इतनी धन- संपदा कि..फटी रह गई लोगों की आंखें...!
अब यह बात लगभग साफ होने लगी है कि विदेशों में जमा काले धन से कुछ ज्यादा
ही माल हमारे देश के कतिपय परिवारों ने जमा कर रखा है. बिहार के पूर्व
मुख्यमंत्री और रेल मंत्री जैसा महत्वपूर्ण विभाग सम्हालने वाला व्यक्ति
भले ही यह कहें कि उनपर कार्रवाही राजनीति
क बदले की भावना से की गई है तो विश्वास करने वाली बात इसलिये भी नहीं है
कि छापेमारी के बाद जिस प्रकार दस्तावेज में संपत्ति का ब्योैरा निकलकर
सामने आ रहा है वह देश को चौका रहा है.पूर्व मुख्यमंत्री पर करोड़ों रूपये
के चारा घोटाले का दाग पहले से लगा हुआ है और यह मामला अब भी पेन्डिंग है.
किसी समय देश का बजट इन महानुभावों की संपत्ति के बराबर हुआ करता था जो अब
पता चल रहा है कि किस प्रकार लोग सत्तासीन होने के बाद अपनी संपत्त्ति को
दुगना- तिगुना करने में लगे रहते हैं.अपने स्वार्थ के लिये देश के लोगों की
खरे पसीने की कमाई को यूं दबा देना तो जनता कतई बर्दाश्त नहीं करेगी.
सरकार को निष्पक्षता से और भी ऐसे कई लोगों को बेनकाब करने की जरूरत है जो
देश को खोखला करने में लगे हैं. छापे की कार्रवाही में कोई संदेह नहीं कि
काफी सोच समझकर और प्राप्त सबूतों के आधार पर की गई साथ ही इस बात का
प्रयास भी किया गया कि छापेमारी के दौरान किसी प्रकार का माहौल न बिगडऩे
पाये चूंकि मामला बिहार के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति का है. बिहार में भा
जपा नेता सुशील कुमार मोदी बार बार आरोप लगाते रहे हैे कि पूर्व
मुख्यमंत्री व उनके परिवार के लोगों ने करोडा़ें रूपये की संपत्ति गैर
कानूनी तरीके से एकत्रित कर रखी है लेकिन उनके इन आरोपों को प्राय: लोगों
ने सीरियसली नहीं लिया. सरकार का दावा है कि उसने जो भी कार्यवाही की उसकी
संपूर्ण जानकारी बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री को दे दी थी जबकि उनकी
पार्टी के नेता इसे गलत बता रहे हैं. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के
कार्यालय से गुरुवार की देर रात बिहार के मुख्यमंत्री को एक फोन गया और
उन्हें बताया गया कि कथित लैंड फॉर होटल स्कैंडल में केंद्रीय जांच एजेंसी
सीबीआई उनकी सरकार में उपमुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख के ठिकानों पर
छापेमारी करने वाली है. सीबीआई को इस बात का डर था कि छापेमारी के दौरान
बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है. इसलिए सीबीआई ने
प्रधानमंत्री ऑफिस (पीएमओ) से गुजारिश की कि वे बिहार सरकार को इस बारे में
सूचित कर दें कि पूर्व मुख्यमंत्री और उनके बेटे की प्रॉपर्टी और घर पर
छापेमारी होने वाली है. बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री
के बीच कुछ समय से संबन्ध नरम गरम चल रहे हैं राजद नेता महागठबंधन भी खतरे
में हैं ऐसे में छापे के ऐन वक्त मुख्यमंत्री स्वास्थ्य
लाभ के लिए गुरुवार की दोपहर राजगीर चले गए. हालांकि उनके ऑफिस ने कोई
कारण नहीं बताया- मुख्यमंत्री के विरोधी इसके पीछे दो वजह बता रहे हैं.
पहला यह कि विपक्ष की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार से वह मिलना
नहीं चाहते थे और दूसरा यह कि उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री के ठिकानों पर
छापेमारी की पहले से जानकारी थी.2015 में जेडीयू, कांग्रेस और वर्तमान
मुख्यमंत्री के धुर विरोधी पूर्व मुख्यमंत्री ने बिहार में महागठबंधन बनाया
और बीजेपी को रौंदते हुए बिहार में सरकार बनाई.शुक्रवार को सीबीआई के छापे
ऐसे वक्त पड़े हैं, जब 2015 के महागठबंधन के बाद महागठबंधन को जोडऩे वाली
डोर बहुत कमजोर हो गई है.महागठबंधन में दरार पडऩा बीजेपी के लिए मौके की
तरह है. और यह बात खुलकर सामने आ गई है, जब मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने
एनडीए के राष्ट्रपति पद उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन करने का फैसला
किया तथा जीएसटी मिडनाइट सेशन में हिस्सा लेने के लिए भी अपने
प्रतिनिधिमंडल को भेजा, जबकि विपक्ष की बॉयकॉट की अपील को खारिज कर दिया.दो
दिन पहले नीतीश कुमार ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा था कि विपक्ष की
एकजुटता बनाए रखने में कांग्रेस नाकाम रही है और बीजेपी के खिलाफ उसका कोई
कोर एजेंडा नहीं है.बहरहाल राजनीतिक तिकड़मबाजी तो चलती रहेगी लेकिन इस
छापेमारी की खासियत यही है कि जनता को अपने नेताओं में से कुछ का तो असली
चेहरा जानने का मौका मिला. इस गहरे समुन्द्र में अभी बहुत सारी मछलियां है
जिसने जनता का पैसा खूब डकारा है. वे इस छापे के बाद डरे हुए है कि कहीं अब
इस जाल में उनका नंबर भी न आ जाये. भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद अब बिहार
की राजनीति गर्म हो गई है मुख्यमंत्री की तबियत खराब हो गई है आज के उनके
सारे कार्यक्रम रद्द कर दिये गये हैं वे इस संपूर्ण एपीसोड पर मुंह खोले
बगैर बैठे हैं जबकि पूर्व मुख्यमंत्री सक्रिय हैं और अपने बेटे व परिवार को
बचाने ऐडी चोटी एक कर रहे हैं. अपनी पार्टी की बैठक भी उन्होंने बुला रखी
है. यह निश्चित है कि आगे के दिनों में इस पूरे कांड को लेकर बहुत बड़ी
राजनीतिक सुनामी आयेगी.
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