कैसे बन रहे हैं अफसर,कर्मी

रायपुर शुक्रवार। दिनांक 6 अगस्त 2010

कैसे बन रहे हैं अफ़सर,कर्मी
अकूट संपति के मालिक?
पन्द्रह से बीस हजार की तनखाह...और आलीशान जिंदगी! क्या मौज़ है हमारे नौकरशाहों के! जिनके हाथ में देश को संवारने का ठेका है वे खुद अपना घर भरने में लगे हैं। पीडब्लूडी का सब इंजीनियर हो या वन विभाग का रेंजर अथवा तहसील से संबंधित पटवारी यह सरकार के वे अंग हैं जो विभागों में अवैध रूप से संपत्ति अर्जन के क्षेत्र में छोटी मछली के रूप में जाने जाते हैं लेकिन इनके घरों की शान देखिये यह किसी राजा महाराजाओं से कम नहीं हैं। जब विभागों की इतनी छोटी मछलियों का यह हाल है तो कल्पना की जा सकती है कि इनसे बड़ी मछलियों का क्या हाल होगा। पूर्व में पड़े आर्थिक व आय कर के छापों में यह प्रायरू सिद्व हो चुका है कि देश में कतिपय अफसरों व कर्मचारियों के घरों में अकूट बेनामी संपत्ति भरी पड़ी है। बे हिसाब संपत्ति के मालिक बन बैठे अफसरों व कर्मचारियों में से बहुत कम ही सपड़ में आते हैं वह भी जब उनकी तड़क भड़क से लोगों को शंका होने लगे तथा उनके दुश्मन इस अकूत संपत्ति के बारे में शिकायत करें वरना आज भी ऐसी कई छोटी बड़ी बिल्लियां है जो आँख बंद कर दूध और मलाई दोनों झटक रही हैं, ऐसा सोचकर कि कोई उन्हें नहीं देख रहा । हाल ही लोक निर्माण विभाग के उक साहब को पकड़ा वे इस विभाग के एक छोटे से कर्मचारी हैं जिन्हें सब इंजीनियर कहा जाता है। हो सकता है उन्हें सरकार ने इस पद पर किसी अन्य पद से प्रमोट किया हो। उनकी शानोशौकत का इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि वे सवा करोड़ रूपये के मालिक हैं। खुद का मकान,फार्म हाउस और अन्य आधुनिक सुविधाओं के मालिक होने के बाद भी सरकारी आवास में डेरा डाले हुए हैं। यह अलग मामला है कि कितने ही ईमानदार कर्मचारी हैं जो आज सरकारी मकान के लिये भटक रहे हैं वहीं कतिपय भ्रष्ट और अवैध कमाई से लबालब अधिकारी व कर्मचारी सरकारी मकानों में कब्जा जमाये बैठे हैं। दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि छापे मारने वाली एजेङ्क्षसंया भी दूध की धुली नहीं होती। इनमें कार्यरत कतिपय लोगों का हाल यह है कि वे भी अकूट संपत्ति के मालिक हैं उनके गले में घंटी कौन बांधें। छत्तीसगढ़ में कई वर्षाे पूर्व एक अधिकारी हुआ करते थे, उनकी छापे मार कार्रवाई के कारण लोगों ने उनका नाम ही छापा मार रखा। लोग उनके ईमानदारी की दाद देते थे किन्तु रिटायर होने के पहले उनके घर को दूसरे छापा मारों ने नहीं बख्शा, तब पता चला कि वे अकूट संपत्ति के मालिक हैं। आज स्थिति यह है कि संपूर्ण देश में अरबों रूपये की संपत्ति अफसरों,कर्मचारियों, व अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों में काम करने वालो के पास बेनामी संपत्ति के रूप में दबी पड़ी हुई है इसमें अब नेतागिरी में शामिल कतिपय व्यक्ति व अन्य लोग भी शामिल हो गये हैं जो कालाबाजरी, जमाखोरी को प्रश्रय देने व अन्य गैर कानूनी तरीके से पैसा इकट्ठा कर अपना व अपने परिवार की जिंदगी तो ऐशों आराम की बना रहे हैं लेकिन देश को खोखला करने में लगे हुए हैं लेकिन देश को खोखला किये जा रहे हैं।

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