हमारी सेना बहादुर थी, बहादुर हैै और रहेगी.....कोई शक?


उड़ी हमले में हमारे अठारह जवानों के मारे जाने के बाद हमारी सेना ने पीओके में पाक ठिकानों पर जाकर जो सर्जिकल स्ट्राइक किया या 2011 में जिंजर आपरेशन को अंजाम दिया वह हमारी सेना की वीरगाथाओं में से एक है इसका श्रेय किसी पालिटिकल पार्टी का नहीं जाता और न  इस पर सेना के सिवा किसी का  इसको लेकर राजनीति करके लोग क्यों अपना समय गंवा रहे हैं?. देश पर दुश्मनों के हमले होते हैं तो मैदान में नेता नहीं सेना जाती है. सेना की वीरता पर ही जीत और हार का सारा दारोमदार टिका होता है. देश ने आजादी के बाद सेे अब तक कम से तीन से चार युद्व देखे हैं इसमें से कभी  हमारी लड़ाई चीन से हुई तो कभी पाकिस्तान से तो कभी बंगलादेश आजाद कराने के लिये. हर लड़ाई में हमारी फोज ने दुश्मनों के छक्के छुड़ायें हैं. पाकिस्तान से हमारी दुश्मनी पुरानी है पहले वह हमसे फैाज भेजकर मुकाबला करता था लेकिन अब उसकी स्ट्रेटजी बदल गई है उसने देख लिया कि हमसे वह अपनी फौज से टक्कर नहीं ले सकता तो उसने परमाणु अस्त्रो को एकत्र किया और साथ ही अपने ऐसे तत्वों को पालना शुरू किया जो आतंक पर विश्वास करते हैं- उन्हें हमारी सीमा में आतंक फैलाने के लिये भेजने की स्टे्रेटजी ने हमें मजबूर किया कि हम भी  उसकी चाल को किसी न किसी रूप में नाकाम करें. सेना ने वही किया. आतंकवादियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक के जरिये उनसे निपटा गया. यह सिलसिला सेना गुपचुप रूप से वर्षो से करती आई है लेकिन अब यह मीडिय़ा और राजनेताओं की ज्यादा दिलचस्पी से सार्वजनिक हो गई जिसे हम सुरक्षा के लिये बिल्कुल उचित नहीं मानते. सत्ता, विपक्ष तथा मीडिया विशेषकर इलेक्ट्रानिक मीडिया का फर्ज बनता है कि वह सेना से  संबन्धित किसी भी गतिविधियों को सार्वजनिक न करें. अभी एक दो दिन पहले एक चैनल ने पाकिस्तान द्वारा हमारे नेताओं द्वारा सर्जिकल आपरेशन पर की गई राजनीति से उत्पन्न वह ब्योैरा प्रसारित किया जिसमें पाकिस्तान ने उसे तोड़ मरोड़कर पेश किया. उड़ी हमले के बाद सरकार ने बहुत से कदम उठाये यह कदम देश के हित में और देश की सुरक्षा के खातिर उठाये गये इसमें कुछ ऐसे कदम भी थे जो युद्व की स्थिति आने पर हमारी सेना को करना था  जिनमें से बहुत सी बातों को सार्वजनिक नहीं किया जाना था लेकिन सार्वजनिक होता रहा.कुठ नेताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक पर भी सवाल उठाये. मुम्बई में आतंकी हमला हुआ था तब मीडिय़ा ने कुछ ऐसे दृश्यों का प्रसारण किया था जिसका फायदा दुश्मनों को मिला मसलन हमारे कमाण्डो अब पहुंच गये हैं-वे पेराशूट से उतर रहे हैं यहां तक कि उनके बिल्डिंग में उतरते  दृश्यों तक को दिखाया गया. क्या यह जरूरी था? तत्कालीन सरकार के ध्यान में जब यह बात आई तो उसने  तत्काल इसपर प्रतिबंध लगाया जो एक सही कदम था. सर्जिकल स्ट्राइक हो या अन्य किसी  भी प्रकार की सुरक्षात्त्मक कार्रवाही- हर मामले में देश के हर नागरिक का यह कर्तव्य बन जाता है कि वह अपनी किसी भी हरकत से चाहे वह बयानबाजी हो या किसी टीवी पर उसका दृष्याकन सबमें बेहद सतर्कता की जरूरत है हमारी छोटी सी गलती दुश्मन को बहुत बडा फायदा पहुंंचा सकती है.सेना ने अपना काम कर दिया, यह सब हमें चैन से सोने के लिये किया. अब इसका ढिढौरा पीटने से क्या मिलने वाला? एक अंग्रेजी अखबार की खबर है कि 2011 में जिंजर आपरेशन भी वर्तमान सर्जिकल स्ट्राइक की तरह किया गया,  जिसमें भारतीय सैनिक तीन पाक सैनिकों के सिर कलम कर ले आए थे. इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सैनिक 48 घंटों तक पाकिस्तान की सीमा में रहे. ठीक है यह सेना का काम है इसे फिर से तरह उखाड़कर हम क्या हासिल करने वाले हैं? हमें यह भी नहीं भूलना चाहिये कि हम अपने देश के चारो तरफ दुश्मनों से घिरे हुए हैं हमे अपनी सुरक्ष यूं अंदरूनी खोज करके करने की जगह यह देखना है कि चीन ने भारतीय इलाकों के समीप इतना तगडा इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर लिया है कि उसको भारत में प्रवेश करने में कभी कोई कठिनाई न हो पाए,उसने पूरब से लेकर पश्चिम तक वल्र्ड स्तर के हाईवे बना लिए हैं। चीन ने लीपू झील इलाके में एक ऐसी सड़क बनाई है, जो सभी मौसमों में काम करती है इससे कैसे निपटा जाये? हमारी सेना ने सर्वोच्च साहस और वीरता का परिचय देते हुए सदैव विजय पताका फहराया है लेकिन हर बार, चाहे वह कांग्रेस की सरकार के दौरान हुआ हो या भाजपा के शासनकाल में सेना के शौर्य का श्रेय नेताओं ने झटकने की कोशिश  की है.

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