रेप पर अदालतें सख्त,ऐसे लोगों को पशुओं की संज्ञा,बधिया करने की सिफारिश,क्या व्यवस्थापिका भी सोचेगी?




लोग अब कब्र खोदकर भी बलात्कार करने लगे हैंं. मेरठ और गाजियाबाद के बीच तलहटा गांव में एक 26 वर्षीय गर्भवती महिला की दो दिन पुरानी कब्र को खोदकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार की घटना ने पूरे यूपी मेंं कानून और व्यवस्था की स्थिति पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है. इधर यूपी के बाराबंकी में रेप की शिकार एक तेरह साल की बच्ची को अनचाहे बच्चे को जन्म देने मजबूर होना पड़ा वहीं देश की राजधानी दिल्ली और देश के अन्य भागों में सिर्फ एक से दो सप्ताह के दौरान नाबालिग बच्चों के साथ रेप की कई घटनाओं ने देश की अदालतों व अच्छी सोच रखने वाले राजनेताओं को भी सोचने विवश कर दिया है कि काननू को अब कैसा रूप दिया जाये कि ऐसे पशुओं पर किस तरह लगाम लगाई जाये? दिल्ली में निर्भया बलात्कार-हत्या कांड के बाद पूरे देश में एक स्वर से यह मांग उठी थी कि ऐसे दरिन्दों के साथ सख्त से सख्त कार्रवाही की जाये,जस्टिस वर्मा आयोग का गठन भी इसी सिलसिले में किया गया लेकिन देश में इस बुराई पर किसी प्रकार से काबू नहीं पाना यही दर्शा रहा है कि कानूून में अब भी कहीं न कहीं कमी है और ऐसे अपराधियों मेेंं किसी प्रकार का खौफ नहीं है.रेप की घटनाएं तो बढ़ रही हैं वहीं उसे प्रोत्साहित करने का काम कतिपय वाचाल नेता अपने ऊल जुलूल बयानों से कर रहे हैं. कुछ जिम्मेदार व्यक्ति भी इसमें शामिल हैं.दूसरी ओर देश की अदालतों का रवैया इस मामले में सख्त होने से समाज में एक उम्मीद की किरण जागी है.हाल ही मद्रास उच्च न्यायालय ने नाबालिग बच्चे से बलात्कार के मामले में जहां तल्ख टिप्पणी करते हुए यह तक कह दिया कि ऐसे व्यक्ति को नपुसंक कर दिया जाना चाहिये ताकि वह उम्र भर इस कृत्य के लिये पछतावा कर सके. उच्च न्यायालय ने इसकी सिफारिश सर्वोच्च न्यायालय से भी की है.जस्टिस किरूबकरण ने कहा है कि भारत के विभिन्न हिस्सों में बच्चों के वीभत्स गेंगरेप की घटनाओं से अदालत मूकदर्शक बना नहीं रह सकता. बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम पोक्सो जैसे कड़े कानून होने के बावजूद बच्चों के खिलाफ अपराध बदस्तूर बढ़ रहा है अत: कोर्ट का मानना है कि बच्चों के दुष्कर्मियों को बधिया करने से जादुई नतीजे देखने को मिलेंगें. कोर्ट की यह टिप्पणी एक ब्रिटिश नागरिक द्वारा पन्द्रह वर्षीय एक बच्चे के यौन शोषण मामले में मामला खारिज करने के लिये दायर याचिका को खारिज करते हुए की. इधर सर्वोच्च न्यायालय व दिल्ली के राज्यपाल की चिंता भी इस मामले पर है सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक मामले में यहां तक कह दिया कि  जो लोग नाबालिग बच्चों को हवस का शिकार बनाते हैं वह पशु से ज्यादा कुछ नहीं हैं.ऐसे लोगों के प्रति किसी प्रकार की दया नहीं दिखाई जानी चाहिये.हिमाचल प्रदेश के एक गंाव में दस साल की बच्ची से रेप के दोषी पाये गये 35 वर्षीय कुलदीप कुमार की दस साल की सजा को इसी आधार पर बरकरार रखी. मद्रास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की इन दो टिप्पणियों के बाद ऐसा समझा जाता है कि आगे आने वाले दिनों में सर्वोच्च न्यायालय स्वयं संज्ञान लेकर सरकार को कोई कठोर कानून का आदेश दे सकता है इधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरिविन्द केजरीवाल ने भी नाबालिग बच्चियों से रेप की लगातार घटनाओं पर चिंता प्रकट करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है.

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