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नन्हीं बच्चियों की चीख .... कानून कब तक यूं अंधा बहरा बना रहेगा?

इज्जत किसे प्यारी नहीं होती...किसी महिला की इज्जत उसकी जिंदगी होती है और कोई अगर इसी को लूट ले तो फिर उसके जीने का मकसद ही खत्म हो जाता है. कुछ अपवादों को छोड़कर हमारे समाज में महिलाएं पुरूषों के मुकाबले बहुत कमजोर होती है जबकि समाज ने झांसी की रानी दुर्गावती जैसी  सिंहनियों को भी देखा है मगर सारी महिलाएं वैसे नहीं हो सकती. उनमें से कइयों पर जो अत्याचार होते हैं उसकी निंदा करने वाले, उनको मुआवजा देने वाले तो बहुत सामने आ जाते हैं लेकिन समाज का एक बड़ा तबका ऐसा भी तो हैं जो हम सबके ऊपर सारे अत्याचारों को अपनी आंखों से देखता है,सुनता है और निर्णय करने की क्षमता रखता है. यह वर्ग ऐसे कानून भी  बना सकता है जो अबलाओं पर अत्याचार को रोकने में सक्षम है फिर उनके सामने कौन सी मजबूरी है जो वो समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को यह कहकर संरक्षण नहीं दे पा रहा जिसके कारण छोटी- छोटी  बच्चियां तक असुरक्षित हो गई. आज बड़ी बड़ी बाते करने वाली हमारी सरकारों की नाक के नीचे एक छोटी सी बच्ची मसल दी जाती है उसे खरोच डाला जाता है फिर भी  हमारा कानून ऐसे जालिमों को वह सजा नहीं दे पाता जिसके वे वास्तव में हकदार है

जयललिता बीमार....मार्कंडे का प्यार जागा, लालू भी आये नये अंदाज में!

अपने बयानों को लेकर विवादों में  में!रहने वालों में यूं तो देश के कई नामी गिरामी हैं लेकिल जब पूर्व चीफ जस्टिस मार्कंडे काटजू और पूर्व रेलमंत्री व बिहार के पूर्व मुख्य मंत्री लालू प्रसाद बोलते हैं तो इसका रंग ही अलग होता है.यह दोनों हस्तियां अपने विवादास्पद बयानों से तत्काल चर्चा में आ जाते हैं.उनके बयानों की या तो तीव्र प्रतिक्रिया होती है या फिर उन्हें स्वंय अपने बयान का खंडन करना पड़ता है. कुछ में उन्हें इसके लिये माफी मांगनी पड़ती है. काटजू हाल ही बिहार पर दिये गये एक बयान के बाद फिर चर्चा में आये थे जिसमें उनके खिलाफ कोर्ट में याचिका भी दायर की है अब उनका ताजा बयान आया है तामिलनाडृ की मुख्यमंत्री जयललिता पर-वे कहते हैं तामिलनाडू की मुख्यमंत्री जयललिता  शेरनी है और उनके विरोधी  लंगूर. .काटजू फेस बुक में भी हैं उसी में उन्होंने एक पोस्ट में  लिखा है कि जब वो जवान थे तो उन्हें जयललिता से प्यार हो गया था उन्होंने लिखा, उस वक्त मुझे जयललिता काफी मनमोहक लगती थीं. मैं उनके प्यार में पड़ गया था.लेकिन जयललिता को इस बारे में नहीं पता था, यह एकतरफा प्यार था काटजू ने लिखा, मुझे वह अब भी अच्

हमारी सेना बहादुर थी, बहादुर हैै और रहेगी.....कोई शक?

उड़ी हमले में हमारे अठारह जवानों के मारे जाने के बाद हमारी सेना ने पीओके में पाक ठिकानों पर जाकर जो सर्जिकल स्ट्राइक किया या 2011 में जिंजर आपरेशन को अंजाम दिया वह हमारी सेना की वीरगाथाओं में से एक है इसका श्रेय किसी पालिटिकल पार्टी का नहीं जाता और न  इस पर सेना के सिवा किसी का  इसको लेकर राजनीति करके लोग क्यों अपना समय गंवा रहे हैं?. देश पर दुश्मनों के हमले होते हैं तो मैदान में नेता नहीं सेना जाती है. सेना की वीरता पर ही जीत और हार का सारा दारोमदार टिका होता है. देश ने आजादी के बाद सेे अब तक कम से तीन से चार युद्व देखे हैं इसमें से कभी  हमारी लड़ाई चीन से हुई तो कभी पाकिस्तान से तो कभी बंगलादेश आजाद कराने के लिये. हर लड़ाई में हमारी फोज ने दुश्मनों के छक्के छुड़ायें हैं. पाकिस्तान से हमारी दुश्मनी पुरानी है पहले वह हमसे फैाज भेजकर मुकाबला करता था लेकिन अब उसकी स्ट्रेटजी बदल गई है उसने देख लिया कि हमसे वह अपनी फौज से टक्कर नहीं ले सकता तो उसने परमाणु अस्त्रो को एकत्र किया और साथ ही अपने ऐसे तत्वों को पालना शुरू किया जो आतंक पर विश्वास करते हैं- उन्हें हमारी सीमा में आतंक फैलाने के ल

सब में मिलावट....लोग खाये तो क्या?और पिये तो क्या?

आज लोगों के समक्ष यह स्थिति बनती जा रही है कि वे क्या खाये क्या न खाये और क्या  पिये और क्या न पिये. खाने पीने की हर वस्तु या तो मिलावटी हो गई अथवा इसमें इतने केमिकल मिले होते हैं कि यह इंसान के स्वास्थ्य को बुरी तरह झकझोर रही है.देश में हर किस्म के रोगों के लिये अब खानपान जिम्मेदार होता जा रहा है. पिछले कुछ समय से सरकार ने इंसानों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया है उसकी एजेंंसियां बाजार में मौजूद ऐसे कई खाद्य पदार्थो को खोज -खोजकर उनकी जांच कर रही है जिसका बाजार काफी गर्म है अर्थात काफी मात्रा में इसका उपयोग लोग करते हैं.मिलावट से निपटने में सरकार और उपभोक्ता मंचों की जिम्मेदारी तो है ही, कंपनियां भी इस मामले में अपनी भूमिका से मुकर नहीं सकती- होता यह है कि कई कंपनियां अपने ब्रांड की नकल पर ज्यादा शोर नहीं मचातीं, क्योंकि उन्हें नकारात्मक प्रचार का डर रहता है. इस संकोच के साथ मिलावटखोरों व नक्कालों से नहीं निपटा जा सकता. नूडल्स मैगी विवाद ने खाने-पीने की चीजों में मिलावट के मामले को चर्चा का विषय बना दिया था उसके  बाद अब सरकारी जांच में स्प्राइट, कोका कोला, ड्यू, पेप्सी और 7अप में

रेलवे में रिकार्ड अपराध.....और अब स्पर्म के लुटेरे भी!

यह रेलवे में पनप रहे एक नए अपराध की कहानी है जो एक ऐसे गिरोह द्वारा संचालित है जो पैसा कमाने के लिये कुछ भी करने को तैयार हैं गिरोह ट्रेनों में सफर करने वाले युवकों सेजबर्दस्तीकर उनके स्पर्म निकालकर बेचने का धंधा करता हैं हालाकि इस मामले की पूर्ण सत्यता सामने नहीं आई है  लेकिन एक पीडि़त ने देश के एक प्रमुख अंग्रेजी-हिन्दी चैनल में अपनी आप बीती पोस्ट करने के बाद इस गिरोह का रहस्योद्घाटन किया है. वेबसाइट में छपी खबर के अनुसार 2 अगस्त 2016 को विशाखापटनम से पटना के लिये एर्नाकलम एक्सप्रेस से रवाना हुए इस शख्स को रात गिरोह के दो सदस्यों ने उसके बर्थ में ही पिस्तौल की नौक पर स्पर्म निकालकर एक पोलीथीन में डालकर चलते बने.उस व्यक्ति ने पहले तो यह बात किसी को नहीं बताई लेकिन बाद में उसने न केवल पूरे कम्पार्टमेंंट को बताया बल्कि एसएमएस के जरिये भी उसने लोगों को सावधान किया है.युवक ने जो एसएमएस भेजा है उसे ज्यों का त्यों चैनल ने अपने वेबसाइट में डाला है ताकि अगर कोई अन्य ऐसा पीडित है तो उसे भी यह बताना चाहिये. पुलिस को भी चाहिये कि वह इसकी सच्चाई का पता लगाये और इस किस्म के अपराधियों को अपने ज

अपराध की तपिश से क्यों झुलस रहा छत्तीसगढ़?

 छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर सहित बड़े शहर इन दिनों गंभीर किस्म के अपराधों से झुलस रहे हैं वहीं पुलिस की नाकामी ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं. एक के बाद एक अपराध और उसमें पुलिस की विफलता ने यह सोचने के लिये विवश कर दिया है कि आखिर यह शांत राज्य अपराधों से कैसे झुलसने लगा?. एक के बाद एक होने वाले अपराधों से पुलिस से ज्यादा छत्तीसगढ़, विशेषकर राजधानी रायपुर में बाहर से आने वाले नागरिक ज्यादा परेशान हो रहे हैं-घटना के तुरन्त बाद पुलिस की कार्रवाही नाकेबंदी होती है इसमें अपराधी तो पतली गली से निकल जाते हैं लेकिन सड़क पर चलने वाले आम आदमी की फजीहत हो जाती है जैसे उसी ने सारा जुर्म किया हो.हाल ही कई वाहनों को रोककर जबर्दस्त तलाशी ली गई. किसी से कुछ नहीं मिला,उलटे अपराधियों को भागने का मौका मिल गया. बड़ी बड़ी घटनाओं ने शहरों में दहशत की स्थिति पैदा कर रखी है. आम आदमी को अपनी सुरक्षा पर संदेह है.असल में छत्तीसगढ़ बाहरी उन अपराधियों का पनाहस्थल बन गया है जिनकी दूसरे राज्यों की पुलिस को तलाश है. अपराधी कतिपय स्थानीय लोगों की मदद से दूसरे राज्यों से आने वाली ट्रेनों व बसों से यहां पहुंचते हैं तथा

पैसठ हजार लोग 'काले से 'गोरे हो गये, बाकी कब?

काला धन एक समानान्तर अर्थ व्यवस्था को पैदा करता है इससे देश का विकास रूक जाता है और उपभोक्ता वस्तुओं तथा उत्पादक वस्तुओं में कमी होती है. ब्लेक मनी अर्थात् गैर कानूनी धन जीवन का एक धु्र्रव सत्य बन चुका है जो पिछले कुछ वर्षो के दौरान हमारी अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंचा रहा है. लोकसभा चुनाव में कालाधन एक अहम मुद्दा था, जिसके बल  पर भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिला. नरेन्द्र मोदी ने वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो विदेशों में जो काला धन जमा है वे उसे भारत लायेगे और प्रत्येक व्यक्ति में खाते में पन्द्रह पन्द्रह लाख रूपये डालेंगे-यह वादा कब पूरा होगा यह तो पता नहीं लेकिन देश से कालाधन बाहर लाने के मामले में सरकार को एक विशेष सफलता हाल के महीनों में मिली- सरकार ने घरेलू आय घोषणा योजना (इनकम डिक्लेरेशन स्कीम) आईडीएस लागू की जिसके तहत देश के 64,275 लोगों ने  4 महीनों के दौरान 65,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बेनामी संपत्ति का खुलासा किया. घरेलू आय घोषणा योजना के तहत लोग अपने काले धन का खुलासा तय समय के भीतर करने पर से टैक्स और पेनाल्टी से बच गये. इसके तहत उन्हें काला धन को