खून की प्यासी क्यों हो रही नई पीढ़ी?



एक बारह साल की लड़की ने अपने नौ साल के भाईर् की गला काटकर हत्या कर दी.जुवेनिल कोर्ट ने दिल्ली दुष्कर्म कांड के नाबालिग सर्वाधिक क्रूरतम कर्म करने वाले आरोपी को तीन वर्ष की कैद की सजा दी. यह खबरे सुनकर सभी को आश्चर्य तो हुआ होगा साथ ही यह भी मन में विचार आया होगा कि वर्तमान पीड़ी किस बहाव में बह रही है.बहन द्वारा भाई की निर्ममतापूर्वक हत्या का मामला अभी बुधवार का ही है जिसने संपूर्ण  जगन्नाथपुर जमशेदपुर झारखंड सहित पूरे देश को सोचने के  लिये मजबूर कर दिया कि देश की युवा पीढ़ी का एक बहुत बड़ा वर्ग किस तरफ बढ़ रहा है और हमारा समाज उसे क्यों गंभीरता से नहीं ले रहा. यह भी सवाल उठने लगा है कि आजकल टीवी चैनलों में दिखाये जा रहे इंटरनेट के एक विज्ञापन की तरह क्या बच्चा पैदा होते ही इतना ज्यादा एडवांस हो गया है कि वह सारी दुनियादारी को समझकर समाज के एक बहुत बड़े हिस्से के लिये खतरनाक साबित होने लगा है.अभी कुछ दिन पहले की बात है रायपुर की एक कालोनी में दो तीन बच्चे जिनकी उमर करीब दस बारह साल के आसपास की होगी एक घर में चंदा मांगने पहुंचे वहां उनकी उस व्यक्ति से चंदे को लेकर कु छ विवाद हुआ. वे वहां से चले गये लेकिन कुछ देर बाद ही कुछ और बच्चों को  लेकर लाठी व अन्य हथियारों से लैस होकर फिर वहां पहुंच गये तथा उसी प्रकार लड़ाई करने लगे जैसे बड़े लोग करते हैं. सरकार हर बच्चों को शिक्षा और घर का बच्चा पढ़े, जैसे लाख दावे करें लेकिन यह सत्य है कि बच्चों का एक बहुत बड़ा हिस्सा आज भी स्कूल की दहलीज तक भी नहीं पहुंचा है. ऐसे बच्चों का एक बहुत बड़ा वर्ग खड़ा हो रहा है जो घर-परिवार के लिये तो खतरा बन ही रहा है साथ ही समाज के लिये भी, जिनकी बुनियाद ही छोटी छोटी चोरी,जुआ,शराबखोरी पर रखी जा रही है. ''मां कहती है बेटा जा फलाने घर के आंगन में लगे कच्चे आम या करियापत्ती तोड़ ला.मां या बाप का यह छोटा सा काम जो बच्चे को सौपा जाता है वह कितने बड़े अपराध को जन्म देता है, यह वे नहीं समझ पाते. बच्चा डंडे लेकर किसी मकान में करियापत्ती या  आम तोड़ने जाता है, तो वहां उसे कई चीजे बाहर पड़ी दिखाई देती है- उसे भी वह उनके साथ समेट लेता है-यह उसके चोरी की शुरूआत है, इसके साथ ही वह बड़े बच्चो के साथ बीड़ी, सिगरेट,जुआ व अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन भी शुरू कर देता है.ÓÓ बच्चों में अपराध की प्रवृत्ति का विकास कुछ इसी तरह हो रहा है, जो घर से होकर मोहल्ला, गांव और शहर तक पहुंच रहा है. जगन्नाथपुरी में हुई घटना कुछ इसी तरह की परिस्थितियों का परिणाम है जिसके चलते एक बहन ने अपने छोटे भाई की निर्ममता पूर्वक हत्या कर दी. यह बच्चे मजदूर परिवार के हैं तथा मां बाप घटना के समय काम पर गये थे, लड़की ने खूब शराब पी रखी थी. शराब परिवारों को तो तबाह कर रही है बच्चो को भी अपनी चपेट में ले रहा है यह इस बात का गवाह है. सराकर के लिये ऐसे परिवारों की मोनिटरिंग अब जरूरी हो गई है. जब तक आसपास के स्कूल शिक्षक- शिक्षिकाओं को आसपास के घर- घर भेजकर लोगों को बच्चों को स्कूल भेजने के लिये मजबूर नहीं कराया जायेगा इस तरह की घटनाएं होंगी. यह केंसर का रूप न ले बैठे इससे पूर्व सरकार को प्राथमिकता से इस पर घ्यान देना जरूरी है. अमीरों व मध्यम वर्ग के बच्चे तो किसी प्रकार स्कूल भेज दिये जाते हैं लेकिन गरीबों का एक बड़ा वर्ग आज भी सही ढंग से शिक्षित नहीं हो रहा इसपर विशेष ध्यान दिया जाना जरूरी है.

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