खतरे बहुत हैं!....दो साल की सैनिक शिक्षा अनिवार्य करने में क्या हर्ज?
विश्व के कई देशों में प्राथमिक स्तर से ही बच्चों को सैन्य शिक्षा दी जाती है और स्कूली शिक्षा पूर्व होने पर सेना में सेवा देने का अवसर प्राप्त होता है लेकिन हमारे देश में जो शिक्षा दी जाती है वह रोजगार मूलक भी नहीं है देश के करोड़ो नवजवान ऐसी शिक्षा की डिग्री-डिप्लोमा लेकर बेरोजगार बैठे हैं, इसलिए दूसरे देशों की सैन्य शक्ति हमसे अधिक है। ऐसे देशों के खिलाफ उसके पड़ोसी देश कुछ बोलने से भी घबराते हैं. आज हमारी आवश्यकता विश्व के उन देशों की तरह सभी क्षेत्रों में शक्तिशाली बनने की है इसके साथ-साथ हमें अपनी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करना जरूरी है.इसमें दो मत नहीं कि हमारे देश की स्थल, वायु व जल सेना किसी से कम नहीं किन्तु आज हम जिस तरह चारों और पडौसी दुश्मनों और आतंकवाद से घिरे हुए है उस हिसाब से हमारी सैन्य शक्ति उतनी नहीं है जितनी होनी चाहिये. देश में जनसंख्या की बढौत्तरी के साथ-साथ शिक्षित व अशिक्षित दोनों किस्म के बेरोजगारों की संख्या में लगातार बढौत्तरी हो रही है.एक शक्तिशाली फौज के साथ-साथ देश में अशिक्षित व अनुभवहीन अशक्तिशाली युवाओं की फैाज अपनी सेना के बराबरी पर खड़ी है=अगर भारत चीन युद्व के दौरान की स्थिति निर्मित हो जाये तो हमारे पास सेना के लिये ट्रेण्ड युवको का अकाल पड़ जाये. भारत-चीन व भारत पाक युद्व की स्थिति के दौरान कई नौजवानों ने सेना में अपनी सेवा दी साथ ही तत्कालीन सरकारों ने भावी युवाओं को अनुशासित करने व हथियारों की ट्रेनिगं देने के लिये एनसीसी को स्कूल कालेजों में अनिवार्य कर दिया जिसे बाद में जाकर ढीला कर दिया गया. या कहे इसे आप्श्रनल कर रद्दी की टोकनी में डाल दिया गया. आज युवाओं में मोटर सायकिल पर जोर से हार्न बजाकर घूमने व स्टंट करने हीरों गिरी करने के सिवा कुछ नया करने का उत्साह ही नहीं है. स्कूल कालेजों में फिजिकल एजुकेशन उतना कुछ नहीं कर पा रही है जितनी की देश को आवश्यकता है . नौजवानों में देश के प्रति जोश भरने, देश के प्रति जिम्मेदार बनने के लिये अब यह जरूरी महसूस होने लगा है कि हम अपनी बड़ी आबादी के एक बड़े हिस्से को रचनात्मक व देश के कामों में लगायें. रोजगार परख शिक्षा के अभाव मे कई युवा भटक रहे हैं इन्हें काम पर लगाने का एक ही रास्ता है कि सरकार अपने रक्षा बजट में बढौत्तरी कर स्कूल कालेजों से निकलने वाले सभी बच्चों को कंपलसरी देश सेवा के कामों में लगायें.इनमें जो स्टूडेंट कालेजों से निकल रहे हैं उन्हें आगे की नौकरी पाने के लिये सैनिक शिक्षा का कम से कम दो साल के कोर्स को अनिवार्य किया जाना चाहिये. इससे हमें दो फायदे होंगे.हम अपनी सेना के साथ-साथ एक ऐसी फौज भी तैयार कर सकेंगे जो कभी हमारे समक्ष युद्व थोपे जाने की स्थिति में कारगर साबित होंगे. इन युवाओं को सेना के तीनों अंगों की ट्रेनिगं के साथ तैयार किये जाने की जरूरत है.आज हालात यह है कि हजारों युवाओं में से कुछ ही सेना के लिये फिट हो पाते हैं. एक तरह से सेना में जवान और अफसरों का अकाल पड़ा हुआ है. इस स्थिति से निपटने के लिये यह जरूरी हो जाता है कि उच्च शिक्षा के बाद कोईभी किस्म की नौकरी पाने के लिये कम से कम दो साल की सैनिक शिक्षा को अनिवार्य किया जाये. यह अनिवार्यता छात्र व छात्रा दोनों के लिये होना चाहिये. सेना का उपयोग हम अक्सर युद्व के लिये ही करते हैं कभी आपात स्थितियों में भी सेना का उपयोग होता है.ऐसे में युवाओं को ट्रेण्ड कर देश के लिये एक पेरा मिलट्री तैयार करने व उनका कभी न कभी देश में आने वाली प्राकृतिक आपदाआमें और अन्य विपत्तियों के लिये भी किया जा सकता है. देश में महिलाएं भी फाईटर प्लेन उड़ाने लगी हैं. महिलाओं में पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने की इच्छा है वे भी हर वो कुछ कर दिखाने के लिये तैयार हैं जो पुरूष करते हैं तब हम उनका उपयोग बड़े पैमान पर क्यों न करें? जिस देश की सुरक्षा जीतनी मजबूत होगी उसकी ताकत उतनी ही बढ़ेगी. इन क्षेत्रों की विकास में बिलकुल भी राजनीति नहीं होनी चाहिए. देश के सभी पार्टियों के राजनेताओं का स्वर भी एक होना चाहिए.हमारा देश धर्मनिरपेक्ष, गुटनिरपेक्ष देश है और हम विश्व के सभी देशों के साथ है लेकिन हमें उन देशों को नहीं भूलना चाहिए जो हमें आजादी के दौर से मदद करते आ रहे हैं।
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