भ्रष्ट आचरण पर सरकार का कठोर जवाब?

अब तक आम लोगों में एक धारणा रही है कि सरकार की सेवा में रहने वाले आईएएस, आईपीएस,आईएफएस का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता लेकिन अब इस धारणा के खत्म होने का संकेत है.भ्रष्ट आचरण के एक मामले में लिप्त छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. अठारह साल पहले जांजगीर के बाराद्वार में हुई पैसठ लाख रूपये की डकैती के एक मामले में छत्तीसगढ़ होमगार्ड आईजी राजकुमार देवांगन पर संलिप्तता के आरोप हैं.इस डकैती के समय देवांगन एसपी थे. उनपर लगे आरोपों के बाद सरकार ने पहले उनपर विभागीय कार्यवाही चलाई थी बाद में उन्हें न केवल वापस लिया गया बल्कि पदोन्नत भी कर दिया.प्रधानमंंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली सीसीए कमेटी ने उनके खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया,इसके बाद राज्य सरकार ने उस आदेश का परिपालन कर नौकरी से बाहर कर दिया. सरकार की तरफ से ऐसा अक्सर होता आया है लेकिन देश की एक प्रमुख सेवा से जुड़े इतने बड़े अफसर पर कार्रवाही का मामला इसलिये महत्वपूर्ण हो गया है कि इसका संदेश अन्य ऐसे लोगों के लिये भी यह चेतावनी की तरह है.उक्त अधिकारी के बारे में जो टिप्पणी जांचकर्ताओं ने की है वह भी अपने आप में महत्वपूर्ण है जिसमें यह कहा गया है कि यह अफसर जनहित की सेवा के लिये अनुपयुक्त है.सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था की दिशा में उठाया गया यह कदम देशभर के ऐसे भ्रष्ट लोगों में खलबली मचा सकता है जो अभी इसी श्रेणी में आकर लाइन में हैं.असल में देशभर में ऐसे कई कतिपय अधिकारी आज भी कुर्सी से चिपके बैठे हैं जो अपनी हरकतों से बाज नहीं आते.ऐसे लोग सरकार के कड़े नियमों और कानून को ठेंगा दिखाते हुए सरकार और जनता के पैसे से खेल रहे हैं व अपने व अपने परिवार के लिये संपत्ति बनाने में मशगूल हैं इसका एक सीधा उदाहरण तामिलनाडू के चीफ सेक्रेटरी का है जिनके यहां हाल ही करोडों रूपये की संपत्ति बरामद की गई है. राजकुामर देवांगन का मामला सजा तक पहुंचने में करीब अठारह साल का वक्त लगा इस दौरान उन्हें पदोन्नति भी मिली लेकिन कई ऐसे और भी हैं जिन्हें उन्हीं की तरह पदोन्नति भी मिल रही है और कमाई का सिलसिला भी जारी है. हम अगर छत्तीसगढ़ का उदाहरण दे यहां तीन आईएएस और तीन आईएफएस अफसर का मामला कई समय से लंबित है जबकि हमारे पडौसी राज्य में भी ऐसे कई अफसरों पर भ्रष्ट आचरण के केस चल रहे हैं और पद पर भी बैठे हुए हैं. छत्तीसगढ़ विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार करीब सौ से ज्यादा आईएएस,आईपीएस, आईएफएस अफसरों के मामले पेन्डिंग हैं- असल में होना यही चाहिये कि अपराध की पुष्टि के बाद ऐसे भ्रष्ट व निकम्मे अधिकारियों को सेवा से पूथक कर दिया जाये तत्पश्चात ऐसे व्यक्ति द्वारा कमाई गई संपत्ति को जप्त कर सराकर के खजाने में डाल दिया जाय. ऐसे व्यक्ति के लिये ऐसी व्यवस्था भी जरूरी है कि भविष्य में वे किसी दूसरी लोक सेवा का हिस्सा न बने.आज देश में हमारे पास योग्य,कुशल व ईमानदार व्यक्तियों की कोई कमी नहीं है. हम यहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के उस बयान को उद्घ्रत करते हुए बताना चाहते हैं कि केन्द्र से राज्यो को भेजे जाने वाले एक रूपये में से पन्द्राह पैसा भी मुश्किल से लोगों के पास पहुंच पाता है... तो बाकी पैसा कौन खाता है? जबकि सारा पावर ब्यूरोक्रेट, उनके साथ काम करने वाले अन्य लोगों के पास रहता है जिसमें कुछ सांठगांठ बाहरी लोगों एवं राजनेताओं की भी हो जाती है. सरकार जब तक ऐसे सख्त कदम का सिलसिलेवार शुरू नहीं करेगी तब तक यह कहना कठिन है कि लंबित पड़े प्रकरणों को निपटा देने से इस समस्या का समाधान सदा सदा के लिये खत्म हो जायेंगा. एक अनवरत कार्रवाही जारी रखने की जरूरत है. आईजी जैेस बड़े अधिकारी पर कार्यवाही प्रथमदर्शा गिल्टी पाये जाने वाले अन्य लोगों पर भी होनी चाहिये जो न केवल कठोर हो बल्कि संदेशवाहक भी बने..!

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