उम्र कैद की सजा पर से संदेह खत्म! क्या फांसी की सजा पर भी सुको सज्ञान लेगी?
याकूब मेनन को फांसी से पहले व बाद से यह बहस का विषय है कि फांसी दी जानी चाहिये या नहीं अभी भी इसपर बहस जारी है लेकिन इस बीच उम्र कैद का मामला भी सुर्खियों में है कि आखिर उम्र कैद होती है, तो कितने साल की? यह माना जाता रहा है कि उम्र कैद का मतलब है- चौदह साल जेल लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि उम्र कैद चौदह साल नहीं बल्कि ताउम्र है याने अपराधी की जब तक जिंदगी है तब तक उसे जेल में ही काटनी होगी. छत्तीसगढ के धीरज कुमार, शैलेन्द्र और तीन दोषियों के मामले में याचिका पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और वी गोपाला गोवड़ा की बेंच ने समाज के एक वर्ग द्वारा फांसी की सजा के विरूद्व अभियान पर टिप्पणी करते हुए कहा की यह वर्ग चाहता है कि फांसी को खत्म कर उसकी जगह आजीवन कारावास की सजा दी जाये तथा स्पष्ट किया कि उम्र कैद का मतलब उम्र कैद होता है न कि चौदह साल. अपराधी जिसे उम्र कैद हुई है उसे अपनी पूरी उम्र सलाखों के पीछे बितानी होगी. इससे यह तो संकेत मिलता है कि भविष्य में फांसी को खत्म करने पर भी विचार किया जा सकता है. सर्वोच्च अदालत ने अब तक उम्र कैद के संबन...