कामन वेल्थ गेम्स

रायपुर शुक्रवार, दिनांक 6 अगस्त 2010
कामन वेल्थ गेम्स
अब कामनवेल्थ गेम्स भगवान भरोसे हैं। यह हम नहीं भारत के खेल मंत्री एम.एस.गिल संसद में बयान दे रहे हैं। सारा विश्व जान गया कि हम इन खेलों में विश्वभर से आने वाले मेहमानों की अगवानी कैसे करने वाले हैं। यह तो अच्छा हुआ कि बारिश से पहले ही सारी पोल खुल गई वरना उस समय बारिश होती तो हम कहीं के नहीं रह जाते। अभी जो पोल खुली है उसकी लीपा पोती संभव है किन्तु आयोजनों से पूर्व जो घपले और भ्रष्टाचार की पोल खुली है उसने संपूर्ण विश्व का ध्यान भारत में व्याप्त अव्यवस्थाओं की ओर खीच लिया है। कामनवेल्थ गैम्स आयोजन समिति के चार बड़े पदाधिकारियों को ऐन समय में हटाकर समिति ने यह बताने का प्रयास किया है कि वह आगे कुछ करके दिखायेगी लेकिन जिस ढंग से भ्रष्टाचार और मनमानी हुई है उसे आसानी से पाटना भी तो संभव नहीं है। समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी इस पूरे मामले में अपने को बचाने का प्रयास जरूर कर रहे हैं किन्तु वे और ज्यादा घिरते प्रतीत हो रहे हैं। भारत में कामनवेल्न्थ गैम्स के आयोजन का फैसला जब लिया गया तो भारत की जनता को इसपर गर्व था कि इससे उसका नाम ऊ ंचा होगा लेकिन कामनवेल्थ आयोजन से पूर्व ही ऐसे कलंक लग गये हैं जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। ठेका देने में परिवारवाद से लेकर पैसे के लेन देन और वस्तुओं की खरीदी सभी में भारी गोलमाल के चलते कामनवेल्थ गेम्स उसके प्रारंभ होने से पहले ही एक घोटाले का बाजार हो गया हैं। जैसे जैसे पोल पर पोल खुलती जा रही है विश्व में हमारा नाम ऊंचा होने की जगह नाक कटनी शुरू हो गई है। आगे क्या होगा यह कोई नहीं जानता। आने वाले वर्षाे में कामनवेल्थ गैम्स के बाद एशियाड़ का भी आयोजन करना है। इसका आयोजन कामनवेल्थ की सफलता -विफलता पर निर्भर करेगा। कामनवेल्थ गैम्स आयोजन के लिये सरकार ने जितनी राशि लगाई है वह अगर उसका उपयोग सही ढंग से भारत में गरीबी दूर करने के लिये किय जाता तो एक गंभीर समस्या का हल सदा सदा के लिये हो जाता। समिति ने जिस ढंग से इस संपूर्ण मामले में भ्रष्टाचार किया है वह असहनीय है। कामनवेल्थ गैम्स के लिये बनाये गये भवनों से पानी टपकने व अन्य अनेक प्रकार की शिकायतों ने यह संकेत तो दे दिया है कि संपूर्ण व्यवस्था चूना लगाकर तैयार की जा रही है। अब लोगों को मणिशंकर अयैर की टिप्पणियां याद आ रही है -जिसमें उन्होंने इस आयोजन को न केवल फिजूल खर्ची कहा बल्कि कुछ सांस्कृतिक परंपराओं के विपरीत भी बताया है। कलमाडी के दरबारियों को आयोजन समिति से बाहर करने के बाद अब यह समिति कम समय में आयोजन को कितना सफल बना सकेगी यह देखना महत्वपूर्ण होगा। बहराल अभी की स्थिति यह है कि इस आयेजन पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ANTONY JOSEPH'S FAMILY INDX

बैठक के बाद फिर बैठक लेकिन नतीजा शून्‍य

छेडछाड की बलि चढ़ी नेहा-