अब समय आ गया पाकिस्तान से फिर दो दो हाथ करने का!
अब समय आ गया पाकिस्तान से फिर दो दो हाथ करने का!
हकीकत यह है कि आज पूरा देश गुस्से में हैं कि सिर्फ चार आंतकवादी पडौस से आकर हमारे सत्रह जवानों को मारकर चले गये और हमारी सरकार हमेशा की तरह सिर्फ और सिर्फ निंदा करके वही पहली बाते दोहरा कर रह गई. जम्मू-कश्मीर में सेना की एक बटालियन के मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को सोचने के लिये मजबूर कर दिया कि हम इतने कमजोर कैसे हो गये? रविवार (18 सितंबर) को पाकिस्तान से आये आतंकवादियों ने हमारे सब्र को तोड़कर रख दिया हैं,सबूत हमारे पास है कि उसने जो अस्त्र इस्तेमाल किए उन उपकरणों पाकिस्तान निर्मित होने के निशान हैं क्या यह सबूत काफी नहीं कि हम इस देश का नामोनिशान मिटा दें? सेना के शीर्ष अधिकारियों ने इस हमले को 'गंभीर झटकाÓ करार दिया। 17 जवान मारे गये और कम से कम 20 सैनिक घायल भी हो गए जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है.यह बात भी स्पष्ट हो गई हैं कि मारे गए आतंकवादियों का ताल्लुक जैश-ए-मोहम्मद संगठन से हैÓ पठानकोट हमले के बाद हमें उसी समय पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन में आ जाना चाहिये था लेकिन क्यों हम बार बार ऐसा सोच रहे हैं कि अब मारा तो ठीक अबकी मार के देख -ऐसा कब तक चलता रहेगा? आतंकवादियों ने अत्याधुनिक हथियारों से गोलीबारी की जिससे सेना के म्प, तंबुओं और अस्थायी शिविरों में आग लग गई. वे दिनभर हमारे इलाके में घुसकर हमारे लोगों को मारते रहे और हम सिर्फ बाते करने में ही समय बर्बाद करते रहे. हम इस मामले के बाद आम लोगों की तरह यह सवाल पूछना चाहते हैं कि क्या हमने अपनी ताकत को यूं ही म्यूजियम में संजोकर रख्नने के लिये तैयार कर रखी है? इस हमले के बाद तो यह लगने लगा है कि हम हर हमले पर खामोश रहने की नीति पर चल रहे हैं. आतंकवादियों ने दो साल पहले भी इसी क्षेत्र के मोहरा में इसी तरह का हमला किया था. पांच दिसंबर 2014 को हुए उस आतंकी हमले में 10 जवान शहीद हो गए थे लेकिन तब भी निंदा और खामोशी का यही अदंाज रहा.इस बार हमले की चपेट में आया स्थल सेना के ब्रिगेड मुख्यालय से कुछ ही मीटर की दूरी पर स्थित है.हमले के समय डोगरा रेजीमेंट के जवान एक तंबू में सोए हुए थे जिसमें विस्फोट के चलते आग लग गई,आग पास स्थित बैरकों तक भी फैल गई. सलमाबाद नाला के पास एक क्षेत्र से घुसे आतंकवादियों ने इस हमले को अंजाम दिया था.पठानकोट हमले को भी लोग भूल नहीं पाये हैं. इसबार भी सरकार की तरफ से सीधे सीधे जवाब देने की जगह वही सबकुछ हो रहा है जो पिछले हमलों के बाद हुआ शायद ै यही कारण है कि इस बार हमले के बाद लोगों का रोष सीधे सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति हो गया.हमले के बाद उनकी कही बाते लोगों को पसंद नहीं आइ्र्र ऐसे लोगों ने ट्विटर पर अपना गुस्सा जाहिर किया-कोई मोदी को जल्द से जल्द कोई एक्शन लेने के लिए कह रहा था तो कोई कह रहा था कि पीएम मोदी ने पठानकोट हमले के वक्त भी ऐसी ही बात कही थी, एक ने कहा कि अच्छे दिन की जगह बुरे दिन आ रहे हैं वहीं एक ने तो पीएम मोदी को ही आतंकी बता दिया- एक ने राम मंदिर का नाम लेकर भी बीजेपी सरकार को घेरा एक ने सवाल पूछा है, 'कड़ी निंदा करनेवाले को हटाके आप को पीएम इसीलिए बनाया था !Óजनता की तीखी प्रतिक्रियाएं उनके आक्रोश को साफ तौर पर उजागर करती है वहीं पाक के उस बयान ने भी आग में घी का काम किया हे जिसमें पाक के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि अगर हमारी सलामती को खतरा हुआ और किसी ने हमारी जमीन पर कदम रखा तो हम परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से गुरेज नहीं करेंगे हालाकि हमारी सरकार की तरफ से इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लकिन साठ सालों से हम पाक की ऐसी घमकियों को सिर्फ झेल रहे हैं. इतने युद्व कर हम उसे जमीन चटा चुके हैं अब एक बार और सही, हमें भी उससे किसी प्रकार का डर नहीं होना चाहिये-हम पूरी तरह तैयार हैं. अब या तो आर....या...पार!
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