चुनाव से पहले पार्टियों में मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने की नई परंपरा
राजनीतिक पार्टियों का हाल भी इन दिनों मौसम की तरह हैं पता नहीं कब बदल जाये. उत्तरप्रदेश और पंजाब चुनाव में जहां पार्टियोंं के धुरन्धरों की नाक में दम कर दिया है वहीं आयाराम-गयाराम के जमाने की पुन: वापसी ने भी फिर हलचल पैदा कर दी है.भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाकर चुनाव लड़ाने के बाद देश में इस ढंग की एक नई परंपरा राज्यों में चल पड़ी है. भाजपा ने राज्यों में भी इस नई परंपरा की आजमाइश की और उसने असम में मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर पहली फतह पाई उसके बाद अब आने वाले चुनावों में पार्टियों ने इस परंपरा पर चलने की तो लगता है शपथ ले ली है यूपी में ऐसा पहला उम्मीदवार चुनाव से बहुत पहले घोषित कर दिया गया यहां कांग्रेस ने इसकी पहल की. दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को अपना उम्मीदवार घोषित किया गया. भाजपा और अन्य दल पशोपेश में है कि उन्हें भी अब इस परंपरा से चलना होगा लेकिन यह निश्चित है कि जो भी पहले उम्मीदवार की घोषणा कर चुनाव में उतरेगा उसे सफलता मिलने के चांसेस भी बढ़ जाते हैं चाहे वह मुख्यमंत्री पद का व्यक्ति हो या विधायक या अन्य कोई पदाधिकारी. मतदाता को सोचने समझने व परखने का मौका लम्बे समय के दौरान मिल जाता है.उम्मीदवार को मतदाताओं से व्यक्तिगत संपर्क करने का समय भी मिल जाता है. यूपी के बाद पंजाब में भी मुख्यमंत्री घोषित कर चुनाव लडऩे का अंदाज शुरू हो सकता है इसकी भनक नवजोत सिंह सिद्दू के भाजपा से नाता तोडऩे के बाद लगने लगा है.सिद्दू के आप में शामिल होने की बात लगभग तय है.लगता हैै देर सबेर उनकी पत्नी जो भाजपा की विधायक है वह भी अपने पति की राह पर चल पड़ेगी जबकि कीर्ति आजाद की पत्नी पहले ही भाजपा का दामन छोड़ चुकी है आम आदमी पार्टी (आप) इस चुनावी मौसम में बीजेपी के तीन कद्दावर नेताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश में लगी है. आप नेता कुमार विश्वास ने इस ओर इशारा कर भी दिया है कि कीर्ति आजाद, शत्रुघ्न सिन्हा और नवजोत सिंह सिद्धू भाजपा से अलग होकर आप के साथ मिल सकते हैं. सिद्दू ने तो पार्टी छोड़ ही दी है जबकि कीर्ति आजाद और शत्रु पहले से ही भाजपा के विरोध में चल रहे हैं. ऐसे में आगे आने वाले राज्यों के चुनाव में एक दिलचस्प स्थिति की कल्पना हम कर सकते हैं.सिद्दू चाहते हैं कि उन्हे पंजाब का मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाकर आप पंजाब में चुनाव लड़े लेकिन क्या आप अपने पुराने सदस्यों को नाराज करके पार्टी को मुश्किल में डालेगी? अगर आप सिद्दू को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करती है तो उसके लिये पंजाब में चुनाव लडऩा ही मुश्किल मे पड़ जायेगा चूंकि पंजाब में एक तरह से अंदरूनी तोडफ़ोड़ शुरू हो जायेगी.यह केजरीवाल अच्छी तरह जानते हैं शायद इसी कारण उन्हें कल बयान देना पड़़ा कि हमने अभी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. आप की रणनीति यह रह सकती है कि सिद्दू को यह कहकर पार्टी मे लाये कि उन्हें स्टार प्रचारक बनाया जायेगा और चुनाव के बाद मुख्यमंत्री घोषित किया जायेगा.आप के नेता कुमार विश्वास तो यह मानते हैं कि अकेले सिद्दू ही नहीं पूर्व बॉलीवुड स्टार शत्रुघ्न सिन्हा भी आप से जुड़ जायेंगे.आप चुनाव से पूर्व अपना परिवार बढाने में किसी प्रकार की कमी नहीं करेगा इस कड़ी में भाजपा में असंतुष्ट बैठे पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद और उनकी पत्नी पूनम आजाद सहित कई अन्य जिसमें अलग अलग पार्टियों से असंतुष्ट शामिल है वे भी आप का दामन थाम सकते हैं.पंजाब की तरह उत्तर प्रदेश की राजनीति भी इस समय पूरे राजनीतिक उबाल पर है.भाजपा उपाध्यक्ष के विवादास्पद बयान से यूूपी में जहां बेकफुट पर हैं वहीं कई राज्यों में मात खा चुकी कांग्रेस उत्तर प्रदेश में इस बार पूरी जोरआजमाइश के मूड में लगती है. ब्राम्हण चेहरे के रूप में सत्तर पार कर चुकी शीला दीक्षित के माध्यम से कांग्रेस यूपी की सत्ता पर काबिज होने की फिराक में है इसमें वह कितना सफल हो पायेगी यह तो आने वाला समय बतायेगा लेकिन यहां हर पार्टी को यह समझना होगा कि उनके सामने जो भी चुनाव में अपना दाव खेलेगा उसके सामने तीन धुरन्धर होंगे यहां समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी,भाजपा कांग्रेस उसके बाद आप भी मैदान में कमर कसकर सामने होंगे अर्थात कम से कम चार भावी मुख्यमंत्री यूपी चुनाव मेें आमने सामने होंगे.
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