नाव पलटी,दर्जनों मरें....कौन है ऐसे हादसों के लिये जिम्मेदार
यह एक मानवीय प्रवृति बन गई है कि देर से पहुंचे...बस में चढऩा है तो दौड़ के चढ़े, ट्रेन में चढऩा हो तो यहां भी दौड़ लगाये.-प्लेन मिस हो जाये तो सर पर हाथ पकड़कर बैठ जाओं...कभी लाइन में खड़े रहकर सब्र करने की जगह एक दूसरे को धक्का देकर आगे बढऩे की कोशिश में तो कभी कभी बहुत कुछ हो जाता है. यह सब कई सालों से होता आ रहा है इस चक्कर में कइयों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. शनिवार को बिहार की राजधानी पटना में मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर आयोजित पतंग उत्सव में भाग लेकर लौट रही एक नाव गंगा नदी में डूब गई. रविवार की सुबह और दोपहर तक शवों को नदी से निकालने का सिलसिला चलता रहा. कम से कम दो दर्जन से ज्यादा लोग मारे गये. सिर्फ किसी की जिद और किसी की दादागिरी और किसी की लापरवाही के कारण. नाव में जबरन ज्यादा लोग घुस आये थे. नाविक बार बार गिड़गिड़ाता रहा कि ज्यादा लोग चढ़ जाओंगे तो नाव पलट जायेगी लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी और नाव में इतने लोग चढ़ गये कि वह बजन को झेल नहीं सका और नाव पलट गई.नेता दुख जता रहे हैं-प्रशासन अब किसी पर जिम्मेदारी थोपने की कोशिश कर रहा है तथा संपूर्ण मामले की लीपापोती करने का सिलसिला चल पड़ा है है. नाव में 50 से ज्यादा लोग सवार थे.अब यह कहा जा रहा है कि प्रशासनिक लापरवाही से यह हादसा हुआ. कोई यह नहीं कह रहा कि छोटी सी नाव में ज्यादा लोगों के जबरदस्ती ओर दादागिारी से चढऩे के कारण यह हादसा हुआ. बिहार से आने वाली ट्रेनों में हम देखते हैं कि कैसे लोग ठूस ठूसकर भरे रहते हैं फिर इस हादसें में हम किसे दोषी समझे? इसमें दो मत नहीं कि प्रशासन,पुलिस,सरकार हर जगह मौजूद नहीं रह सकती लेकिन जब बड़े आयोजन होते हैं तो भीड़ भी ऐसी ही जुटती है इसेे ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि लोगों की सुरक्षा का प्रबंध भी वैसा ही किया जाये. बिहार सरकार और समर्थित पार्टी दोनो मकर संक्रान्ति पर चूड़ा दही खाने में लगे थे तब लोग नदी में डूबकर बचाओं बचाओं चिल्ला रहे थे. मकर संक्रांति पर इतने बड़े आयोजन में नदी पार करने वालों के सुरक्षा का कोई ठोस इंतजाम न करना भी प्रशासन की अक्षमता का ही परिचायक है. महज कुछ दिनों पहले ही यहां सरकार ने प्रकाश पर्व का शानदार आयोजन कर हर तरफ से वाहवाही लूटी थी अब लोग यही पूछ रहे हैं कि बिहार सरकार और प्रशासन से इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई? प्रकाश पर्व आयोजन से संबंधित तैयारियों की निगरानी खुद मुख्यमंत्री के अलावा मुख्य सचिव और डीजीपी स्तर के अधिकारी कर रहे थे जबकि पतंग उत्सव की तैयारियों को लेकर इस तरह का कोई दावा नहीं किया गया था. आयोजन स्थल के पास में ही बने डॉल्फिन आइलैंड अम्यूज़मेंट पार्क को भी हादसे की बड़ी वजह माना जा रहा है. जिस जगह पर सरकार ने पंतगबाजी का आयोजन किया था उससे थोड़ी ही दूरी पर ये अम्यूज़मेंट पार्क भी है, जहां लोग अधिक संख्या में मौजूद थे. स्थानीय लोगों के मुताबिक जो नाव डूबी, उस पर सवार लोगों में भारी संख्या इस अम्यूज़मेंट पार्क में घूमने आए लोगों की थी. इस अम्यूज़मेंट पार्क का निर्माण अवैध है इसे बिना किसी सरकारी या प्रशासनिक मंज़ूरी के ही बनाया गया है. वैसे आगे आने वाले समय में इस मामले की जांच होगी और पूर्व के हादसों के तरह इसके भी कुछ परिणाम निकलकर आयेंगे लेकिन जिनको यह क्षति हुई है वह अपूरणीय है. जिसमें गलती भी उनके अपने लोगो की लगती हैचूंकि नाव में क्षमता से ज्यादा लोग सवार थे.नाव में ज्यादा लोग सवार न हो इसका निर्णय करने वाला कोर्इ नहीं था इससे नाव में पानी घुसने लगा. जिसके बाद नाव नदी में पलट गई.सरकार ने मृतक के परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजा देने का एलान किया. पीएम मोदी ने भी मृतक के परिजनों को 2 लाख और घायलों को 50 हजार मुआवजा देने का एलान किया है. पंतगबाजी का कार्यक्रम बिहार सरकार का था, प्रशासन अब बिना अनुमति के अम्यूजमेंट पार्क चलाने वालों पर कार्रवाई की तैयारी में है.अन्य हादसों की तरह यह भी कुछ दिनों तक चर्चा में रहेगा और सब फिर नये हादसे का इंतजार करेंगे..ऐसे हादसों को रोकने किसी सरकार ने अब तक क्यों कार्रवाही नहीं की यह भी एक ज्वलंत प्रश्न है.देश में ऐसे हादसों की एक लम्बी फेहरिस्त है किन्तु एहतियाती कार्रवाही इस संबन्ध में करने के आंकडे गिने चुने ही हैं.
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