आम बजट: महंगाई कम करने का प्रयास होगा...?






सोमवार उनतीस फरवरी को 2015-16 का बजट पेश होगा. यह वित्त मंत्री  अरूण जेठली का तीसरा बजट होगा. सरकार की ओर से बजट से पूर्व की गई आर्थिक समीक्षा में महंगाई कम रहने की उम्मीद जताई गई है. आर्थिक सर्वे में यह बात आई है कि अगले वित्त वर्ष के दौरान महंगाई दर 4 से 4.5 फीसदी के दायरे में रहेगी और इससे ब्याज दरों में कटौती हो सकती है। ब्याज दरों में कटौती से कर्ज सस्ता हो जाएगा और इसका सीधा फायदा कार,होम और पर्सनल लोन लेने वालों को होगा क्योंकि उन्हें कम ईएमआई देनी होगी। सर्वे में महंगाई कम होने से ब्याज दरों में कटौती की संभावना भले ही जताई गई हो लेकिन इसका सारा दारोमदार भारतीय रिजर्व बैंक पर टिका है। सरकार के पिछले वादे कितने पूरे हुए? इसका आत्मचिंतन करते हुए हम यही कह सकते हैं कि इस बजट में भी कोई खास उम्मीद आमजन को नहीं करना चाहिये?इंकम टैक्स की सीमा बढ़ाने और सर्विस टैक्स में कमी जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिये जा सकते हैं, ऐसी उम्मीद न करना ही बेहतर है. पिछले बजट में युवाओं, किसानों के लिये सुविधाएं दी गई लेकिन कितना जरूरतमंद लोगों तक पहुंचा? मंहगाई विशेषकर दालों में जो बढौत्तरी हुई है वह असहनशील है.सेना के बजट में फिर वृद्वि की जा सकती है, यह जरूरी भी हैं. हम कह सकते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रू ड आइल की दरों में कमी का फायदा जरूर हुआ किन्तु वह आम लोगों तक पहुंचने की जगह सीधे सरकार के खाते में चला गया.सरकार कितना भी तर्र्क दे लेकिन आम आदमी के घरों की रसोई अभी भी मंहगी ही है.रेलवे के दीर्घकालीन सुविधा बजट की तरह वित्त मंत्री भी इस बार ऐसा ही बजट पेश कर  सकते हैं जो सन्  2020 तक लोगों को इंतजार कराये, उसमें युवाओं को रेोजगार, किसानों को मदद, गरीबों के लिये आवास जैसे कार्यक्रम हो सकते हैं.मध्यमवर्ग को पिछली बार ही जेटली ने कह दिया था कि वे अपना इंतजाम स्वंय करें इसलिये मध्यम वर्ग को किसी  फायदे की उम्मीद अब भी नहीं करना चाहिये. इस बीच डालर के मुकाबले रूपया तीस साल के सबसे नीचे स्तर पर आ गया है.शुक्रवार को एक डालर के मुकाबलेेे रूपये की कीमत गिरकर 68.75 पर आ गया. यह रूपये का 28 अगस्त 2013 के बाद का निचला स्तर है रूपये की कमजोरी के पीछे डालर इंडेक्स में आई तेजी है रूपये की  लगातार कमजोरी से मंहगाई और बढ़ सकती है पिछले कुछ समय से महंगाई दर स्थिर होने के बावजूद रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती के मामले में खासी सतर्कता बरती है। जो संकेत आए हैं उसमें सब्सिडी पर कुछ ऐलान संभव है।  पैट्रोलियम, एनर्जी, एग्रीकल्चर ऐसे सेक्टर हैं, जहां पर सब्सिडी का दुरुपयोग होता है। ऐसे में इस बात की संभावना है कि सरकार सब्सिडी में कटौती को लेकर कुछ कड़े फैसलों की घोषणा कर दे। खासकर एलपीजी पर दी जाने वाली सब्सिडी को लेकर हो सकता है कि एक तय सीमा से अधिक आय वाले लोगों के लिए इसे खत्म कर दिया जाए या सब्सिडी वाले सिलैंडर में कटौती की जाए। स्थिति ऐसी नहीं है कि टैक्स पेयर्स को ज्यादा छूट दी जाए यानी इसका दायरा बढ़ाया जाए। इसका मतलब है कि सरकार इनकम टैक्स छूट सीमा में बढ़ोतरी करने के मूड में नहीं है। हालांकि इसको लेकर काफी प्रेशर भी है। ऐसे में बजट में अगर सरकार ने इनकम टैक्स छूट दी भी तो वह एक सीमित दायरे में होगा।



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