इसे देखकर न केवल आश्‍चर्य प्रकट किया बल्कि इसे मीडिया का अनावश्यक दखल भी कहा: वास्‍तव में यह क्‍या था और क्‍यों किया गया यह सोचने का विषय है टीवी स्‍क्रीन पर कुछ चैनलों द्वारा एक किसी आपराधिक मामले की रनिंग कामेन्‍ट्री अपने आप में सोचने का विषय था: कुछ अच्‍छी बाते भी हुई जिसमें कुछ विद्वानों और कानून के जानकारों ने ऐसा करने वालो पर न केवल तंज कसा बल्कि फटकार भी लगाई:एक बहुत बडे एडवोकेट ने तो इसपर कह ही दिया कि में तो ऐसा पहली बार देख रहा हूं जहां आरोप लगने वालों को पहले ही दोषी करार दे दिया गया यहां तक कि सजा भी मुकर्रर कर दी गई जबकि एक अन्‍य एडवोकेट ने   पूछा देश में और कितनी एजेंसियां है जिससे इस मामले की  जांच कराने की जरूरत है क्‍या सेना की जरूरत पडेगी ? :यह दिलचस्‍प किस्‍से स्‍वतंत्र भारत में जहां प्रेस और मीडिया को काम करने की पूरी छूट है मिला लेकिन ऐसा भी पहली बार लगा...

गो धन न्‍याय: पशुपालको के चेहरे खिले

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  गो धन न्‍याय: पशुपालको के चेहरे खिले   छत्‍तीसगढ में गाय भैस पालने वालो के लिये एक समस्‍या थी उनसे‍ निकलने वाले गो‍बर की : वे इसे या तो अपनी बाडी में ही फेक दिया करते थे या फिर कंडा या छेना बनाकर रख देते थे ताकि जरूरत के वक्‍त इसका उपयोग कर सके लेकिन उनने यह कल्‍पना भी नहीं की थी कि गोबर उनकी आमदनी का जरिया बनेगा: गोबर पर योजना बनाते समय कई लोगो ने यह सोचा होगा कि यह क्‍या पागलपन है लेकिन इस योजना के साकार होने के बाद अब लोगों को लगने लगा है कि वास्‍तव में हम एक अच्‍छे कदम पर आगे बढे हैं: गोधन न्याय योजना ने पशुपालकों , किसानों और महिलाओं के लिए अतिरिक्त आमदनी का रास्‍ता खोल दिया:  पशुपालको के सामने सबसे बडी समस्‍या रहती है जानवरों के इलाज और चारे की इस योजना से वे इस समस्‍या से बहुत हद तक निपटने में तो कामयाब हो रहे हैं साथ ही दूध के साथ अतिरिक्‍त आमदनी भी प्राप्‍त्‍ कर रहे हैं: सरकार को चाहिये कि जो पशुपालक डन्‍हे गोबर देते हैं उन्‍हें इस बात के लिये भी प्रेरित करें कि वे अपने गोठानों के साथ साथ मुर्गी पालन , बकरी पालन और संभव हो तो मछली पालन को भी बढावा दे ताकि...

क्‍यों नहीं बन पाया रायपुर देश में अव्‍वल?

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  क्‍यों नहीं बन पाया रायपुर देश में अव्‍वल ? कौन है इसके लिये जिम्‍मेदार ! राजधानी को सुधारने के पहले क्‍या नई   राजधानी जरूरी थी ? एम:ए:जोसेफ जब मध्‍यप्रदेश का एक बडा शहर इन्‍दौर और छत्‍तीसगढ में एक छोटा सा शहर अंबिकापुर देश में स्‍वच्‍छता का सर्वश्रेष्‍ठ उदाहरण बन सकता है तो इस राज्‍य की राजधानी रायपुर में कौन से गुणों का अभाव है जो यह देश में सर्वोच्‍च स्‍थान नहीं पा सका ?  यह एक ऐसा प्रशन है जिसका उत्‍तर यहां के कर्ताधर्ताओं के पास है लेकिन उसका उत्‍तर देने में वे या तो मुंह छिपा रहे हैं या अपनी ढीली कर्तव्‍य निष्‍ठा पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं:एक सामान्‍य सा आदमी भी इस बात का अंदाज लगा सकता है कि यह यहां के कतिपय वार्डो में व्‍याप्‍त गंदगी ,  विकास में देरी और निगम के निकम्‍मेपन का ही परिणाम है जिसे छिपाने के लिये  बहाने बनाये जाते हैं:अब यह खोज निकालने का समय है कि इस शहर में क्‍या खामियां है जिससे हम लगातार अपने हक को खोते चले जा रहे हैं:हमें इस बात का संतोष है कि छत्‍तीसगढ ने देश में सर्वोच्‍च सुन्‍दर राज्‍य का दर्जा हासिल किया है लेकिन क्‍या हम ...