भूखी नंगी जनता के चेहने पर तमाचा!

रायपुर शनिवार।दिनांक 21 अगस्त 2010

भूखी नंगी जनता के चेहने पर
माननीयों का करारा तमाचा!
पटरियों पर फेंका हुआ झूठा भोजन हो या किसी आलीशान पार्टी से कूड़े दान में फेंका गया धूल मिट्टी से सना खाना - इसे खाने वाले इस देश में लाखों- करोड़ों की संख्या में भूखे- नंगे हैं। चूंकि यह इंडिया है जहां आम आदमी को दो जून की रोटी के लिये कुछ यूं ही मशक्कत करनी पड़ती है लेकिन इन भूखें- नंगों की जिंदगी को संवारने का ठेका जिन हाथों में सौंपा गया ह,ै वे क्या कर रहे हैं? दिल्ली में मौजूद हमारी प्रजातांत्रिक व्यवस्था के चरम पर बैठकर इस भूखी- नंगी जनता को अंगूठा दिखाकर मुंह चिढ़ा रहे हैं। कल तक उन्हें इस जनता को दलदल से निकालने के लिये सोलह हजार रूपये मासिक दिया जाता था लेकिन अपनी हर बात मनवाने के काबिल इस वर्ग ने जनता की जेब पर ऐसा झपट्टा मारा कि इनकी जेब हर माह अब पचास हजार रूपये से भरने लगेगी। इसमें वह पैसा शामिल नहीं है जो इन्हें भत्तों और सुविधाओं के रूप मेंं प्राप्त होगा। मंहगाई के बोझ से बुरी तरह दबी जनता को जब सांसदों की इस खुशखबरी का पता चला तो उनका पहला सवाल था इन्हें वेतन की क्या जरूरत ? पहले से करोड़पति और अरबपति बने बैठे इस समूह की वेतनवृद्वि पर जनता यह भी पूछती है कि क्या ये कोई सरकारी नौकर हंै जो इनका वेतन जब चाहे तब उनकी अपनी ही समिति बनाकर बढ़ा दिया जाता है? तीन चार साल पहले ही माननीयों के वेतन में वृद्वि की गई थी। उसके बाद अचानक उनके चूल्हे में कहां से पानी पड़ गया कि घर- परिवार सब मंहगाई के जाल में फंस गया और वेतन बढ़़ाने एक जुट हो गये। सरकारी व मलटीनेशनल कंपनियों में काम करने वालों के वेतन में बामुश्किल दो से तीन हजार रूपये की वृद्वि होती है, किन्तु हमारे माननीयों के वेतन में चैतीस हजार रूपये का इजाफा कर गरीबों के मुंह पर ऐसा तमाचा मारा कि इसकी गंूंज पूरे भारत सहित विश्व में गूंज रही है। इतना होने के बाद भी बेशर्मी से संसंद में इस मामले में हंगामा कर इन कथित माननीयों ने जनता को अपना असली चेहरा दिखा दिया। यह तो हमारे माननीयों का हाल है। उनकी पार्टियों पर भी एक नजर हाल ही पड़ी । जब यह पता चला कि पार्टियों ने देश की जनता की जेब में डाका डालकर इतना पैसा अर्जित कर लिया कि ब्रिटेन जैसा देश भी शरमा गया। भारत की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस, विपक्षी पार्टी भाजपा और यूपी की रूलिंग पार्टी के पास इतना पैसा है कि उसके आगे ब्रिटेन की तीन प्रमुख पार्टियां भी कहीं नहीं टिकती। ये हैं गरीब भारत के सेवक?

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ANTONY JOSEPH'S FAMILY INDX

बैठक के बाद फिर बैठक लेकिन नतीजा शून्‍य

छेडछाड की बलि चढ़ी नेहा-