फिजूल खर्ची,अव्यवस्था बन रही लोकतंत्र में अडंग़ा, कौन ले संज्ञान?
रायपुर सोमवार दिनांक 22 नवंबर 2010 फिजूल खर्ची,अव्यवस्था बन रही लोकतंत्र में अडंग़ा, कौन ले संज्ञान? लोकतांत्रिक व्यवस्था में आज ऐसा कुछ होता जा रहा है कि जिसकी जो मर्जी आये वह वैसा करता जाये। क्या आप और हम यह महसूस नहीं करते कि देश में भ्रष्टाचार के साथ नेताओं की फिजूल खर्ची, मनमर्जी भी कुछ ज्यादा होती जा रही है? बिहार चुनाव के दौरान खबर आई कि चालीस दिन के प्रचार में नेताओं ने हेलीकाप्टरों से उड़ान भरते हुए तेरह करोड़ रूपये खर्च कर डाले। यह तो हेलीकाप्टर का खर्चा है, इसके अलावा अन्य जो खर्च हुआ वह अलग। इस खर्च में हर चुनाव लडऩे वाली पार्टी शामिल हुई। चुनाव आयोग द्वारा खर्चों पर लगाम के बाद सिर्फ एक राज्य में चुनाव के दौरान यह खर्चा हुआ। जबकि देशभर में होने वाले चुनावों के दौरान नेताओं की हवाई उड़ान तथा अन्य होने वाले खर्चो का हिसाब लगाये, तो वह अरबों में होता है। जब देश में हर पांच साल में एक साथ चुनाव हुआ करते थे, तब इतना खर्चा नहीं होता था। आज एक के बाद एक राज्यों में होने वाले चुनावों के कारण खर्च हो रहा है। पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी बराबर यह मांग करते रहे हैं कि राज्य ...