आखिर कब तक अपमान

आखिर कब तक अपमान
के घूंट पीते रहेंगे...हम!
अभी कल ही हमने विश्व में रूपये की अपनी अलग पहचान कायम की है लेकिन राष्ट्रीय ध्वज व नेताओं का जिस तरह से विदेशों में अपमान हो रहा है, वह चिंता का विषय है। आखिर कब तक? हम कभी विश्व गुरू बनकर विदेशियों का मार्ग प्रशस्त करते रहे हैं लेकिन विदेशियों की नजर में हमारा स्थान क्या है? पाकिस्तान जैसा पिद्दी सा देश हमारे तिरंगे का अपमान कर रहा है और हमारे विदेश सचिव ,विदेश मंत्री वहां जाकर मुस्कराते हुए नेताओं से हाथ मिलाते अपनी तस्वीरे खिंचवा रहे हैं और कह रहे हैं-फिर मिलेंगे,मिलते रहेंगे। क्यों हम अपनी अस्मिता की रक्षा नहीं कर रहे हैं। गांधी के देश में गांधी के आदर्शाे को भूलते नजर आ रहे हैं। वह भी वे लोग जो उन्हीें के आदर्शाे की बात कर आज सत्ता के सिंहासन पर बैठे हैं। अमरीका, आस्ट्रेलिया, चीन हो या जापान जहां भी हमारे नेता जाते हैं, वहां कभी सुरक्षा के नाम पर तो कभी अन्य किसी कारणवश अपमान का घूंट पीना पड़ता है। भाजपा सरकार के समय तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फ र्नान्डीज से अमरीका की सुरक्षा एजेंसियों ने कपड़े उतरवा लिये थे। इसके बाद भी कई नेताओं को विदेशों में अपमान का घूंट पीना पड़ा है। राजनेता ही नहीं वालिवुड के महानायक अमिताभ बच्चन, शाहरूख खान, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम वर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, विदेश मंत्री, विदेश सचिव कोई भी विदेशों में अपमान से नहीं बचा है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस मामले में जहां मौन हैं वहीं विपक्ष को भी ऐसे अपमानों से कोई सरोकार नहीं है। विश्व को आगे बढ़ाने में हम जहां आगे थे वह आज सबसे पीछा खड़ा है-हमारे साथ ही जिन देशों ने यात्रा शुरू की वे आज ऐसे मुकाम पर पहुंच गये हैं जहां तक पहुंचने में हमें अभी इतने ही वर्ष और लगेंगे। चीन , जापान जैसे राष्ट्र इसके उदाहरण हैै। सभ्यता, संस्कृति को न हमने न छोड़ा और न ही विनम्रता का हमने त्याग किया,शायद यही वजह है कि विदेशी हमारी सभ्यता , आदर्श, संस्कारों के कारण हमें पिछड़ा मानते हैं तथा हम पर अपनी शर्ते लादते हैं। क्या यह सब अब हमें बर्दाश्त करना चाहिये? हमारे राष्ट्रीय ध्वज, और देश की विभिन्न विभूतियोंं का अपमान करने वाले देशों को करारा जवाब देने की जरूरत है। यह जवाब उन देशों के साथ यही हो सकता है कि कुछ समय तक ऐसे देशों में उनके आमंत्रण के बावजूद हमारे लोग वहां न जायें। अगर वे इस बात की गारंटी देते हैं कि वहां उनको पूर्ण सम्मान व आदर दिया जायेगा। तभी उनके आमंत्रण को स्वीकार किया जायें। वरना अपमान सहकर जीने से तो बेहतर ऐसे लोगों से रिश्ते तोड़ लेना है।

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