ट्रेन दुर्घटनाओं की कड़ी बढ़ रही है फिर भी खाली पड़े है एक दशमलव इकत्तीस लाख पद !



ट्रेन दुर्घटनाओं की कड़ी बढ़ रही है फिर भी खाली पड़े है एक दशमलव इकत्तीस लाख पद !
 यूपी के चित्रकूट के पास हुए आज सुबह करीब चार बजकर तीस मिलिट पर एक ट्रेन हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई और नौ घायल हो गए हैं. ये हादसा मानिकपुर स्टेशन पर हुआ है. रेल मंत्रालय ने हादसे में मरनेवाले के परिवार को 5 लाख और गंभीर रूप से घायलों को 1 लाख रुपये और घायलों को पचास हजार रुपये के मुआवजे का एैलान किया है.बताया जा रहा है कि वास्को-डि-गामा पटना एक्सप्रेस पटरी से उतर गई. इस हादसे में ट्रेन के 13 डिब्बे पटरी से उतरे जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई.
जब रेल लाइनों की निगरानी के लिये आदमी ही नहीं है तो कैसे नहीं होगी ऐसी घटनाएं? इस और इससे पहले हुई दुघटनाओं के परिपे्रक्ष्य में यह सवाल इसलिये उठर चूंकि रेलवे बोर्ड के अफसरों  ने यह बात स्वीकार की है कि रेलवें  में ट्रेन पातों की निगरानी के लिये लगाये जाने वाले आदमियों की कमी है. इस काम के लिये अभी करीब साठ हजार गेंगमेनों की जरूरत है और यह पद खाली पड़े हैं. हमारी ट्रेनें गेंगमेनों के बगैर कैसे पटरियों पर दौड़ रही है और हम कितने सुरक्षित हैं इसका अंदाज इन आकड़ो से लगाया जा सकता है.देश में सबसे ज्यादा कमाई करने वाला उद्योग है रेलवे किन्तु इसे क्यों इस तरह भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है?.रेलवे के अफसरों ने संसदीय समिति को चौकाने वाली जानकारी उपलब्ध कराई है जिसमें सबसे बड़ा रहस्योद्घाटन तो यह है कि इस उद्योग को आज करीब 1.31 लाख लोगों की जरूरत है जिन्हे काम पर लगाया जाना है. अर्थात इतने पद खाली पड़े हैं. इसमें साठ हजार गेंगमेनों के पद भी शामिल हैं. गेंगमेनों का काम पटरियों की रक्षा कर अर्थात उसमें कोई टूटफूट हो तो उसे दूर कर यात्रियों की रक्षा करना होता है. पूर्व रेलमंत्री के समय देश में कई रेल दुर्घटनाएं हुई और इसमें कई  लोग घायल हुए व मारे गये. संपत्ति को भी भारी नुकसान हुआ इसके बाद भी रेलवे नहीं चेती. देश में बेरोजगारी के फिगर कुछ समय से मौजूद है उसको कम करने में क्या रेलवे महत्वपूर्ण भूमिका अदा नहीं कर सकता? रेलवे अपने बजट में इसका प्रावधान कर रेल पटरियों की सुरक्षा में युवाओं को लगाकर रेल दुर्घटनाओं पर बहुत हद तक लगाम लगा सकता है.रेल अफसरों ने समिति के सामने स्वीकार किया है कि रेलवे में कर्मचारी घटते जा रहे हैं तथा रेल लाइनों का रखरखाव करने वाले गैंगमैन की तादाद में हजारों की कमी है. स्थायी समिति ने रेल बोर्ड के साथ इस संवेदनशील मसले पर चर्चा की. दरअसल एक के बाद एक हो रहे रेल हादसों के बाद संसद की स्थायी समिति ने रेलवे बोर्ड के बडे अफसरों को तलब किया था. अगर गेंगमेंनों के पद नहीं भरे गए तो सुरक्षा का मसला यू ही बना रहा सकता है. रेलवे के अफसर भी मानते हैं कि  रेलवे में गैंगमेन रेलवे की बुनियाद है  वो खुद अपनी जान देते हैं, लेकिन हादसे नहीं होने देते  उनका काम ही है रेलवे की पटरी की जांच करना...हालाकि रेलवे के लोग दावा करते हैं कि 65,000 गेंगमेनों के पदों को भरने का काम शुरू हो चुका है मगर लगता नहीं कि यह काम जल्द पूरा होगा. यह भी दिलचस्प किन्तु गंभीर बात है कि रेलवे के फाउन्डेशन में ही इतने पद वर्षो से खाली पड़े है और रेलवे के कर्णधार जानते हुए भी इन पदों को भरने का कोई प्रयास नहीं कर रहे थे. शायद यही कारण है कि यह संख्या बढ़कर एक संकटमय स्थिति में पहुंच गई. स्वाभाविक है कि पटरियों की पर्याप्त जांच पड़ताल नहीं होने के कारण रेल पटरियों असुरक्षित हो गई तथा एक के बाद एक दुर्घटनाएं जन्म लेने लगी. इस समिति के सांसदों ने अपने संसदीय क्षेत्र में मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग से लेकर पुराने रेल ब्रिजों को लेकर स्थानीय लोगों की बड़ती चिंता से भी रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया है. कई रेलवे पुल सौ साल से ज्यादा पुराने हैं, जिन्हें या तो मजबूत करना होगा या बदलना होगा. पहले हर क्षेत्र से छह महीने पर इंजीनियरिंग के हालात की रिपोर्ट आती थी, लेकिन अब ये व्यवस्था खत्म कर दी गई है. मुम्बई में कुछ ही दिनों पूर्व एक रेल हादसा रेलवे स्टेशन के सकरे पुल की बजह से हुआ था. यहां भगदड़ में कई लोग घायल हुए.


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