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अराजकता की श्रेणी तो आ ही चुकी, सम्हाल सको तो सम्हालों!

रायपुर दिनांक 2 फरवरी 2011 अराजकता की श्रेणी तो आ ही चुकी, सम्हाल सको तो सम्हालों! लोकतंत्र, अराजकता, बाद में तानाशाही- हमने राजनीति में यही पड़ा था। लोकतंत्र जब असफल होता है तो अराजकता आती है और उसके बाद तानाशाही। क्या देश में ऐसी स्थिति का निर्माण हो रहा है? अगर भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त के हालिया बयान का विश£ेषण करें तो कुछ ऐसा ही प्रतीत होता है। उन्होंने देश में चुनाव सुधारों की तत्काल आवश्यकता महसूस की है। मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार चुनाव सुधार की प्रक्रिया पिछले बीस सालो से लंबित है। सवाल यह उठता है कि लोकतंत्र की दुहाई देकर सत्ता में काबिज होने वाले राजनीतिक दलों ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को इतने वर्षो तक क्यों अनदेखा किया? देश में चहुं ओर जिस प्रकार का वातावरण निर्मित हुआ है चाहे वह भ्रष्टाचार हो, मंहगाई या अपराध-क्या उसे अराजकता की संज्ञा नहीं दी जा सकती। सबसे बड़ी बात तो यह कि निर्वाचित सरकार लोकताङ्क्षत्रक व्यवस्था में इस स्थिति को निपटाने में पूर्ण असफल साबित हुई है ओर पटरी से उतर चुकी व्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने में एक तरह से विफल साबित हुई है। लोकतांत्रिक व्यवस्था क

मौत के मुंह में घर का बेटा- परिजनों के आंसू से भीगी छत्तीसगढ़ की माटी

रायपुर दिनांक 1 फरवरी 2011 मौत के मुंह में घर का बेटा- परिजनों के आंसू से भीगी छत्तीसगढ़ की माटी जिसके साथ बीतती है वही जानता है दर्द क्या होता है?छत्तीसगढ़ वह दुर्भाग्यशाली राज्य बनता जा रहा है जहां बहुत से लोग प्राय: एक के बाद किसी न किसी अप्रत्याशित गम के दौर से गुजर रहे हैं। कभी किसी का अपहरण,किसी की दुर्घटना में मृत्यु तो कभी कोई बड़ी घटना में परिवार के किसी का गुजर जाना एक आम बात हो गई है। इस समय सर्वाधिक चर्चा है उन पांच जवानों की जिन्हें नक्सली अन्य ग्रामीणों के साथ अपहरण कर जंगल में ले गये। राज्य सरकार से गुहार लगाने के बाद भी कोई हल नहीं निकला तो इन जवानों के परिजन स्वंय उन्हें जंगल में खोजने के लिये निकल पड़े हैं। परिवार के सदस्यों का दर्द इतना ज्यादा है कि उनके मुंह से अब आवाज निकलना तक बंद हो चुकी है। उनके आंसू से धरती गीली होती जा रही है। यह दर्द उन्हें उस समय और बढ़ा देता है जब इन जवानों के साथ अपहरत किये गये ग्रामीण वापस आ जाते हैं मगर जवान वापस नहीं आते। मुख्यमंत्री उा. रमन सिंह ने दिल्ली रवाना होने के पहले नक्सलियों के नाम एक मार्मिक अपील यह कहते हुए की कि वे मानवता क

हर हाथ में मोबाइल की खुशी देखी नहीं गई सरकार से,बजट में और पड़ेगी मार!

रायपुर दिनांक 31 जनवरी 2011 हर हाथ में मोबाइल की खुशी देखी नहीं गई सरकार से,बजट में और पड़ेगी मार! सब ठीक चल रहा था,लोग कहने लगे थे कि महंगाई सब जगह है लेकिन मोबाइल और फोन पर बात करना सस्ता है लेकिन ऐसा लगता है कि सराकर को लोगो की यह खुशी भी पसंद नहीं आई। नये संचार मंत्री ने ऐसी छड़ी घुमाई कि उनको सब जानने लगे कि मंहगाई बढाने वाले एक बादशाह यह भी हैं। स्पेक्ट्रम जिसके बारे में देश की आधे से भी ज्यादा जनता नहीं जानती का बहाना बनाकर मोबाइल की सुख सुविधा लोगों के हाथ से छीनने का बंदोबस्त आदरणीय कपिल सिब्बल साहब ने कर दिया। इसकी सीधी मार उपभोक्ताओ की जेब पर तो पड़ेगी ही नये आपरेटर जो अब तक खुशी खुशी अपना कारोबार शुरू कर रहे थे उन्हें भी दुखी कर दिया। स्पेक्ट्रम वह सिग्नल या रेडियोधर्मी तरंग है जो मोबाइल मे आवाज और सिग्नल के लिये प्रयोग में लाया जाता है। पूर्व में यह तरंग आपरेटरों के लिये नि:शुल्क कर दिया गया था इससे मोबाइल की दरें सस्ती हो गई थी लेकिन अब सरकार ने मना कर दिया कि वह नि:शुल्क स्पेक्ट्रम नहीं देगी। अब तक जो घोटाले इस मामले में किये हैं उनको सजा देने की जगह यह कौन सा न्याय है क

दुकाने कम करने से शराब पीने वालों में कितनी कमी होगी?

रायपुर दिनांक 30 जनवरी 2011 दुकाने कम करने से शराब पीने वालों में कितनी कमी होगी? छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में शराब पीने वालों की संख्या घटाने के लिये दो हजार से कम आबादी वाले ढाई सौ ग्रामों में शराब दुकाने बंद करने का फैसला किया है। सरकार का दावा है कि इससे शराबखोरी बहुत हद तक बंद होगी? पीने वालों का क्या है, जिसें पीना है वह पाताल खोदकर भी पीता है, उसे कोई नहीं रोक सकता। इस गांव में शराब नहीं है तो दूसरे गांव में जाकर पियेगा। इस स्थिति से निपटने के लिये पूर्ण शराब बंदी ही एक उपाय है लेकिन सरकार के लिये यह संभव नहीं है चंूकि सरकार को करोड़ों रूपये का राजस्व सिर्फ इसी धंधे से मिलता है। गांव गांव में शराब दुकानें खोलकर सरकार स्वंय लोगों को शराब पीने के लिये प्रोत्साहित करती है। यह एक तरह से व्यवसाय है-इससे किसी का परिवार बिखरे या टूटे सरकार का कोई लेना देना नहीं। शराब बिक्री से राजस्व नहीं होने की स्थिति में इसका खामियाजा आबकारी विभाग को भरना पड़ता है। वे भी यही प्रयास करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा शराब लोग पिये। सरकार ने प्रदेश की ढाई सो शराब दुकानों को अगले वित्तीय वर्ष से बंद करने

सत्यनिष्ठों की कमी, बचे-कुचे जो हैं, उल्हें सम्हाले रखना जरूरी!

रायपुर दिनांक 29 जनवरी 2011 सत्यनिष्ठों की कमी, बचे-कुचे जो हैं, उल्हें सम्हाले रखना जरूरी! ईमानदार,सत्यनिष्ट, देशभक्त इन नामों के मनुष्य अब दुर्लभ होते जा रहे हैं। जो बचे हैं उन्हें कहीं गोलियों से भून दिया जा रहा है तो कहीं जिंदा जलाया जा रहा है। अगर जल्द ही कोई विशेष कदम नहीं उठाया गया तो इस ढंग के लोगों का नामोनिशान मिट जायेगा। अभी कुछ साल पहले इंडियन आयल कंपनी में गड़बड़ी पकड़ी तो ईमानदार एस. मंजूनाथ को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.... अैार अब महाराष्ट्र में एक एडीशनल कलेक्टर यशवंत सोनवाने को इसलिये जिंदा जला दिया गया चूंकि उसने मिलावट खोरों के खिलाफ सबूत इकट्ठे करने का प्रयास किया। हमारा राष्ट्रीय चरित्र कुछ इस ढंग का बिगड़ा है कि आम जनजीवन से ईमानदार, देशभक्त, सत्यनिष्ठ जैसे अलंकरण अब गायब होते जा रहे हैं। किसी भी प्रकार से एक मुश्त संपत्ति अर्जित करने के लिये लोग अपने देश तक को बेचने के लिये तैयार है। माधुरी गुप्ता सहित वे मीरजाफर इसके उदाहरण है जिन्होंने हाल के वर्षो में अपनी सुविधा और अपने हित के लिये देश को तक बेचने का काम किया। मंजूनाथ की जब हत्या की गई तब ऐसा लगा था कि भ्र

नाश्ते में चोरी, मारपीट...लंच में अपहरण-हत्या

रायपुर दिनांक 24 जनवरी 2011 नाश्ते में चोरी, मारपीट...लंच में अपहरण-हत्या छत्तीसगढ़ बनी अपराध की मंडी! पोह फटने के साथ ही अगर किसी शहर में अपराध का खाता खुल जाये तो यह अंदाज लगाया जा सकता है कि उस शहर मे अपराध की दौड़ कितनी फास्ट होगी। रात गश्त(? ) पर निकले पुलिस वाले अभी उठ भी नहीं पाते कि चोरी-मारपीट की घटनाओं से उनका नाश्ता तैयार हो जाता है और रात तक अपराध के कई पकवान तैयार हो जाते है। पिछली रात छुरा गरियांबद में पत्रकार के खून से रंगी पिस्तौल से निकला खून अभी सूख भी नहीं पाया था कि रायपुर का डूमरतलाब पिस्तौल की धूं धू सेे कांप उठा। चौबीस घंटे के भीतर एक ही तरह की दो वारदातों ने पुलिस तंत्र को तो हिला ही दिया मगर सबसे ज्यादा दहशत में आम नागरिक है जो यह समझ ही नहीं पा रहा है कि छत्तीसगढ़ के शहरों में अचानक यह कौन सी आफत आन पड़ी है। बिलासपुर, रायपुर, छुरा तीन जगह एक ही तरह की वारदात- बिलासपुर में पत्रकार सुशील पाठक की गोली मारकर हत्या, रायपुर में राजेश सिह डागा की गोली मारकर हत्या और छ़ुरा मे पत्रकार उमेश राजपूत की हत्या लगभग लगभग एक ही तरह से हुई। कोई भी दो चके की गाड़ी पर नकाब लगाक

हर भारतीय चाहता है चप्पे- चप्पे पर तिरंगा फहराये लेकिन बंदूक और तनाव के बीच नहीं!

रायपुर शनिवार 22 जनवरी 2011 हर भारतीय चाहता है चप्पे- चप्पे पर तिरंगा फहराये लेकिन बंदूक और तनाव के बीच नहीं! छब्बीस जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर कश्मीर के लाल चौक में भाजपा द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने का निर्णय कश्मीर में लौट आई शांति को कितना कायम रख सकेगी यह अब सोचने का विषय बन गया है। हर राष्ट्रभक्त भारतीय चाहता है कि गणतंत्र पर भारत भूमि के चप्पे चप्पे पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाये लेकिन तिरंगा बंूदक और तनाव के बीच फहराये यह कोई नहीं चाहता। शायद इसी आशंका को लेकर कश्मीर के मुख्यमंत्री ने भाजपा से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की बात कही है। उन्नीस सालो में यह पहला अवसर था जब सन् 2010 में कश्मीर के लाल चौक में गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया। इसके पीछे छिपे कारण पर गौर किया जाना चाहिये कि तब अर्थात सन् 1991 से लेकर 2009 तक लाल चौक पर तिरंगा सेना पूरे लावलश्कर के साथ अपने अंदाज में फहराती रही है। बीजेपी और जम्मू कश्मीर नेशनल कान्फ्रेंस की तनातनी के बीच इस बार कश्मीर में विशेषकर लालचौक में तिरंगे का राजनीतिकरण कर दिया गया है। इस सारे फसाद की जड़ है

यूं कब तक तोड़ते रहेंगे घोटाला भवनों को? सरकार जप्त करें

रायपुर दिनांक 21 जनवरी यूं कब तक तोड़ते रहेंगे घोटाला भवनों को? सरकार जप्त करें जमीन घोटाला अब अन्य घोटालों की तरह आम हो गया है। देश का सर्वाधिक चर्चित जमीन घोटाला है मुम्बई का आदर्श सोसायटी मामला । इस घोटाले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। मामला सीबीाआई के हाथ में हैं और हाईकोर्ट ने एफआई्रआर दर्ज करने में देरी के लिये सीबीआई को फटकार लगाई है। सेना के पूर्व सेनाध्यक्ष दीपक कपूर सहित कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के फलेट भी इस विवादास्पद सोसायटी में हैं। हाल ही केन्द्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने नियमों का हवाला देते हुए आदर्श घोटाले में लिप्त बहुमंजिले भवन को तीन महीने के भीतर गिरा देने का आदेश दिया है? सवाल यह है कि देश में भ्रष्टाचार या अवैध तरीके से बनने वाले ऐसे भवनों को क्या तोड़ देने से समस्या का समाधान निकल जायेगा? हम मानते हैं कि इसे बनाने में भ्रष्टाचार हुआ है। इसे बनने में देश का पैसा लगा है। बनाने वाले भी देश के लोग और इसमें लगा मटेरियल सीमेंट, और अन्य कच्चा माल भी देश का। विदेश से कोई चीज नहीं आई? क्या बिल्डिग़ं को तोड़ देने

यूं ही दबकर रह जाती है, केन्द्र में राज्य की आवाज!

रायपुर दिनांक 19 जनवरी 2011 यूं ही दबकर रह जाती है, केन्द्र में राज्य की आवाज! अगर राज्य कहे कि उसकी बात केन्द्र नहीं सुनता तो इसमें विश्वास न करने वाली बात ही नहीं है चूंकि केन्द्र और राज्य में दो विपरीत विचारधारा वाली सरकार है। जब ये बैठते हैं तो वे इनकी नहीं सुनते और जब वो बैठते हैं तो यह भी उनकी नहीं सुनते-सत्ता के समीकरण में यह खेल कई वर्षो से चला आ रहा है। इस खेल का शिकार उस राज्य के नागरिक होते हैं। सरकारें बनने के बाद पूर्व सरकार के निर्णय तक को बदल देती हैं चाहे वह जनता के हित मे हो या नहीं। विपरीत विचारधारावाली सरकार और केन्द्र के बीच सामंजस्य बिठाना बहुत कठिन काम है फिर भी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने अपने व्यक्तित्व के आधार पर बहुत ताल मेल बिठाला है। उन्होनें केन्द्र से न केवल मदद हासिल की है बल्कि केन्द्र से अपने कार्यो की वाहवाही भी लूटी है इसके बावजूद केन्द्र से राज्य को जो मदद व सुविधाएं मिलनी चाहिये वह अब तक राज्य को उपलब्ध नहीं हो रही। रेलवे के लिये जो मांग राज्य से की जाती है उसमें से बहुत कम ही स्वीकार की जाती है। पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी नहीं मिल

सड़कों पर खूनी खेल...

रायपुर दिनांक 15जनवरी 2011 सड़कों पर खूनी खेल... न कभी किसी ने रोका, न ही रोक सका! रात दस- ग्यारह बजे के बाद छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की सड़कों, पर खूनी खेल चलता है, यह खेल अग्रेयास्त्र से हो सकता है तो चाकू या फिर किसी खूनी वाहन से! कालोनियां, गली मोहल्ले भी इससे अछूते नहीं हैं। तेज वाहन हिट एंड रन का खेल खेलते हैं तो चाकूबाज और अग्नेयास्त्र से लैस लोग किसी का भी शिकार कर सकते हैं। दस बजे के बाद रायपुर का प्रशासन रिंग रोड़ से गुजरने वाली ट्रकों को भी रायपुर से घुसने की इजाजत दे देता है-यह वाहन तो शहर में धुसने के बाद सड़कों को अपनी जागीर समझ लेते हैं। इस दौरान शहर के बाहर बने ढाबों से खा पीकर लौटने वाले किस ढंग से गाड़ी चलाते हैं यह किसी को बताने की जरूरत नहीं। बुधवार को जो हादसा शहीद स्मारक के पास से शास्त्री चौक के बीच हुआ वह रायपुर के लिये कोई नई बात नहीं। पांच महीने पहले शंकर नगर में बुलेरों से इसी प्रकार एक दंपत्ति कुचलकर मार दी गई थी। राजातालाब, लालगंगा शाप, कोटा-गुढियारी मार्ग, जेल रोड़ पर देवेन््र्रद्र नगर चौक, तेलीबांधा, फाफाडीह में हुई घटनाओं को कोई भूल नहीं सका। हत्य

मंहगाई का तमाशा.. सरकार कहां?

रायपुर दिनांक 16 जनवरी मंहगाई का तमाशा.. सरकार कहां? क्या करें गरीब! मुश्किल में इंसान जनता गले तक मंहगाई में डूबी हुई है, उसका दम घुट रहा है और भारत के वित्त मंत्री कह रहे ह-ैं 'घबराने की जरूरत नहीं हैंÓ। दूसरी ओर कृषि मंत्री शरद पवार का कहना हैं कि देश में महंगाई बढऩे का उनके विभाग से कोई लेना देना नहीं। इस बीच पेट्रोलियम कंपनियों ने आव देखा न ताव एक माह में दूसरी बार पेट्रोल के भाव में ढाई रूपये की वूद्वि कर दी। पिछली बार भी लगभग इतनी ही वृद्वि की गई थी। पेट्रोलियम मंत्री मुरली दावड़ा हाथ धोकर बैठ गये हैं। आखिर जनता किसके पास जाये? ईमानदारी से काम कर मासिक वेतन पाने वाला इंसान तो समझों मर गया। मंहगाई तो उसे मार ही रही है साथ ही अगर वह बीमार पड गया तो डाक्टर और दवा कंपनियां उसे मार डालेंगी। एक चिकित्सक आज सिर्फ जांचने का दो से लेकर ढाई सौ रूपये तक लेता है तभी वह आसमान छूती जीवनरक्षक दवाएं लिखकर देता है। आखिर क्या करें हम? सरकारों ने हमें किस हालात में लाकर छोड़ दिया है? बाजार में कोई ऐसी वस्तु नहीं है जो आज एक मध्यम वर्गीय उपभोक्ता कुछ मामूली दाम देकर खरीद सकें। सरकार जहां मंह

न बच्चे सुरक्षित, न महिलाएं-

रायपुर दिनांक 11 जनवरी न बच्चे सुरक्षित, न महिलाएं-गुण्डों की नई पौध पुलिस से ज्यादा होशियार! रितिक, रौशन, और सत्यजीत के बाद अब और न जाने कितने...?कौन देगा छत्तीसगढ़ के पालकों को गारंटी कि उनके बच्चे स्कूल या धर अथवा खेल के मैदान में सुरक्षित हैं। किसी को पैसे की जरूरत हो तो बच्चा पकड़ लाओं और खेल खलों फोन से जुए का-पैसा मिल गया तो ठीक वरना किसी गटर में अपने प्यारे बच्चे की सड़ी गली लाश ले जाओ..यह कैसी स्थिति बना दी गई है छत्तीसगढ़ में। कौन जिम्मेदार है, इसके लिये? संपूर्ण राज्य में अपराधियों ने एक तरह से अपना वर्चस्व कायम कर लिया है। जो अपराध राज्य बनने के पहले नहीं होते थे वे भी अब फल फू ल रहे हैं। महिलाएं बच्चे कोई सुरक्षित नहीं हैं। महिलाओं के गले से कभी भी चैन खीच ली जाती है तो कभी भी उन्हें कोई मजनू सड़क पर बेइज्जत कर देता है। छेड़छाड़ की घटनाओ से तंग युवतियों को अपनी जान तक गवानी पड़ी है। छत्तीसगढ़ पुलिस में ढेर सारी महिला पुलिस कर्मियों की नियुक्ति के बाद भी न महिलाएं सुरक्षित हैं और न ही बच्चे। राजधानी रायपुर, बिलासपुर,अंबिकापुर, रायगढ, कोरबा, भिलाई सब आपराधिक गतिविधियों के के

एक दाढी ने क्या उड़ाया गवर्नर को,सारे दाढियों पर आई पाक में आफत!

रायपुर सोमवार दिनांक 12 जनवरी 2011 एक दाढी ने क्या उड़ाया गवर्नर को,सारे दाढियों पर आई पाक में आफत! दाढी वाला, मूछवाला, मोटू, लम्बू, थोंधवाला, टिग्गू, फेटे वाला,चेन्दुआ, टकलू,कालू, गोरू।यह कुछ उपमाएं हैं जो लोगो को उनके रूप रंग और व्यक्तित्व के आधार पर मिलती है। लोगों ने अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार लोगों को यह उपनाम दे रखे हैं। ऐसी उपमाएं सिर्फ हमारे देश मे ही नहीं पडौस के देशों और यहां तक कि अंगे्रजों के देश में भी दी जाती हैं। इन उपमाओं को लोग उनके असली नाम की अपेक्षा जल्दी समझ जाते हैं। यह जिक्र इसलिये आया कि हाल ही पाकिस्तान में पंजाब सूबे के गवर्नर रहे सलमान तासीर की हत्या कर दी गई हत्या जिसने की वह एक सुरक्षा कर्मी था तथा दाढ़ी रखे हुए था। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में इस हत्याकांड के बाद सुरक्षा के लिहाज से माहौल तेज़ी से बदल रहा है वहां सरकार ने अपनी सुरक्षा नीति में बड़ा बदलाव करते हुए महत्वपूर्ण लोगों की सुरक्षा में तैनात 10 दाढ़ी वाले सुरक्षा कर्मियों को ड्यूटी से हटा दिया है। पंजाब सरकार ने नए सिरे से एलीट फोर्स के जवानों की जांच शुरू की है ताकि आगे तासीर की हत्या जैसी कोई वा

भ्रष्टाचार में अर्जित संपत्ति

रायपुर दिनांक 8 जनवरी 2011 भ्रष्टाचार में अर्जित संपत्ति अब जनता के खजाने में, बिहार में कानून, केन्द्र भी होगा सख्त! भ्रष्टाचार के खिलाफ लिखे गये मैरे प्राय: सभी आलेख में मैं शुरू से ही यह सुझाव देता आया हूं कि पहले उपाय के तौर पर सरकार को भ्रष्ट लोगों की संपत्ति जप्त कर लेनी चाहिये, लगता है जनता की तरफ से उठी मैरी आवाज सरकार तक पहुंच गई है और इस सुझाव पर इस वर्ष पूरे देश में अमल हो जाये तो आश्चर्य नहीं। बिहार सरकार ने सन् 2010 से इसपर अमल शुरू कर दिया है। विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत के बाद तो नितीश कुमार की सरकार इस मामले में और कड़क हो जाये तो आश्चर्य नहीं। भ्रष्टाचार से सारा देश पीडि़त है और अगर इसपर नियंत्रण की शुरू आत बिहार से हो जाये तो इसे एक अच्छा संकेत ही माना जायेगा। केन्द्र सरकार इस साल के शुरू होने के साथ भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करने के लिये एक अध्यादेश की बात कर रही है लेकिन अध्यादेश लाने में समय लग सकता है। भ्रष्ट नौकरशाहों और राजनेताओं की भ्रष्टाचार से बनाई गई संपत्ति को जप्त करना सर्वाधिक उचित उपाय है बिहार में इसकी सफलता से यह साल भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लडऩे में

खूब ठंड, खूब बारिश, खूब गर्मी

रायपुर बुधवार दिनांक 5 जनवरी 2011 खूब ठंड, खूब बारिश, खूब गर्मी अलग अलग रूपों में प्रकृति! पारे का उतार चढ़ाव मौसम विज्ञानियों और पर्यावरणविदों दोनों को आश्चर्य चकित कर रहा है। विश्व में बरसात के बाद इस मौसम में इतनी ठंड पडी है कि बर्फ की चादर से सारा इलाका ढक गया। ठण्ड से देश व विदेश में कई लोगों की मृत्यु भी हुई है। गर्मी के दिनों में भी इसका उलटा था गर्मी इतनी पड़ी कि लोगों का जीना मुश्किल हो गया। पारा 53 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच गया। पिछले वर्ष बारिश ने भी ऐसा कहर ढाया कि दुनिया के कई देशों में जनधन की भारी बर्बादी हुई। कहा यही जाता है कि गर्मी ज्यादा पड़ी तो बारिश अच्छी होगी और बारिश अच्छी होगी तो ठंड भी ज्यादा पड़ेगी। बारिश के मौमस के बाद आई इस बार की ठंड ने शुरू से भारत के उत्तरी राज्यों में कहर ढाना शुरू कर दिया था। देश का उत्तरी भाग अब भी सिकुड़ रहा है लेकिन दक्षिण में इस मौसम में भी इतनी गर्मी पड़ रही है कि लोगों को बदन से कपड़े उतारने पड़ रहे हैं। एक ही देश में मौसम की दो परिस्थितियां -यह कोई नई बात नहीं है,गर्मी के मौसम में भी ऐसा ही होता है जब देश के कई इलाकों में भ

छत्तीसगढ़ के शहरों में चोर-पुलिस का हाईटेक ड्रामा, पिस रहे हैं लोग!

रायपुर दिनांक 7 जनवरी 2011 छत्तीसगढ़ के शहरों में चोर-पुलिस का हाईटेक ड्रामा, पिस रहे हैं लोग! लकड़ी चोर को चौकीदार ने चोरी करने से ललकारा तो उसने उसका हाथ ही काट डाला, यह घटना हुई कोरिया के बंैकुठपुर में। राजधानी रायपुर में एक चोर का साहस देखिये कि वह पूर्व पुलिसवाले के घर ही चोरी करने पहुंच गया। एक अन्य मामला आमानाका थानान्तर्गत पार्थिवी पैसिफिक और मारूती इनक्लेव कालोनी में हुआ जहां चोर या डकैत जो भी हो, विरोध करने पर चौकीदार को बंधक बना लिया। कालोनी वालों को तो छोडिय़े पुलिस वालों से ही भिड़ गये चोर। उन्हें पत्थर मारकर दौड़ाया। कलेक्टर ने एक चोर को जिला बदर किया है जिसपर चोरी के दस मामले हैं। ऐसे कितने ही चोर जगह जगह उत्पात मचाये हुए हैं। राजधानी रायपुर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में चोरी अब एक व्यवसाय बनता जा रहा है। जिसमें बच्चों से लेकर युवा और अधेड़ तक शमिल हो गये हैं। जो पकड़ा गया वह चोर वरना ऐसे लोग अपना काम धडल्ले से किसी के भी घर को अपना निशाना बनाकर कर रहे हैं। पुलिस चोरों के इस बदलते रूख पर हाथ पर हाथ धरे बैठने के सिवा कुछ नहीं कर पा रही है। एक गिरोह नेस्तनाबूत हो जाता है तो उस

आरूषी-हेमराज हत्याकांड-सीबीआई क्यों पीछे हटी-आखिर हत्यारा कौन?

रायपुर शनिवार दिनांक 1 जनवरी 2011 आरूषी-हेमराज हत्याकांड-सीबीआई क्यों पीछे हटी-आखिर हत्यारा कौन? चार दीवारी के भीतर चार लोग, इसमें से दो की हत्या, एक मरने वाला घर का नौकर-दूसरा घर की बेटी। कौन हो सकता है हत्यारा? नोएड़ा का आरूषी हेमराज हत्याकांड दो साल से इसी सवाल पर उलझा हुआ है। पहले लोकल पुलिस फिर सीआईडी और बाद में देश की सबसे बड़ी व अधिकार प्राप्त गुप्तचर एजेंसी -'सीबीआइर्Ó। कभी घर के नौकर पर संदेह तो कभी बेटी के बाप पर तो कभी कंपाउडंर और दूसरे के घरों में काम करने वाले नौकरों पर! इन संंदेहों के आधार पर सीबीआई ने पूछताछ के नाम पर कई लोगों को हिरासत में लिया, नारकोटिक्स टेस्ट से गुजारा और हत्या का आरोपी बनाकर जेल में भी ठूस दिया किंतु नतीजा यही निकला कि इनमें से कोई नहीं। अगर इनमें से कोई नहीं तो हत्या किसने की? सीबीआई ने सबूत नहीं मिलने की बात कहते हुए इस हत्याकांड के खुलासे पर घुटने टेक दिये। सीबीआई इस मामले में आगे जांच नहीं करना चाहती। ताजा घटनाक्रम के अनुसार देशभर में सीबीआई के इस कदम की छीछालदर होने के बाद विधिमंत्री वीरप्पा मोइली ने सीबीआई चीफ को बुलाकर जांच जारी रखने की ब

कैसे बीत गया 2010...?

रायपुर, शनिवार दिनांक 1 जनवरी 2011 कैसे बीत गया 2010...? भूले दुर्दिन को, और मनायें नये साल का जश्न...! आज जब आपके हाथ में अखबार होगा नया साल लग चुका होगा। आप सभी को नये साल की शुभकामनाओं के साथ बीते साल के दुस्वप्रों को भूलकर आगे बढऩे की ताकत देेने की प्रार्थना के साथ हम पुराने साल के घटनाक्रमों का स्मरण करें तो शायद बीता साल वास्तव में इस सदी का सबसे ज्यादा घटनाक्रम वाला साल रहेगा जहां भारतीय संसद घपले-घोटालों, भ्रष्टाचार से गूंजता रहा और एक के बाद एक हादसों दुर्घटनाओं ने देश को दहला दिया। उपलब्धियां भी कम नहीं रही। बीता साल क्रिकेट के क्षेत्र में सचिन तेन्दुलकर और बेडमिंटन के क्षेत्र में सायना नेहवाल का रहा। देश ने खेल के क्षेत्र में विश्व में नाम कमाया। कामनवेल्थ गैम्स ने जहां भारत का नाम रौशन किया वहीं इसके आयोजन में हुए घपले घोटालों ने दाग भी लगाया। विदशों से संबन्ध बनाये रखने के मामले में काफी प्रगति हुई। भारत को सुरक्षा परिषद् मे सदस्यता तो प्राप्त हुई लेकिन स्थाई सदस्यता का ख्वाब अब भी बना हुआ है। साल की शुरूआत रेल हादसों से हुई। उत्तर प्रद्रेश में कोहरे की वजह से कम से छै र