सकल घरेलू उत्पाद दर!

रायपुर शनिवार।
दिनांक 28 अगस्त 2010
सकल घरेलू उत्पाद दर!

अपना घर अपना ही होता है, किराये पर रहने वाले घर और अपने घर में यही अंतर है कि जो सुधार या विकास उसमें करना चाहते हैं वह किराये के मकान में नहीं कर पाते। जब छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का उपनिवेश बना हुआ था तब यहां विकास नाम मात्र का था। हमने छत्तीसगढ़ की मांग भी इसीलिये की क्योंकि हम यहां के लोगों की समृद्वि विकास व खुशहाली चाहते थे। राज्य बनने के बाद हमारी अपनी सरकार बनी यहां के लोगों को सात सौ किलोमीटर दूर भोपाल राजधानी तक जाने और वहां जाकर काम कराने से मुक्ति मिली। विकास के सारे कार्य लोगों के घर पर ही पहुंचने लगे। समृद्वि और उन्नति का जाल बिछाने मे हमारी कामयबी का ही नतीजा है कि आज छत्तीसगढ़ राज्य देश में सकल घरेलू उत्पादन दर के मामले में देश के दूसरे राज्यों से आगे निकल गया। नक्सली हिंसा के बावजूद छत्तीसगढ़ की जीडीपी दर 11. 49 तक पहुंच गई। प्रतिव्यक्ति आय जहां दोगुनी हुई वहीं राज्य में नये नये उद्योग लगे तथा खेती मे बदलाव आया। सर्वत्र तरक्की से आम जनता खुश है लेकिन हमें इसी से संतोष करके बैठ नहीं जाना है। इस अंचल को खुशहाल बनाने के लिये हमने सड़कों का जाल जरूर बिछाया लेकिन उससे जो वृक्ष कटे उससे जमीन के भीतर पानी की कमी हो गई। रेल, हवाई सुविधाओं के मामले में अब भी हम फिसड्डी हैं। खेती में बदलाव जरूर हुआ किन्तु कांक्रीट के जो जंगल खड़े किये जा रहे हैं उससे खेती का रकबा घटा भी है। अतिउत्साह में बनी कुछ योजनाएं लोगों के लिये आगे मुसीबत भी खड़ी कर सकती हैं। सकल घरेलू उत्पाद दर राष्ट्रीय से ज्यादा होने पर हम गौरवान्वित हैं लेकिन यह दर आगे के वर्षो में भी जारी रहे इसका प्रयास किया जाना चाहिये। विकास को तेजी से अंजाम देने के लिये प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह वास्तव में बधाई के पात्र हैं जिनके प्रयास से ही प्रदेश को आगे बढऩे में मदद मिली है।

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