जोगी के आंकड़ों का खेल,क्या संभव है भाजपा में बगावत!

रायपुर दिनांक 9 अक्टूबर 2010
जोगी के आंकड़ों का खेल, क्या
संभव है भाजपा में बगावत!
अजीत जोगी का नया पैतरा भाजपा सरकार को कितना हिलायेगा यह तो हम नहीं कह सकते लेकिन 12 भाजपा विधायकों की उनसे मुलाकात की बात ने सियासी हलकों को चर्चित जरूर कर दिया है, कि वे इस दावे के साथ सरकार को परेशान करने की स्थिति में आ गये हैं! अभी कुछ ही दिन पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने विधायकों व पार्टी कार्यकताओं को एक सूत्र में बंधे रहने का डोस दिया था। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद जोगी की बस्तर यात्रा के बाद बने नये समीकरण(?) और उसके बाद के बयान का विश£ेषण किया जाये। तो जोगी से बस्तर में कुछ असंतुष्ट विधायकों की मुलाकात जरूर हुई होगी और यहां उन्होंने जोगी को राज्य सरकार के कार्यो की शिकायत भी जरूर की होगी तथा उनको साथ देने का वायदा भी किया होगा। लेकिन यह संख्या कितनी रही होगी? इसका आंकलन तत्काल नहीं किया जा सकता। जोगी को सरकार पलटाने की महारथ हासिल है,यह किसी से छिपा नहीं है। इसलिये शायद सत्ता पक्ष भी उनकी बातों को यूं ही आई गई नहीं होने देगा। जोगी जब पहली बार सत्ता में आये तो उन्होनें बारह के आंकडेे में ही तरूण चटर्जी और गंगूराम बघेल सहित बारह विधायकों को अपने खेमें में मिलाकर तहलका मचा दिया था। इसके बाद हुए चुनाव में अपनी पार्टी को बहुमत नहीं मिलते देख कुछ विधायकों को पलटाने का आरोप उनपर लगा। अब बस्तर में रेल सुविधाओं की मांग को लेकर रेल रोको अभियान के बाद जोगी ने जो बारह विधायकों के उनसे मिेलने की बात कही है, उसमें कितनी सच्चाई है? राजनीतिक विश£ेषकों ने इसे फिलहाल एक राजनीतिक स्टंट या शिगूफा ही माना है। यह विश£ेषक मानते हैं कि अभी मुख्यमंत्री डॅा. रमन सिंह को हिलाने की ताकत कांगे्रस में नहंीं है। विशेषकर ऐसे समय में जब भटगांव में कांग्रेस को भारी पराजय का सामना करना पड़ा है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इस समय जोगी को ऐसा बयान देना क्यों पडा़? इस बारे में विश£ैषकों का कहना है कि अगर जोगी से बारह विधायक मिलते तो वे इसकी पब्लिसिटी नहीं करते-खामोशी से अपना काम कर जाते। किंतु जब उन्होंने आंकड़ा पूरा होते नहीं देखा? तो यह बयान सामने आया। इससे उनके दो मकसद पूरे हुए- एक यह कि भाजपा के अंदर कानाफंूसी करवा दी और भाजपा के जासूसों को काम पर लगा दिया कि किस- किस विधायक ने पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात की। दूसरा सरकार के अंदर भी हलचल पैदा कर दी कि बस्तर दौरे के बाद फिर जोगी ने आदिवासी कार्ड को भुनाने का प्रयास किया! यहां यह भी उल्ल्ेख करना जरूरी है कि इस बार के पहले हुए विधानसभा चुनाव में जिन विधायकों की खरीद- फरोख्त का आरोप जोगी पर लगा था। उनमें से अधिकांश आदिवासी थे। बहरहाल, राजनीति का रंग कब बदल जाये कोई नहीं कह सकता। मुख्यमंत्री डॅा. रमन सिंह को फिलहाल कोई खतरा नहीं लगता। चूंकि वर्तमान में ऐसी कोई परिस्थिति भी नहंीं है कि बारह विधायक एक साथ दल बदल जैसा कदम उठाये- अगर ऐसी बात होती तो मैंने जैसा पूर्व में कहा- सब कुछ शंतिपूर्ण हो जाता। जोगी कुछ नहीं बोलते, एक तरह से उन्होंने बयान देकर इस सारे खेल को आगे बढऩे से स्वंय ही रोक दिया!

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