बिजली कंपनी ने गर्मी में परेशान किया अब बारिश में भी....कहां गये दावे!


छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी ने गर्मी के दौरान छत्तीसगढ़वासियों को मेंटनेंस के नाम पर बिजली सप्लाई बंदकर भारी यातना दी थी तथा दावा किया था कि वे ऐसा प्रबंध कर रहे हैं कि लोगों को मानसून के दौरान कोई तकलीफ न हो लेकिन मानसून अभी पूरी तरह से छाया भी नहीं कि कंपनी के सारे दावे खोखले साबित होने लगे.कंपनी ने दावा किया था कि बारिश के दौरान बिजली गुल होने पर विभाग ने कर्मचारियों को अलर्ट रहने व सुधार करने दौड़ पडऩे का निर्देश दिया है लेकिन यह सारी बाते खोखली साबित हुई है. पूरे छत्तीसगढ़ से जो खबरे मिल रही है वह यही दर्शा रही  है कि थोड़़ी से बारिश होते ही बिजली गुल हो जाती है तथा कई कई घंटे तक बिजली के  वापस आने का लोग इंतजार करते हैं.भीषण गर्मी के दौरान विद्युत कंपनी ने बकायदा अखबारों में विज्ञापन जारी कर व एसएमएस के जरिये बिजली कई घंटों तक बंद रखने की सूचना दी थी. यह बंद इसलिये किया गया चूंकि बारिश आने पर लोगों को तकलीफ न हो.इस दौरान लाइन और ट्रांसफार्मर का रखरखाव तथा मरम्मत का काम कथित तौर पर किया गया.  दावा है कि  विभागीय कर्मचारी तीन शिफ्ट में काम करते हैं, लेकिन तेज आंधी और बारिश के दिनों में स्थिति से निपटने के लिए सभी कर्मचारियों को एक ही शिफ्ट में काम करने को कहा गया मगर यह व्यवस्था है भी कि नहीं यह लोग आसानी से समझ नहीं पा रहे हैं चूंकि उन्हें बिजली  गुल होने के बाद भी इस विभाग से सही रिस्पाँस नहीं मिल रहा .शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण अंचलों में भी ट्रांसफार्मर्स को  दुरस्त करने के नाम पर कई घंटे बिजली गुल रखकर लोगों को परेशान किया गया था.अभी बारिश की शुरूआत हैै किन्तु उपभोक्ताओं की शिकायतों के ढेर से ऐसा लगता है कि पूरा मानसून आते आते बिजली विभाग घुटने टेक देगा. कर्मचारियों की कमी को पूरा करने की दिशा में कदम न उठाना भी इस अव्यवस्था के पीछे एक कारण बताया जा रहा है. कंपनी के जो कॉल सेंटर काम कर रहे हैं उसकी हकीकत यही है कि यहां फोन नहीं उठाया जाता.इस वजह से बिजली उपभोक्ता इससे खासे परेशान हैं. कंपनी दावा करती है कि  सभी कॉल सेंटर के कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है कि उपभोक्ताओं के फोन उठायें और बिजली गुल होने की सूचना, फील्ड में काम करने वाली टीम को तत्काल दे लेकिन काल सेंटर या किसी अधिकारी से बात नहीं हो पाती.फोन का हमेशा एंगेज टोन में मिलना आम बात है. विद्युत कंपनी ने इस वर्ष अपे्रल से बिजली की  दरों में अनाप शनाप वृद्वि की थी यह कहते हुए कि दूसरे राज्यों के मुकाबले यहां बिजली सस्ती है लेकिन सुविधाएं अपने उपभोक्ता को कैसे दे रही है वह गर्मी के मौसम में तड़पते लोग ही बयां कर सकते हैं. बरसात के दिनों में बादल की एक गर्जना पर बिजली कंपनी की सारी हेकड़ी निकल जाती है. दूसरी ओर सीना तानकर यह दावा करती है कि विद्युत उपलब्धता की दृष्टि से आने वाले 4-5 वर्षों तक विद्युत आधिक्य राज्य छत्तीसगढ़ बना रहेगा इस हेतु छत्तीसगढ़ राज्य शासन सहित विद्युत वितरण कंपनी ने अनेक विद्युत उत्पादकों के साथ दीर्घ अवधि अनुबंध किये हैं। इसके अनुसार आगामी तीन वर्षों में सिलसिलेवार सेन्ट्रल सेक्टर, निजी विद्युत उत्पादक एवं अक्षय ऊर्जा उत्पादन के बूते करीब 3656 मेगावाट की वृद्धि विद्युत उपलब्धता में होगी इसके बावजूद क्यों ऐसी स्थिति बन रही है?  देश के सबसे गरीब राज्य छत्तीसगढ़ में सस्ती बिजली के दावों  में कितनी सत्यता है यह दूसरे गरीब राज्यों से तुलना करने पर लगाया जा सकता है. .पूरे देश की तुलना करने पर छत्तीसगढ़ में बिजली की दर सबसेे ज्यादा निकलती है क्योंकि छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति औसत आय देश में दूसरे नंबर पर सबसे कम है.बिजली की लगातार उपलब्धता के लालच में लोगों ने विद्युत कंपनियों की बहुत सी खामियों को नजर अंदाज कर दिया लेकिन जब विद्युत सेवा बुरी हालत में पहुंच रही है तो उनका आक्रोश कं पनी के रखरखाव की तो पोल खोल ही रहा है साथ ही अब बिजली दरों में बारह प्रतिशत के इजाफे पर भी सवाल उठाया जाने लगा है. घरेलू बिजली की दरों में अधिकतम 13 प्रतिशत तथा कृषि पम्पों की बिजली दरों में 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. छत्तीसगढ़ को  देश का  प्रथम जीरो पॉवर कट स्टेट माना जाता है लेकिन यहां रखरखाव व  मौसमी  मार से होने  वाली कटौती को इस आंकडों से दूर रखा गया है. जिस हिसाब से रखरखाव व मौसमी मार पर कटौती की जाती है उसे जोड़कर देखा जाय तो छत्तीसगढ़ में विद्युत कटौती  सबसे ज्यादा है. छत्तीसगढ़ की अधिकतम विद्युम मांग 4000 मेगावाट तक पहुंच रही है, जबकि विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त विद्युत की उपलब्धता प्रदेश में 4612 मेगावाट है.





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