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जून, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सिर पर सिर का चक्कर,सुरक्षित रोमांचक किन्तु महंगा भी!

सिर पर सिर का चक्कर,सुरक्षित रोमांचक किन्तु महंगा भी! अभी तक लोगों को आंख पर अंाख लगाने का अनुभव था अब प्रशासन और सरकार ने लोगों को सिर पर सिर लगाना सिखाना शुरू कर दिया है. बड़े नगरों में यह बहुत पहले  से है किन्तु छत्तीसगढ़ में कम से कम तीन बार के प्रयोग के बाद पहली दफा है.कुछ लोगों को यह भारी भारी लग रहा है तो कुछ को अटपटा तो कुछ को शर्म आ रही है लेकिन प्रशासन है कि सिर फटने से मौत की लगातार घटनाओं से तंग आकर अब किसी की नहीं सुनने के मूड़ में है. प्रशासन  की सख्ती को देखते हुए कुछ लोगों ने अपने सिर पर सिर लगाने का यंत्र [हेलमेट] बेचने का कारोबार शुरू कर दिया है. इसके लिये वे बाहर से लाद लादकर सिर ला रहे हैं और सड़क पर बैठकर अपना कारोबार शुरू कर  रहे हैं. खूब ऊंचे& ऊंचे दाम  पर सिर की खरीदी बिक्री हो रही हैं. अब हेलमेट लगाने का तरीका देखिये..कुछ लोग अपने परिचित को देखते ही शरमा जाते हैं और तुरंत निकालकर हाथ में पकड़ लेते हैं या फिर अपने बाइक पर टांग देते हैं कहते हैं यार सिर पर सिर लगाने के बाद यह पता ही नहीं चलता कि मैं कौन और तुम कौन..अच्छी बला डाल दी  सरकार ...

एसीबी के जाल में मछलियां सिर्फ तडपती हैं, मरती नहीं

एक लम्बे अंतराल  के बाद छत्तीसगढ़ का एंटी करप्शन ब्यूरो जागा, शुक्रवार  को उसने  एक बड़ी मछली को अपने जाल में फांसा। छत्तीसगढ़ शासन के वन  विभाग मरवाही में डीएफओ पद पर कार्यरत राजेश चंदेला ने संपूर्ण राज्य में अपना  साम्राज्य फैला  रखा है। छापे  में यह स्पष्ट हुआ कि अधिकारी ने अपनी आय से कई गुना ज्यादा की संपत्ति बना डाली है। एंटी करप्शन विभाग की दो दिनी कार्रवाई में ही करीब पांच करोड़  रूपये की संपत्ति का पता चला है, इससे एक बात तो साफ हुई कि छत्तीसगढ़ के भ्रष्टाचारी जंगल में ऐसे कई भ्रष्टखोर मौजूद है जो सरकार में रहकर सरकार को चूना लगा रहे हैं लेकिन एसीबी यह नहीं बता पा रहा है कि इससे पूर्व की गई कार्रवाहियों पर क्या कार्रवाई की गई इनमें जून सन् 2012 में जांजगीर-चांपा अस्पताल के डा. आर चन्द्रा और रामकुमार थवाइत के ठिकानों से नौ करोड़, 5 अक्ूबर 2012 को प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास योजना के कार्यपालन यंत्री जे.एस जब्बी के ठिकानों से 4.5 करोड़, 22 जनवरी को  डिप्टी सेक्रेटरी एम.डी दीवान के ठिकानों से 47 मिलियन की संपत्ति तथा अंबिकापुर कलेक्ट्रेट लै...

और कितने शरद प्रशंसा, लवकुमार मारे जायेंगे

घरेलू हिंसा रोकने सरकार शराब बंद करें, मुफत अनाज की जगह काम के बदले राशन बांटे गौतम, शरद, विनय, प्रशंसा, लवकुमार यह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के कुछ ऐसे मासूम बच्चे थे जिनने कम से कम ग्यारह माह से लेकर छह साल तक की जंदगी जी और बाद में माता पिता के बीच घरेलू कलह के चलते अथवा किसी प्रेम संबन्ध के चलते उन्हें इस दुनिया से रूकसत कर दिया. ऐस और भी बच्चे हैं,जिन्हें पूर्व में मार दिया गया जिनका नाम हमारें पास नहीं हैं. मारने वाले ओर कोई नहीं बल्कि इनकी खुद की मां थी या फिर इनका शराबी पिता. अपना अडियल रवैया या शराब की लत, अथवा जिद छोटे छोटे बच्चों की मृत्यु का कारण बन रहे हैं.प्राय: सभी घटनाओं के पीछे घरेलू हिंसा,आर्थिक तंगी और शराब एक वजह है, जो परिवार की कलह और  मासूम बच्चों की मौत का कारण बन रही है. इन सबमें प्रमुख वजह शराब है.पिछले साल एक शराबी पिता ने वाल्मिकी नगर की गौतम छै साल, शरद चार साल और विनय दो साल को शराब के नशे में मौत के घाट उतार दिया था. इन बेचारों का क्या कसूर था? पति- पत्नी के बीच विवाद इनकी मौत का कारण बना. कोई सामान्य आदमी जो कृत्य नहीं कर सकता वह कृत्य शराब पीन...