आजादी के अड़सठ साल-कुछ लोग सोने की थाली में पैदा हुए तो कुछ धोखा देकर बन गये कुबेर

  आजादी के अड़सठ साल-कुछ लोग सोने की थाली में पैदा हुए तो कुछ धोखा देकर बन गये कुबेर

23 फरवरी 2017   |  एंटोनी जोसफ


सोचिये!!अगर देश के कतिपय कर्ताधर्ता ईमानदार होते और देश का पैसा देश के लोगों के हित में लगाते तो आज हमारे देश की खुशहाली कैसी रहती? सन् 1947 को देश आजाद होने के बाद से ही देश के अपने लोग ही देश को लूटकर खाने लगे इसमें जहां कतिपय नेता तो थे ही साथ ही ब्यूरोक्रेटस और निचले स्तर के अधिकारियों यहां तक कि तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों तक ने भी इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी.

आजादी के अड़सठ साल-कुछ लोग सोने की थाली में पैदा हुए तो कुछ धोखा देकर बन गये कुबेर और कुछ ने सत्ता पाने के बाद देश को ही बेच डाला

कोई रिश्वतखोरी के जरिये देश की गरीब जनता को चूसने लगा तो किसी ने तो उसकी साारी जायदाद और संपत्ति ही हड़प कर उसे कहीं का न छोड़ा. अंग्रेज जब देश को छोड़कर गये तो देश में मुश्किल से कुछ ही करोडपति थे लेकिन आज करोड़पति की बात छोडियें अरबपति भी इतने हो गये कि उंगलियों पर तो गिने ही नहीं जा सकते. हम यह नहीं कहते कि सारे करोडपति या अरबपति बनने वाले देश को लूटकर सफेद नहीं बने लेकिन कई ऐसे हैं जिन्होनें देश को चूना लगाया और जिनका उस पैसे पर हक था, उन्हें न केवल नंगा-भूखा छोड़ दिया बल्कि उनके पास रहा सहा रूपया पैसा और यहां तक कि तन का कपड़ा और सर की छत तक से बेदखल कर दिय.सन् 1947 में आजादी मिलते ही नई सरकार या कहे कि हमारी सरकारों का गठन शुरू हो गया तथा एक के बाद एक स्केम या घोटाले की शुरूआत हो गई.

पहला घोटाला सन् 1948 में अस्सी लाख रूपये के जीप घोटाले के रूप में सामने आया, इसके बाद तो घोटालो की बाढ़ सी लग गई.1956 में पचास लाख रूपये का भू घोटाला हुआ फिर 1957 में सामने आया 1.2 करोड़ रूपये का पूंदड़ा स्केण्डल, उसके बाद हुआ 1960 का तेजा स्केण्डल जिसमें सरकार या जनता के 22 करोड़ रूपये का चूना लगा.1976 में 2.2 करोड़ रूपये का केयूओ आईल स्केण्डल हुआ. इसके बाद तो घोटालों का बाजार उफान पर हो गया. 1987 में बीस करोड़ के एचडीडब्लू घोटाले ने तो देश को हिलाकर रख दिया. आबादी कम थी लेकिन घोटाला करोड़ों में होने लगे.सन. 1987 में राजीव गांधी सरकार के दौरान बोफोर्स कांड ने यह बता दिया कि देश का पैसा किस तरह यूं ही बरबादी की ओर जा रहा है.1989 में सेट किट्स फोर्जरी या धोखाधड़ी का खेल हुआ, इसमें देश को 45 करोड़ रूपये से हाथ धोना पड़ा. 1990 में 2.5 करोड़ के एयर बस स्केण्डल को भी जनता ने अखबारों में चटखारे लेकर पड़ा.

हमने जिन लोगों को सत्ता सौंपी वे हमें क्या सिला दे रहे हैं यह बात चर्चा में आने लगी. 1991 आते आते देश की जनता को यह भी पता लग गया कि वह अब किसी पर विश्वास नहीं कर सकती. इस बार तेलगी घोटाले में जनता के 43हजार करोड़ करोड़ रूपये गये थे.फर्जी स्टैम्प पेपर से देश के खजाने को चूर चूर कर कतिपय व्यक्तियों ने जनता को गरीबी और भुखमरी तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.1992 में चार हजार का सेक्युरिटी स्कूेम,1992 में 300 करोड़ का इंडियन बैंक आरआईपी आँफ घोटाला और 1994 कर 650 करोड़ रूपये का चीनी आयात घोटाला भी कई दिनों तक लोगों कीर जुुबान पर रहा.सन् 1995 में नरसिंंहराव सरकार के कार्यकाल में 1.2करोड़ के जेएमएम घूस कांड़ को भी भारत की जनता ने देखा. फिर 1995 में 1200 करोड़ रूपये का भंसाली घोटाले से अखबार के कालम भरते रहे.1996में दस लाख की पिकली स्केम और लालू प्रसाद यादव का 950 करोड़ का चारा घोटाला तथा 133 करोड़ का यूरिया घोटाला भी इसी साल हुआ.

1996 का साल तो जैसे घोटालों के उजागर होने के लिये ही आया था इसी साल 810 का हवाला कांड भी अस्तित्व में आया.2001 में एक करोड़ पचास लाख रूपये के चिट फंड घोटाले का उदय हुआ. अर्थ जगत में तहलका मच गया. 2002 में छै सौ करोड़ रूपये का होम टेड़ कांड,2006 में 61करोड़ का आईपीओ घोटाला और 2008 में पचास हजार करोड़ का अली खान टैक्स घोटाला हुआ.अबकी नई पीढ़ी जानती होगी कि देश का चौबीस हजार करोड़ रू पये 2008 में सत्यम घोटाले के साथ डूबत खाते में चला गया थ.2007 में चार हजार करोड़ डकार कर झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कोडा़ जेल गये. 2009 में कतिपय लोगों ने 2जी स्पेक्ट्रम घाोटाला कर 1,76,000करोड़ रूपये का घोटाला कर डाला. 2009 में ही पच्चीस सौ करोड़ रूपये के चावल घोटाले से देश की अर्थव्यवस्था चरमराई,सन् 2009 में उडीसा को सात हजार करोड़ रूपये का कोयला घोटाला सामने आया. 2010 में चालीस हजार करोड़ रूपये कामनवेल्थ गेम आयोजित करने वाले डकार गये 2011 में आंध्र प्रदेश का भूमि घोटाला करने वाले 209 करोड़ रूपये खा गये.2012 में कर्नाटक में भी बीस हजार करोड़ रूपये का भूमि घोटाला प्रकाश में आया. 2012 के भारतीय कोल माइंस घोटाले ने देश का विश्वास ही तोड़ दिय-जो करीब 1,85,591 करोड़ रूपये का था.

2013 में आयरन ओर हजम करने वालों का घोटाला सामने आया, करीब 29,236 करोड़ रूपये का घोटाला हुआ.2014 में दस हजार करोड़ दिल्ली जल बोर्ड वाले हजम कर गये.इसी साल उड़ीसा औद्योगिक भूमि बंधक कांड उजागर हुआ जिसमें करीब बावण हजार करोड़ का घोटाला हुआ.2015 एनटीसी भूमि घोटाला करने वाले 709 करोड़ हजम कर गये.इन सभी घोटालों का योग किया जाये. हम यहां विजय माल्या और अन्यों द्वारा आगे के वर्षो में कि ये का उल् लेख नहीं कर रहे हैं किन्तु जो घोटाले का उल्लेख किया वह 8,031,005,000,000 रूपये होता है. जनता को तय करना है कि हमारे इतने पैसे खाने वालों के साथ क्या होना चािहये. इतना पैसा देश के खजाने में रहता तो देश में गरीबी नहीं रहती, हम विश्व के सुपर पावर में से एक होते तथा सस्ती वस्तुए मिलती-डीजल पेट्रोल बहुत सस्ते में बिकता. लूट खसोट का बाजार अब भी जारी है जनता पिस रही है नेता, अफसर सब मोज कर रहे हैं.....!                               

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